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16.1.21

एनडीटीवी की पूर्व पत्रकार क्या सचमुच हुई फिशिंग का शिकार ?

NDTV  की पत्रकार निधि राजदान इन दिनों चर्चा में है। यदि वर्तमान में एनडीटीवी की भूतपूर्व पत्रकार कहा जाना ज्यादा उपयुक्त होगा क्योंकि निधि ने 2020 में ही एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया। 43 वर्ष की उम्र में एक शानदार स्टेटस पाने के बाद अचानक एनडीटीवी को छोड़ना विचारणीय मुद्दा तो था लेकिन कोविड-19 की आपाधापी में यह मुद्दा गंभीरता से नोटिस नहीं किया गया। बीबीसी से लेकर तमाम मीडिया चैनल्स जहां एक और निधि राजदान को फिशिंग का विक्टिम मान रहे हैं वहीं दूसरी ओर आज निधि ट्रोलिंग के मामले में सबसे बड़ी शिकार साबित हुई है। ऑप इंडिया चैनल वाले अजीत भारती हो या यूट्यूब पर लाइव चैनल चलाने वाले वन मैन प्रोड्यूसर है सभी ने अपनी अपनी भड़ास निकाली। 
   निधि राजदान के बारे में एक वीडियो यह भी आया कि उनके द्वारा पहले झूठ बोला गया और अब जब सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही हैं साथ ही हावर्ड यूनिवर्सिटी से इनके विरुद्ध लीगल एक्शन की तैयारी हो रही है तो  निधि स्वयं को विक्टिम साबित करने की कोशिश कर रही हैं। जहां तक मेरा मानना है के निधि राजदान ने विषय को गंभीरता से समझे बिना कथित ईमेल का परीक्षण किए बिना शेखी बघारने के चक्कर में खुद को इस मामले में उलझा लिया है। मित्रों जब भी आपको आप को लुभावने मेल मिलें तो हमें सबसे पहले उस ई-मेल  का आईपी ऐड्रेस ऑनलाइन चेक कर लेना चाहिए चाहे आप तकनीकी के कितने भी कच्चे खिलाड़ी हैं आपको आईपी एड्रेस चेक करने वाली सैकड़ों वेबसाइट इस दिशा में मदद कर सकती हैं। दैनिक जीवन में ई संदेशों का आना-जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है 2006  में जब मैं इंटरनेट से जुड़ा था तब ही मुझे इस बात का ज्ञान हो चुका था कि किसी भी तरह की धोखेबाजी से बचने के लिए सबसे पहले हमें किसी भी लिंक वेबसाइट ई-मेल के आईपी एड्रेस को चेक कर लेना चाहिए।
कोशिश यही कर लेनी चाहिए कि इस तरह के लुभावने संदेशों पर प्रथम दृष्टया विश्वास न किया जाए।

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