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गुरुवार, अगस्त 03, 2023

पाकिस्तान में अधिकार सम्पन्न महिलाएं

 "अधिकार संपन्न कलस जनजाति की महिलाएं...!"
पाकिस्तान में महिला अधिकारों को लेकर हम सब केवल इतना जानते हैं कि वहां महिलाओं को अधिकार नहीं है। परंतु हिंदूकुश पर्वत माला में निवास कर रही कलस जनजाति जिसकी जनसंख्या 2018 के मुताबिक केवल 4000 थी जो अब बढ़कर लगभग 6000 है। कलस जन जाति में महिलाओं की स्थिति पाकिस्तान के अन्य स्थानों की अपेक्षा बेहतर है। यह जनजाति अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा पर कैलाश वैली के नाम से प्रसिद्ध है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा राज्य के चितराल जिले बुमबुरेत,रूमबुर,बिरर, नामक स्थानों में 
कलस जनजाति निवास करती है।
अफगानिस्तान में नूरिस्तानी जनजाति भी इसी जनजाति की एक शाखा है।
कलस जनजाति महिला प्रधान जनजाति है जहां किसी की मृत्यु पर एक अजीबो गरीब रस्म भी अदा की जाती है। पाकिस्तान में इस जनजाति को काफिर माना जाता है।
इस जनजाति में मृत्यु के समय मृत्यु भोज के रूप में बकरियों की बलि देकर अधिक से अधिक दूरदराज के गांवों मैं रहने वाले लोगों को खिलाया जाता है। जनजाति के लोगों का मानना है कि वह किसी को भी हंसी खुशी के साथ विदा करने पर विश्वास रखते हैं।
लोगों का मानना है कि यह जनजाति सिकंदर के साथ ईरान से अखंड भारत में आई थी तो कुछ लोग यह मानते हैं कि डीएनए के हिसाब से वह हिंदुस्तान से पलायन करके पहाड़ियों पर निवास करने लगी है। इस जनजाति के तीन त्यौहार होते हैं एक त्योहार शीत ऋतु प्रारंभ होने के पहले मनाया जाता है जिसमें अपने आराध्य से यह आव्हान किया जाता है कि यह शीत ऋतु उन्हें सुख प्रदान करें। यह त्यौहार जोशी त्यौहार कहलाता है। दूसरा त्यौहार शीत ऋतु के उपरांत मनाया जाता है जिसे उचाव कहते हैं, यह शीत ऋतु के समाप्त होने के उपरांत मनाया जाता है और ईश्वर को इस त्यौहार के माध्यम से उत्सव मना कर धन्यवाद दिया जाता है और यह कहा जाता है कि आपने इस शीत ऋतु में हमें सुरक्षा दी हम आपके आभारी हैं। एक अन्य त्यौहार जिसे कैमोस कहते हैं यह 14 दिनों तक मनाया जाता है। यह त्यौहार युवाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। युवा लड़कियां अपना मनपसंद पति चुनती है और  उसके घर चली जाती है। उसके कुछ दिनों के बाद वर पक्ष की ओर से वधु के घर उपहार भेज कर विवाह की पुष्टि की जाती है।
  यह परंपरा हमारे देश के छत्तीसगढ़ की जनजातियों में प्रचलित घोटूल व्यवस्था की तरह ही है।
जन्म के समय प्रसूता को गांव के बाहर बने एक भवन में 14 से 15 दिन तक रखा जाता है। वहां पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित है। रजस्वला लड़कियों एवं महिलाओं  को भी 3 से 4 दिन तक इसी भवन में रहना होता है।
  कलस जनजाति के परिवार ताजा फल सूखे मेवे तथा अनाज में गेहूं आधारित व्यंजन उपयोग में लाते हैं।
कलस जनजाति के परिवारों में औसत उम्र पाकिस्तान की आबादी की औसत उम्र से अधिक होती है।
इस संबंध में अपनी बात कहते हुए जनजाति की एक लड़की ने बताया कि हम प्रकृति से प्राप्त भोजन ग्रहण करते हैं तथा हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करते हैं साथ ही हम किसी का अपमान नहीं करते इस कारण ही हम सुंदर और लंबी उम्र पाते हैं।
  कलस जनजाति अपने लिए कपड़े स्वयं बनाते हैं यहां महिलाओं की पोशाक बहुत सुंदर तरीके से डिजाइन की जाती है। कलस जनजाति की महिलाएं चितराल जिले के चितराल नगर बाजार से कपड़े  खरीद अपनी पोशाक तैयार करती हैं।
पाकिस्तान के लोग इन्हें अपवित्र मानते हैं क्योंकि यहां के लोग शराब का सेवन करते हैं तथा महिलाओं को अधिक अधिकार प्राप्त हुए हैं जो पाकिस्तानी संस्कृति के विरुद्ध है।कलस जनजाति के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस जनजाति में महिलाएं स्वच्छंद यौनाचार में संलिप्त है। इस तरह की अफवाह एवं असमानता को देखते हुए जनजाति के लोग पाकिस्तान से आने वाले सैलानियों से नाराज हैं।
पाकिस्तान में जनजाति विकास के लिए कोई सरकारी कार्यक्रम के बारे में अब तक कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई।
कलस जनजाति का धर्म- इनका धर्म भारतीय, हिंद-ईरानी धर्मों से मिलता जुलता है। कलस  एकेश्वरवाद को मानते हैं। पैगंबरवाद पर इनका विश्वास नहीं है।
    कुछ लोगों की मान्यता है कि इस जनजाति के लोग सिकंदर के सैनिकों के वंशज हैं तथा इनका धर्म यूनानी है। नवीनतम रिसर्च से ज्ञात होता है कि यह प्राचीन भारतीय ईरानी परिवारों से संबंध हैं।

पाकिस्तान जैसे राष्ट्र में इनकी संख्या कम होना स्वभाविक है इस जनजाति से धर्म परिवर्तन हुआ है। इस जनजाति के लोग धर्म परिवर्तन को गलत मानते हैं। संस्कृति बची हुई है उसमें संघर्षशील परिवारों का महत्वपूर्ण योगदान है यह चकित कर देने वाला तथ्य है।

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