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सोमवार, अप्रैल 20, 2020

"रघुवीर यादव : जबलपुर से मुंबई वाया ललितपुर...!"


रेलवे कॉलोनी के बंगले में मेरे मित्र संजय परौहा बाहर से ही आवाज लगाई और कहां तुरंत चले आओ रजत मयूर लेकर रघुवीर यादव आने वाले और हम एक आर्टिकल तैयार करते हैं देशबंधु के लिए 1985-86 की यह बात है ! फिल्म मेसी साहब के लिए यादव को रजत मयूर मिला। सुबह का 9:00 बजा था और हम दोनों मित्र रेलवे स्टेशन वाले हमारे बंगले से कुछ कर गए रघुवीर यादव से मिलने इंटरव्यू लेने। उन दिनों देशबंधु दिन में निकलने लगा था। सुरजन परिवार द्वारा प्रबंधित यह अखबार एक खास पर्व जिसे आप इंटेलेक्चुअल्स कह सकते हैं के बीच बहुत लोकप्रिय था । संजय के साथ जाकर हमने रघुवीर यादव का इंटरव्यू लिया। एक तस्वीर हम दोनों की हाथ में रजत मयूर छू कर देखा था हमने जबलपुर के लिए एक गरिमा में बात थी जबलपुर का एक भगोड़ा लड़का भागकर वापस आया तू उसके हाथ में एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। रघुवीर जी के नाना के स्कूल में वे अपनी गुरुजी प्रिंसिपल रासबिहारी पांडे जी से मिलने आए थे। बहुत थके थके थे किंतु उत्साह उमंग और खुशियां उस शॉर्ट हाईटेड इंसान को एफिल टावर का एहसास दे रही थी । कम से कम हमने तो यही महसूस किया। अकेले नहीं थे पूर्णिमा भी थीं उनके साथ में । भीड़भाड़ में उनसे बात करना बहुत दूभर हो रहा था और हम ना तो प्रोफेशनल पत्रकार पर हां इंटरव्यू वगैरह लेने के लिए मैंने कुछ सवाल तैयार किए थे। हमारी पारिवारिक संपर्क में बड़े भाई की तरह हैं छायाकार पप्पू शर्मा उन्होंने यादव जी से लिए गए इंटरव्यू को स्टील कैमरे में कैद किया था और शाम तक एक ब्लैक एंड वाइट फोटो ला कर दी। इस नीचे दिए हुए वीडियो में जो विवरण सुनेंगे लगभग वैसे ही जवाब रघुवीर जी ने दिए थे । उन्होंने यह भी बताया था कि वह किसके साथ घर से भागे थे पर मुझे स्पष्ट रूप से कह दिया था उस व्यक्ति का नाम छापने की जरूरत नहीं। आर्टिकल में जब उसका नाम नहीं देखा तो सम्पादक जी ने कहा इस व्यक्ति का नाम क्यों नहीं दे रहे सम्पादक जी को बताया गया कि उनका नाम लिखने के लिए मना किया है रघुवीर जी ने ।
ललितपुर पारसी थिएटर एनएसडी से लेकर संघर्ष के दिनों की पूरी दास्तां से हम परिचित हो चुके थे। हम चाहते हैं कि पूर्णिमा जी से भी कोई बात कर ली जाए परंतु हमें और उनको दोनों को ही केवल  15 मिनट मिल पाए थे। आज राज्यसभा टीवी मैं इस लिंक पर जाकर जब दिखा तब समझ में आया कि 70 के दशक में या उसके पहले का दौर कितना कठिन रहा होगा । जबलपुर जैसे कस्बाई शहर में कलाकार की जिंदगी जीना आज भी बहुत मुश्किल है तब तो और कठिन हो रही होगी। 25 जून 1957 को जन्मे रघुवीर यादव ने बताया था कि वह रिजल्ट के डर से भागे थे।
लेकिन उनका उद्देश्य सिर्फ अपनी कला को निखारना था । रघुवीर यादव ने 1967 से संभवत 1975 तक खानाबदोश की जिंदगी बिताई। वे पारसी थियेटर के लोगों के साथ घुल मिल गए ढाई रुपए रोज में नौकरी करने वाला रजत मयूर पाकर संघर्ष की पूरी एक सफल दास्तान बन गया था। उनके वे हमउम्र अगर यह आर्टिकल पढ़ेंगे तो उन्हें शर्मिंदगी जरूर होगी कि जैसे ही पागल कहते थे और व्यंग कसते थे वह आज अपनी मंजिल पर सफलता का झंडा फहरा रहा है।
तो देखिए यह वीडियो लगभग वैसा ही है जैसा हमको यानी मुझे और संजय परोहा को रघुवीर जी ने इंटरव्यू में बताया था। सच कहूं तो उस दौर में मेरे काका श्री उमेश नारायण बिल्लोरे भी थिएटर किया करते थे। किंतु उस दौर में गायन नाटक इन सब विधाओं को अपनाने वालों को हिराक़त भरी नजर से दुनिया देखती थी उनको तो ताऊजी स्टेशन से ट्रेन से उतारकर वापस ले आए थे ।
    रघुवीर यादव संगीत के क्षेत्र में अपना ज्ञान बढ़ाना चाहते थे। रांझी का यह किशोर क्या आज नहीं सोचता होगा कैसे हो संगीत सीखे कहां जाएं क्या करें..?
सच बताओ रघुवीर जी उस दौर में अगर आज की तरह फैसिलिटी होती है तो आप अभिनेता नहीं बन पाते। मैसी साहब में हमने आपको बहुत करीब से परखा। आपका अभिनय दिल में आज तक बसा हुआ है। पता नहीं अब आप मुझे पहचानते हैं कि नहीं कई बार आप जब जबलपुर आते हैं संयोग ही कहिए मैं आपसे नहीं मिल पाता पर जो पक्को है हम तुमाय जबरा फैन हैं बड्डा😊😊😊😊 . और हां एक बात और बता देत हैं भौत दिन तक आपके इंटरव्यू की मैंनस्क्रिप्ट संभाल कर रखी हति मनौ को जानि कितै हिरा गई ।
https://youtu.be/DUDGwTi-O9s
आज मेरी एक विद्यार्थी ने कोक स्टूडियो में रिकॉर्डिंग का वीडियो शेयर किया तो आपकी याद ताजा हो गई। सोचा कि आप से बात कर दी जावे सो बस लिख दिया यह आर्टिकल ।
https://youtu.be/e94zMF2OSm8
😊😊😊😊😊😊
कोक स्टूडियो में रिकॉर्डिंग लमटेरा को सुनिए इसमें गायक स्वर हमारे रघुवीर भैया का है आपके रोंगटे ना खड़े हो जाए तो बताइएगा
https://youtu.be/Bft1EZxmp1Q
  यह जो बंबुलिया वाला दृश्य आप याद कर रहे हो ना मुझे भी बहुत याद आता है। सालेचौका भिटोनी गाडरवारा नरसिंहपुर गोसलपुर रेलवे कॉलोनी के पास से निकलने वाली नर्मदा भक्तों की भीड़ से यह आवाज जो दिमाग में बसी है मुझसे तो दूर नहीं हो सकती मुझे से क्या किसी से भी वही मिठास वही देसी एहसास आज आपका यह वीडियो मेरे रोंगटे खड़े कर देने के लिए पर्याप्त था।
आपके बारे में पतासाजी करते रहने का प्रमाणपत्र यह आर्टिकल है ।

रविवार, अप्रैल 19, 2020

भारत में विदेशी पूंजीगत निवेश मैं सतर्कता के संकेत


भारतीय अर्थव्यवस्था में कोरोना वायरस संक्रमण परिस्थिति के दौरान कठिनाइयों का आना स्वभाविक है। परंतु वर्तमान में ऐसा कुछ बहुत स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई दे रहा... दक्षिण एशियाई देशों भारत की सीमा से लगे देश अथवा विशेष रुप से कोरोना वायरस संक्रमण जैसी आपदाओं का लाभ उठाने वाली अवसरवादी आर्थिक व्यवस्था द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में सीधे दखलअंदाजी कर सकती है। भारतीय कंपनियों के माध्यम से अगर कोई कष्टप्रद निवेश हो सकता है तो वह होगा चाइना द्वारा। लेकिन वित्त मंत्रालय निश्चित रूप से इस पर सतर्कता बरतेगा ऐसा अर्थशास्त्रियों का मानना है।
आज भारत सरकार ने एक पत्र जारी कर एफडीआई निवेश पर अर्थात विदेशी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के तहत 10% से अधिक निवेश को सरकारी अनुमति के बिना अनुमति नहीं दिए जाने की भी सूचना वित्त मंत्रालय से प्राप्त हो रही है।
जय सूचना होते ही लागू हो जाएगी इससे भारतीय कंपनियां चाइना जैसी अवसरवादी अर्थव्यवस्था से प्रभावित रहेगी। आप जानते हैं कि चीन ने अमेरिका की इस पर पकड़ ना रखने वाली पॉलिसी का लाभ उठाकर कई अमेरिकी कंपनीस पर अपना प्रभाव जमाने की पूरी तैयारी कमरकस के कर दी है। एफडीआई पॉलिसी में कुछ परिवर्तन किया है। जहां तक चाइना की व्यवसाई समझ का मामला है तो पाठकों को यह जानना आवश्यक है कि यह देश बेहद सुनियोजित तरीके से किसी भी राष्ट्र की मजबूरियों का फायदा उठा सकने में सक्षम है।
यहां प्रधानमंत्री द्वारा घोषित मेक इन इंडिया कार्यक्रम सह अस्तित्व पर आधारित माना जावेगा।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि एफडीआई पर इस तरह का प्रतिबंध लगाकर भारत सरकार ने समय रहते एक साहसिक कदम उठाया है।
आर्थिक विचारक यह भी मानते हैं कि-" इससे व्यवसाई कटुता बढ़ सकती है परंतु जब भारत एक बहुत बड़ा शॉपिंग कंपलेक्स है ऐसी स्थिति में कोई भी देश भारत के इस कदम पर कोई कमेंट नहीं कर पाएगा" किसी भी सरकार का ऐसा कर पाना साहसिक कदम की श्रेणी में आता है।
कोरोना वायरस संक्रमण काल में सेंसेक्स पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है, इससे भारत की उपलब्धि ही कहा जाएगा।
जहां तक शेयर बाजार की गतिविधि को समझें तो स्थिति बहुत असामान्य उच्चावचन नहीं दिखा रही है।

गुरुवार, अप्रैल 16, 2020

चार लोग क्या कहेंगे


तलाशते उम्र की आधी शताब्दी गुजर गई है। इन 4 लोगों की अपने देश काल परिस्थिति के आधार पर 4 नाम होंगे चारों की चार अपनी अपनी पहचान होगी। पर यह चार ना आज तक मिले न मिलेंगे और ना ही मिलने की संभावना है। और कोरोना वायरस पैडमिक सिचुएशन में तो इन चारों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही पड़ेगा यह चार लोग क्या कहते हैं इसका बात का  हमको  तो बढ़ा डर था और है भी। चलो छत पर थोड़ा टहलो  पड़ोस में रहने वाले लोगों से हेलो बोलो और कोई उटपटांग बात मत करना फर्जी खबर मत फैलाना। यह मैं इसलिए कह रहा हूं अगर आप गलत निकले तो बताओ चार लोग क्या कहेंगे 😊😊😊

मंगलवार, अप्रैल 14, 2020

बने किचिन किंग पत्नी से चार गुना प्यार पाए


सुप्रभात मित्रों
#कोरोना #लॉक_अवधि अब 30 अप्रैल 2020 तक बढ़ना है । 21 दिन का यह अनुभव आपके जीवन में निश्चित एक बेहतरीन परिवर्तन लेकर आया है। आपको किस तरह अपनी परिवार की मदद करनी चाहिए और किन-किन मुद्दों पर आपको परिवार के साथ में बैठकर चर्चा करनी चाहिए यह सब आपने सीख लिया है। फिर भी एक बार जो अनुभव मैंने किया वह आपके साथ शेयर कर रहा हूं। मित्रों सबसे बढ़िया बात तो यह है 21 दिन के इस लॉक डाउन मुझे घर को समझने का एक और अवसर मिला। यहां एक खूबसूरत बात यह हुई मैंने यह जाना कि - "हम पुरुष के रूप में कहां कहां अपने दायित्वों को भूल जाते हैं भले ही वह हमारे कार्य का दबाव हो या हमारा पुरुषोचित अभिमान", क्योंकि हम यह भूल जाते हैं कि हम हैं केवल उपभोक्ता घर में आकर हमें हर चीज हर काम हमारी इच्छा अनुसार होना चाहिए। यहां महिलाओं की भी एक त्रुटि है कि वे स्वयं को हमारी इस धारणा के लिए अनुकूल बना लेती हैं। हमारा यही दंभ हमारे लिए घातक हो जाता है और हम इस बात के लिए भी कभी तैयार नहीं होते यदि घर में एक ऐसी विषम परिस्थिति आ जाए कि हमें भोजन बनाना हो, हम परेशान से हो जाते है। और फिर एप्स या टेलीफोन नंबर के जरिए खाना मंगा लेते हैं । जो हमारे लिए न तो रुचिकर होता और न ही हमारे स्वास्थ्य के लिए अनुकूल ही होता है। बहुधा यह देखा गया है कि होटल अथवा ब्रांडेड भोजन की गुणवत्ता और शुद्धता हमारी परंपरागत आहार व्यवस्था के विपरीत होती है। आइए इस क्रम में हम आज एक ऐसे ब्लॉग का जिक्र करते हैं जो आपकी पत्नी पत्नी से चौगुना प्रेम प्राप्त करने का रास्ता खोलेगा।
जबलपुर मूल के श्री समीर लाल जो ब्लॉग जगत के बेहद प्रसिद्ध टेक्स्ट ब्लॉगर है तथा वर्तमान में कनाडा में रहते हैं। उनका ब्लॉग उड़नतश्तरी के नाम से प्रसिद्ध है अगर जबलपुर से हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास शुरू होता है तो चार्टर्ड अकाउंटेंट कनाडा वासी श्री समीर लाल के नाम से उसके बाद कहीं मेरा नंबर आता है और फिर उंगलियों पर गिनने लायक कुछ लोग शामिल है। 2007 से हम हिंदी ब्लॉगिंग कर रहे हैं। समीर लाल हिंदी ब्लॉगिंग के साथ-साथ अब यूट्यूब पर विभिन्न रेसिपी बताते हैं। और उनके द्वारा बहुत सारी रेसिपी अब तक यूट्यूब पर प्रस्तुत की जा चुकी है। जिसका लिंक मैं नीचे दे रहा हूं आप उस पर शाकाहारी एवं मांसाहारी रेसिपी देख सकते हैं और मनपसंद रेसिपीज बनाकर न केवल स्वयं बल्कि अपनी फैमिली को भी आनंदित कर सकते हैं।
वी-ब्लॉग का नाम - UFO KITCHEN
चैनल के निर्माण की तिथि तथा दर्शक संख्या - इस चैनल के निर्माण की तिथि 25 जनवरी 2015 है 226 वीडियो वाले इस चैनल पर अब तक 249,466 दर्शक भ्रमण कर चुके हैं। चैनल की नियमित दर्शक संख्या 158000 है ।
श्रेणी :- रसोई और रेसिपी
https://www.youtube.com/channel/UCt6ug85XfaM3VB5Eq4Knv2g

रविवार, अप्रैल 12, 2020

भारत में कोरोना संक्रमण : मज़दूरों पर प्रभाव

किसी भी स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था बेहद नकारात्मक परिणाम नहीं दिखा सकती।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के संबंध में स्मरण करें। रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले 6 माह में भारत के 40 करोड लोग बेरोजगारी का शिकार हो जाएंगे। मेरे पिछले आलेख में स्पष्ट कर दिया गया था कि भारत पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमान के  अनुकूल उतना  प्रभाव नहीं पड़ेगा जितना कि उक्त रिपोर्ट में दर्शाया गया है ।
   मेरे ऑब्जरवेशन अनुसार भारत की 20 करोड़ आबादी को अगले 3 से 4 महीने तक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
आई एल ओ ने नौकरियां कम होने संबंधी जो आशंका व्यक्त की थी वह बिल्कुल स्वभाविक और लगभग सटीक कही जा सकती है। जबकि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को इसका कोई जबरदस्त असर पड़ने वाला है ऐसा बिल्कुल नहीं है। बल्कि यह आंशिक सत्य है। भारत में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली वर्कफोर्स के संबंध में आईएलओ का विश्लेषण केवल एक नजीबी नक्शे की तरह है। खेतिहर भूमि हर मजदूर घरेलू नौकर चाय बागानों में काम करने वाले कृषि कार्यों के ट्रेडिंग से जुड़े व्यवसायियों के साथ काम करने वाले असंगठित क्षेत्र के मजदूर अब अधिक मांग में बने रहेंगे। भारत का मध्यमवर्ग इनका दूसरा सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण संरक्षक है। उस पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का योजनाओं के जरिए ऐसे मजदूरों को कवर्ड करना उल्लेखनीय है। इस बिंदु पर विचार किए बिना आईएलओ द्वारा जारी रिपोर्ट आंशिक रूप से खारिज की जा सकती है।
इसका अर्थ यह नहीं कि - यह तब का पूर्ण तरह प्रभावित रहेगा बल्कि इसका अर्थ यह है कि भारत के कथित 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों में से 50% को रोजगार  का संकट आ सकता है। वह भी कार्य के घंटों के संदर्भ में। क्योंकि यह समस्या अस्थाई होगी अतः आशा करता हूं कि प्रभाव भी अस्थाई ही रहेगा परंतु जो श्रमिक उद्योगों पर आश्रित हैवी अवश्य पूरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं।
11 मार्च 2020 को भारत के प्रधानमंत्री के साथ संपन्न बैठक में मुख्यमंत्रियों द्वारा इन मजदूरों के बारे में विशेष रुप से सहयोग और सपोर्ट की मांग की गई। भारत सरकार राज्य सरकारों को सपोर्ट निश्चित तौर पर कर सकती है। कोरोनावायरस संक्रमण से जूझने वाले इस दौर में 15 दिनों तक प्रतिबंध को जारी रखना लगभग आवश्यक प्रतीत होता है। ऐसा निर्णय लिया जाना भी संभावित है। इससे अस्थाई समस्या के रूप में मजदूरों को गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है परंतु जैसे ही परिस्थितियां धीरे-धीरे अनुकूल होंगी व्यवसाय व्यापार में श्रम की मांग फिर से प्रारंभ हो जावेगी।
   यह अवश्य है कि व्यवसायियों को फिर से मूल स्वरूप में लौटने में एक माह का समय और लग सकता है। इस संबंध में एक तथ्य आपकी दृष्टि में लाना चाहता हूं जिस से आपको समझ में आएगा कि भारत की अर्थव्यवस्था में श्रम की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता क्योंकि भारत एक बड़ा बाजार है और इस बाजार में क्रय शक्ति अचानक शून्य हो जाना लगभग असंभव है। आज भी मध्य वर्ग क्रय शक्ति विहीन नहीं हुआ है हां अगर कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए 2 से 3 माह और लॉक डाउन करना पड़ा तो भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वर्ग की स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है। भारत सहित पू विश्व का एक जैसा दृश्य है। परंतु भारत जिस तेजी से संक्रमण रोकने के लिए एकजुट है उससे प्रतीत होता है कि भारत में अधिकतम मई 2020 तक हम कोरोना संक्रमण का समूल विनाश कर सकेंगे।
  मीडिया को चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट को सनसनीखेज बनाकर प्रस्तुत ना करते हुए उसका आंतरिक विश्लेषण अवश्य करें फिर उस पर समाचारों का प्रकाशन एवं प्रसारण किया जाए ताकि सामाजिक हड़बड़ाहट को स्थान ना मिले ।
   केंद्र और  राज्य की सरकारें एकजुटता के साथ इस कार्य को अंजाम देंगी पहले से ही सरकारों ने अपनी अपनी समझ एवं संसाधनों के अनुकूल व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली है । 

शनिवार, अप्रैल 11, 2020

क्या 40 करोड़ लोग जा सकतें है आय के निचले स्तर पर...?


कोरोनावायरस संक्रमण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। यह जानकारी विश्व श्रम संगठन जिसे इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन भी कहा जाता है जिसका प्रधान कार्यालय जिनेवा स्विट्जरलैंड में स्थित है द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे अगले 6 माह में ही बेहद नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। विश्वव्यापी लॉक डाउन के स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसका यह आशय नहीं है की लॉक डाउन से नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है बल्कि यह है कि जीवन बचाने के लिए विश्व की सरकारों द्वारा किया जा रहा है यह प्रभावी कार्य एक ऐसी परिणीति भी दे सकता है जिसका अनुमान सामान्य लोग वर्तमान में नहीं लगा पा रहे। आईएलओ का मानना है कि विश्व में 7.5 खरब की जनसंख्या है जिसका 3.3 खरब हिस्सा वर्किंग फोर्स के रूप में चिन्हित है। श्रम संगठन की रिपोर्ट बताती है कि वर्किंग फोर्स अर्थात 3.3 खरब आबादी का 81% हिस्सा जो लगभग दो खरक से अधिक होगा बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। यह वैश्विक आंकड़ा है भारत जी इस आंकड़े में ब्राजील और नाइजीरिया के साथ सम्मिलित किया गया है। उसका कारण बताते हुए श्रम संगठन का मानना है कि यहां 90% जनसंख्या इनफॉरमल सेक्टर मैं कार्य कर रही है। यही हो तब का है जो रोजगार एवं वेतन के संदर्भ में सर्वाधिक प्रभावित होने जा रहा है। अपनी रिपोर्ट में विश्व श्रम संगठन ने यह अवगत कराया है कि 40 करोड़ भारतीय लोग रोजगार में उतना लाभ नहीं पाएंगे जितना कि कोरोनावायरस के विस्तार के पूर्व पा रहे हैं । अर्थव्यवस्था में ऐसी गिरावट द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार देखने को मिल सकती है । वैसे भी भारतीय अर्थव्यवस्था लिक्विडिटी पर आधारित है विश्व श्रम संगठन का अनुमान सही प्रतीत होता है। रिपोर्ट को देखा जाए तो स्पष्ट है कि उत्पादन रियल स्टेट ट्रेडिंग प्रशासनिक क्षेत्र शिक्षा खनिज आदि क्षेत्र तेजी से प्रभावित हो सकते हैं । अगर यह स्थिति है तो इसकी वजह केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कंपनियों का उत्पादन प्रभावित होना भी है। आरती कंपनीयाँ भी इससे अछूती नहीं रहेगी। आईटी कंपनी को अपना आकार कम करना होगा जिसका अर्थ है कि वह अपने कर्मचारियों की छटनी भी कर सकती है । इससे अवश्य शिक्षित एवं प्रशिक्षित बेरोजगारी में बढ़ोतरी हो सकती है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि अगर अकेले यूरोप ने ऐसी कंपनियों के लिए अपनी आर्थिक नीतियों में व्यवस्था कर ली होगी तो यह बेरोजगारी तेजी से नहीं बढ़ेगी। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि दक्षिण एशिया भारत पाकिस्तान बांग्लादेश के आईटी प्रोफेशनल्स वर्क फ्रॉम होम डिस्टेंस वर्किंग के मामले में सक्षम है और यदि आईटी सेक्टर की कंपनियां किसी तरह सरवाइव कर लेती है तो निश्चित तौर पर आय में कमी अवश्य हो सकती है परंतु बेरोजगारी की दर में वृद्धि नहीं होगी। परंतु अगर प्रोडक्शन और ट्रेडिंग करने वाली कंपनियों की स्थिति नकारात्मक रुझान दिखाती है तो यह तय है कि आईटी कंपनियां भी अवश्यंभावी शुरू से प्रभावित होंगी जिसका सीधा असर दक्षिण एशियाई देशों से काम में नियोजित वर्क फोर्स पर असर अवश्य पड़ेगा। वर्तमान में अमेरिका द्वारा वहां काम कर रहे नागरिकों को वीजा देने में विलंब किया जा रहा है। जिसकी दो वजह हैं एक - अमेरिका में तेजी से फैलता कोरोना वायरस संक्रमण और उसके प्रबंधन में उत्पन्न समस्याएं दो - अमेरिका पूंजी प्रबंधन की समस्या उपरोक्त दोनों कारणों से कंपनियों के शेयरों में गिरावट हो रही है। जैसा कि आप टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले समाचारों में सो नहीं रहे होंगे। अभी यह कहना जल्दबाजी ही होगा की कोरोनावायरस संक्रमण की समस्या स्थाई है निश्चित तौर पर भारत सहित यूरोप के कई देश इसके समाधान में तेजी से काम कर रहे हैं और यह विश्वास है कि कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने का कोई उचित प्रबंध सुनिश्चित हो जाएगा। यहां कृषि वैज्ञानिकों से यह आव्हान किया जाता है कि वह उत्पादन क्षमता बढ़ाने के और अधिक प्रयास करें ताकि आगामी 2 से 3 वर्षों में जब तक इस महामारी के कारण होने वाली संभावित महामंदी का प्रभाव रहेगा तो भी भारत एक उच्च स्तरीय उत्पादक के रूप में उभर के आए और वह विश्व व्यापार ने भले ही बहुत अधिक हिस्सेदारी ना दिखा पाए पर उसका अनाज भंडार कम से कम अगले 3 वर्षों के लिए पर्याप्त रहे। इस तथ्य को हमें उसी नजरिए से देखना है जिस नजरिए से आपने हमने भारत के ऐतिहासिक स्वरूप का अध्ययन किया है। भारत कृषि प्रधान देश रहा है और रहेगा भी। वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट तब तक एकांगी है जब तक की आर्थिक औद्योगिक मुद्दे पर अध्ययन करने वाली किसी विश्वसनीय और सर्वमान्य संस्था की रिपोर्ट नहीं आ जाती। रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान के संबंध में टिप्पणी नहीं है । इसलिए अगले छह माह में 40 करोड़ लोगों को प्रभावित होने की बात गलत अनुमान है ऐसा मैं स्वयं के नजरिए से कहता हूं। भारतीय युवा शक्ति को खेतों की ओर मुड़ना ही चाहिए भारतीय वर्कफोर्स कृषि आधारित उत्पादों की ट्रेडिंग में भी तेजी से काम कर सकते हैं। यहां यह बात भी स्पष्ट कर देनी आवश्यक है कि इस संभावित महामंदी का असर अवश्य होगा भारत में भी हम इसे देख सकेंगे। लेकिन मध्यमवर्ग जो सर्वाधिक कार्यशील समुदाय है वह निश्चित तौर पर रोजगार के विकल्पों पर काम अवश्य करेगा। भारत सरकार की स्टार्टअप योजना जैसी योजनाओं ने युवाओं को अपनी रुचि दिखानी ही होगी। यद्यपि पूरे विश्व की सरकारों को इंटरनेशनल लेबर ऑफ डाइजेशन ने चार स्तंभों में सलाह दी है जो इस प्रकार है 1 टैक्स में कमी या उसका पुनरीक्षण करना, धन का प्रवाह करना *भारत सरकार ने रिजर्व बैंक के सहयोग चाहिए बैंकिंग सिस्टम में ऐसे प्रयास यह बहुत पहले ही प्रारंभ कर दिए हैं* 2 जॉब को बचाए रखना उसके लिए आर्थिक नीतियों में बदलाव अथवा उसका पुनरीक्षण करना 3 अगले 6 महीनों तक कम से कम सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखना। यथासंभव वर्क फ्रॉम होम जैसी प्रणाली को जारी रखना 4 समुदाय के साथ सरकार का बेहतर समन्वयन भी एक महत्वपूर्ण स्तंभ होगा। समुदाय में उत्पादन से जुड़े लोग ओपिनियन लीडर्स वर्क फोर्स आदि से सतत समन्वय बेहद जरूरी होगा । कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने के लिए नागरिकों को चाहिए कि अगले 15 से 20 दिनों में अगर लॉक डाउन समाप्त भी हो जाता है तब भी वे सोशल डिस्टेंसिंग को किसी भी हालत में मेंटेन करके चलें। *जहां तक रोजगार में कमी का संकेत है वह अवश्यंभावी है उसे रोका नहीं जा सकता भले ही 40 करोड़ भारतीय इससे प्रभावित ना हो तब भी 20 करोड़ जनसंख्या का प्रभावित होना तय है।* क्योंकि रिपोर्ट के अनुसार छोटे और अत्यंत छोटे व्यापारियों को यह समस्या आ सकती है। अतः मितव्ययिता, एवम श्रम तथा पूंजी का उत्कृष्ट प्रबंधन ही भारत के छोटे व्यापारियों को संकट से उबारने में सबसे ज्यादा सहायक होगा। यहां यह भी कहना जरूरी है कि भारत के अधिकांश युवा जो अप्रवासी हैं और विभिन्न क्षेत्रों में विदेशों में कार्यरत हैं केवल अपनी योग्यता और क्षमता के आधार पर यूरोप में रुक सकेंगे ऐसा नहीं है कि केवल योग्यता और क्षमता का ही मूल्यांकन किया जावेगा बल्कि कंपनियां क्लाइंट कंपनियों से कार्य मिलने या ना मिलने के कारण भी कटौती कर सकती है। कुल मिलाकर स्थिति नाजुक हो सकती है अगर नागरिक और सरकार दोनों के बीच बेहतर समन्वय संवाद स्थापित ना हुआ तो। अभी विश्व स्वास्थ संगठन के अलावा व्यापारिक तथा औद्योगिक विषयों की समीक्षा एवं रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाली सर्वमान्य संस्थाओं के विश्लेषण के बाद विस्तृत रूप से कुछ कहा जा सकता है यह आलेख केवल अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की अनुमान पर आधारित है। गिरीश बिल्लोरे मुकुल चिट्ठाकार, लेखक एवम साहित्यकार 

गुरुवार, अप्रैल 09, 2020

लॉक डाउन By Nilesh Rawal

लाॅक डाउन - भाग - ६ 

कल हमने लॉक डाउन - भाग - 5  में भगवान श्री राम के व्यक्तिगत गुणों और उनके हमारे जीवन में अपने राम के तौर पर अवधरण की बात की थी कल मैंने यह भी कहा था कि कल हम भगवान राम के अपने व्यवसायिक जीवन में उपस्थिति की बातें करेंगे !
वैसे भी अगर हम ठीक ढंग से देखेंगे तो आज की तारीख में हमारे व्यक्तिगत जीवन के साथ साथ व्यवसायिक जीवन भी बहुत बड़ा हो चुका है हमारा व्यक्तिगत जीवन सीधे तौर पर हमारे व्यवसायिक जीवन से प्रभावित रहता है इसलिए यदि हमारे व्यवसायीक जीवन में राम का दिशानिर्देश मिल जाए तो व्यवसायीक जीवन के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन भी संतुलित हो जाएगा! 

जिस तरह से मैंने अपने राम के बारे में बताया था कि मैं अपने राम से अपने व्यक्तिगत जीवन में किन का 5 गुणों से प्रभावित हूं उसी तरह से मैं अपने व्यवसायीक जीवन में राम के किन पांच गुणों से प्रभावित हूं इस विषय पर अपनी बात आपसे साझा करता हूं !
१. समन्वय २. मानव शक्ति प्रबंधन ३. स्किल डेवलपमेंट ४. भरोसा ५ . सम्मान

१.समन्वय -  राम जीवन में समन्वय स्थापित करने का सबसे अप्रतिम उदाहरण है राम का कहीं कोई विरोधी नहीं था, सारे ही लोगों के साथ राम का कोआर्डिनेशन एकदम परफेक्ट था उनका अपने पिता से ,अपने भाइयों से, अपनी प्रजा से, जब जंगल में गए तो अपने सहयोगियों से , अपने शुभचिंतकों से एक गजब का समन्वय था ! यहां तक कि उनके सारे सहयोगियों और साथियों का भी उन्होंने आपस में बहुत गजब का समन्वय  बिठा रखा था उनका कोई भी भाई दूसरे भाई से नाखुश नहीं था, या कोई भी सहयोगी किसी सहयोगी से कोई बैर भाव या वैमनस्य नहीं रखता था शायद पूरी दुनिया में समन्वय का इससे खूबसूरत कोई भी उदाहरण हमें नहीं मिल सकता है हमारे व्यवसायिक जीवन के साथ-साथ इस करोना काल में भी समन्वय का बड़ा महत्व है हम घर पर हैं हमारा अपने परिवार, बंद ऑफिस में जब हमारे कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं और हमारा व्यापार नहीं हो रहा है आय नहीं हो रही है उस दौर में अपने साथियों के साथ अपनी टीम के साथ समन्वय की सख्त आवश्यकता है !

२ मानव शक्ति प्रबंधन-  मानव शक्ति प्रबंधन या मेन पावर मैनेजमेंट, राम मानव शक्ति प्रबंधन का इस धरती पर सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है उन्होंने अपने भाइयों की शक्ति का, अपने सहयोगियों की शक्ति का, अपने साथ जुड़े वानरों की शक्ति का, या यूँ कहें की रावण के मुकाबले बहुत कमजोर सेना की शक्ति का सही अर्थों में शक्ति प्रबंधन करके ही रावण पर विजय प्राप्त की !
कभी सोचियेगा दलितों , वानरों या वन में रहने वालों की एक कमजोर सी सेना लेकर ब्रह्मांड कि सबसे शक्तिशाली सेना और सबसे शक्तिशाली व्यक्ति रावण से युद्ध करना और उस युद्ध को जीत लेना , दुनिया का श्रेष्ठतम मेन पावर मैनेजमेंट का उदाहरण है ,करोना काल में भी इस शक्ति के प्रबंधन की बहुत आवश्यकता है प्रशासन के पास, सरकारों के पास बहुत ही सीमित संसाधन है इसलिए यह जो समाज की, स्वयंसेवकों की, समाजसेवी संस्थाओं की शक्ति है यदि हम इसका सही प्रबंधन करने में सफल हो जाए तो समाज के अंतिम छोर तक करोना काल में उसकी आवश्यकताएं पूरी करने में सफल हो जाऐंगे और यदि हम लोगों की आवश्यकता है पूरी करने में सफल हो गए तो ही हम करोना के विरुद्ध उनसे नीति नियमों का पालन करके करोना पर विजय प्राप्त कर सकेंगे! 

३. स्किल डेवलपमेंट -   राम किस तरह से लोगों का विकास किया या मेन पावर डेवलपमेंट करके उनकी जिम्मेदारी और शक्तियों का एहसास करा कर हर कार्य को करने योग्य बना दिया, उसके कुछ उदाहरण हनुमान, सुग्रीव, अंगद, नल, नील आदि है, राम ने उन लोगों को उन लोगों के अंदर शक्तियों का एहसास करा कर उन्हें विकास क्रम की उस अवस्था में ला दिया कि उनके लिए हर कार्य को करना बहुत सहज और संभव हो गया करोना काल में भी यह गुण बहुत आवश्यक है लोगों की जीवन शैली में विकास उनके जीवन में साफ सफाई का महत्व ,सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व, सेनेटाइजिंग का महत्व और उनके अंदर निहित प्रतिरोधक क्षमता का एहसास करा कर उनको विश्वास से इतना अधिक भरने की आवश्यकता है की यदि वे उपरोक्त  नीति नियमों का पालन करेंगे तो करोना कभी उन्हें छू भी नहीं सकता है !

४. भरोसा - राम दूसरों पर भरोसा करने का भी दुनिया का सर्वश्रेष्ठ  उदाहरण है जो शायद इतिहास मैं कभी कहीं और नहीं मिल सकता! श्री राम का अपने पिता पर भरोसा करना हो, गुरु पर भरोसा करना हो , वनवास देने के बावजूद माता पर भरोसा करना हो , अपने भाइयों पर भरोसा करना हो, सीता की खोज के लिए हनुमान पर भरोसा करना हो, रावण के पास से आऐ  हुए उसके भाई विभीषण पर भरोसा करना हो, सुग्रीव और उसकी सेना पर भरोसा करके लंका पर चढ़ाई करना हो,  अंगद को दूत बनाकर रावण के पास भेजना हो  एक बार सोच कर देखियेगा  राम ने हर उस काम में अपने लोगों पर भरोसा किया जो लगभग असंभव था परन्तु राम ने उस जगह पर पूरा भरोसा किया और उस भरोसे ने उस कार्य को संभव बना दिया! आज भी इस करोना त्रासदी में बहुत विश्वास और भरोसे की आवश्यकता है भरोसा हमारे प्रशासन पर , पुलिसकर्मियों पर, चिकित्सकों पर या सरकार पर  ! यह समय हमें अपने लोगों पर विश्वास सिर्फ करने का नहीं बल्कि पूरी मजबूती से अपने लोगों पर भरोसा करके इस लड़ाई में उनके साथ खड़े होने का है आप एक बार विश्वास तो करिए आप की सरकार है आपका प्रशासन , आपकी पुलिस, आपके चिकित्सक - हनुमान, अंगद, नल, नील और सुग्रीव की तरह ही अद्वितीय शक्ति के परिचायक हैं और करोना से इस युद्ध में अपनी अपनी भूमिका को पूरी क्षमता से निभा कर करोना रूपी रावण पर आप की विजय सुनिश्चित करेंगे! 

५. सम्मान-  व्यापार में , व्यवसाय में अपने से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी का ,अपने से जुड़े दूसरे व्यापारियों का ,यहां तक कि अपने प्रतिद्वंद्वियों का यदि हम ठीक ढंग से सम्मान करना सीख जाए उन्हें उनका यथेष्ठ स्थान देना सीख जाएं तो शायद हमारे काम में ,व्यापार में, व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा जैसी कोई वस्तु रह ही नहीं जाएगी, राम ने बाली को मार कर सुग्रीव को  का राजा बनाया वे स्वयं नहीं बने, रावण को मारकर लंका को अपने राज्य में मिलाने के स्थान पर उससे उसका अस्तित्व देकर विभीषण को उसका राजा बनाया , बाली वध के बाद सुग्रीव के पुत्र के स्थान पर बाली के पुत्र अंगद को युवराज बनाया और हर छोटे से छोटे व्यक्ति को चाहे मल्लाह हो, चाहे शबरी हो अपने गले से लगाकर उन्हें पूरा सम्मान दिया और इसी
सम्मान देने के गुण ने राम को राम से भगवान राम बना दिया! 
करोना कॉल में भी सम्मान की बहुत आवश्यकता है चाहे करोना से लड़ने वाले प्रथम प्रथम पंक्ति के वीर हो या करोना के संक्रमण में आए लोग ! यदि करोना से संक्रमण में आए हुए लोगों को हम सम्मान नहीं देंगे तो लोग इस बीमारी के विषय में स्वयं आगे आकर बताने से डरेंगे और यदि ऐसा हुआ तो फिर करोना की यह चेन कभी नहीं टुट पायेगी!

अगर हमने अपने  राम के इन व्यवसायिक गुणों को एक बार ठीक से समझ कर अपने जीवन में अपने व्यवसाय में उतारने का प्रयास कर लिया और आंशिक उतारने में भी सफल हो गए तो हमारा कोई विकल्प हो ही नहीं सकता हम निर्विकल्प हो जायेंगे! 
जय श्री राम
निलेश रावल

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