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4.11.10

अंतर्जाल के : सुकुमार गीतकार राकेश खण्डेलवाल

सुपरिचित ब्लागर राकेश खण्डेलवाल के गीत-कलश वाक़ई वो अक्षय कलश है जो कभी रीत ही नहीं सकता, 2005 से निरंतर ब्लागिंग कर रहे राकेश जी का यह गीत
आज फिर गाने लगा है गीत कोई
खुल गये सहसा ह्रदय के बन्द द्वारे
कोई प्रतिध्वनि मौन ही रह कर पुकारे
और सुर अंगनाईयां आकर बुहारे
आ गई फिर नींद से उठ आँख मलती रात सोई
आज फिर गाने लगा है गीत कोई (आगे पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिए)
यही गीत श्री राकेश खण्डेलवाल जी के ब्लाग से साभार पाडकास्ट


                                                      स्वर:अर्चना चावजी     

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