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रविवार, जनवरी 22, 2023

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने सिद्ध कर दिया कि सनातन विज्ञान भी है


एक अजीबोगरीब सी परेशानी झेल रहे हैं जो सनातन के संबंध में हमेशा नकारात्मक भावना रखते हैं। इन सब का कारण बन गए हैं पंडित धीरेंद्र शास्त्री, मात्र 27 वर्ष की उम्र में विश्व में चर्चित होने तथा हनुमान जी के अमर होने का प्रमाण बन चुके, शास्त्री जी उनके पूर्वजों द्वारा स्थापित अथवा व्यवस्थित किए गए हनुमान मंदिर के संदर्भ में उल्लेखनीय भी बन चुके हैं। 1996 में जन्मे इस युवा आध्यात्मिक व्यक्तित्व ने दुनिया में बहुत ही कम समय में सनातन के पक्ष में अद्भुत वातावरण तैयार कर दिया है। रामायण को काल्पनिक तथा रामायण के पात्रों को कथा का काल्पनिक पात्र मान लेने वाले लोगों के लिए बड़ा सरदर्द बन चुके हैं।
धीरेंद्र शास्त्री क्या करते हैं..?
युवा कथावाचक शास्त्री जी एक पर्चे पर सामने आए हुए व्यक्ति जीवन से जुड़े कुछ मुद्दों को सामने रखते हैं। और उसे अभिव्यक्त भी करते हैं उतना ही अभिव्यक्त करते हैं जिससे व्यक्ति की निजता समाप्त ना हो। लोग उनके पास अपनी समस्या लेकर जाते हैं।  धीरेंद्र शास्त्री के सामने खड़ा हुआ व्यक्ति उनसे सहमत हो जाता है। जितने भी प्रकरण अब तक देख पाया हूं किसी भी अर्जी लगाने वाले ने उनकी बातों पर अविश्वास प्रगट नहीं किया।
  धीरेंद्र जी जो करते हैं उसका मतलब क्या है?
वीरेंद्र एक सामान्य व्यक्ति हैं जो अतिंद्रीय परीक्षण करने में सक्षम है। वह किसी के मस्तिष्क में क्या चल रहा है इस तथ्य का भली-भांति मूल्यांकन कर लेते हैं अगर इसे हम धर्म से न भी जोड़े तो यह एक अतींद्रिय विज्ञान है। कुछ दिनों पहले कुछ वीडियो देखें जो एक युवा लड़की के थे। वह सुहानी शाह  बालिका किसी भी व्यक्ति के फोन नंबर इत्यादि का विवरण सामने रख देती थी। यहां तक कि वह उसके मस्तिष्क में चल रहे विचारों को भी सामने प्रस्तुत कर देती थी। उसे महाराष्ट्र के कई पुलिस अधिकारियों के सामने प्रदर्शन हेतु बुलाया जाता रहा है। उनके कई शो होते हैं. इन दौनों सुहानी और धीरेन्द्र जी , सूक्ष्म रूप से परकाया में अवस्थित मष्तिष्क में प्रवेश करतें हैं और उसमे चल रहे विचार-प्रवाह को पढ़ लेते हैं.  
   साइकोलॉजिकल परीक्षण करने में सक्षम थी। इसे ईश्वर की कृपा या एक साइक्लोजिकल अरेंजमेंट यह आपके ऊपर है।
  जहां तक धीरेंद्र जी का प्रश्न है उनको उनके ईष्ट हनुमान जी के भक्त होने के कारण नकारा जाना किस हद तक उचित है।
केवल विज्ञान ही सर्वोपरि है तब हमारे मस्तिष्क में अच्छे बुरे विचारों का प्रवाह कहां से होता है?
इस बिंदु पर विचार करने पर महसूस होता है कि जो हमें अंतस की प्रेरणा जिसे अंग्रेजी में इनट्यूशन कहते हैं कैसे मिलती है?
     मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि हमारे मस्तिष्क में प्रतिदिन 2000 से अधिक विभिन्न प्रकार के विचारों का प्रवाह होता है। हम जब कविता लिखते हैं तब रचना प्रक्रिया के दौरान हमारे मस्तिष्क में जो भी कुछ उत्पादित होता है उसे हम अपने शब्दों के साथ सामने रख देते हैं । यह सत्य है कि-" हमारे मस्तिष्क में प्रवाहित सारे विचार काल्पनिक भी होते हैं जो संयोगवश कभी सत्य हो जाते हैं और कभी असत्य रह जाते हैं।"
लेकिन बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री के किसी भी तथ्य में गलती नहीं होती। और वह स्वीकारते हैं कि वह सक्षम नहीं है ईश्वर उन्हें प्रेरित करते हैं। और जो वह कहते हैं वही सत्य हो जाता है। लोगों से वार्ता के दौरान पता चला कि बागेश्वर धाम के पंडित युवा विद्वान शास्त्री भले ही अंग्रेजी न जाने परंतु इस अतिंद्रीय सनातन विज्ञान से भली-भांति परिचित है। एक रिटायर्ड आईएएस अफसर उन पर अवैध भूमि कब्जे की बात कर रहे हैं। उनका आरोप हो सकता है सही है परंतु इसका निराकरण मीडिया ट्रायल पर नहीं किया जा सकता है इसका निराकरण प्रशासनिक व्यवस्था द्वारा किया जा सकता है। एक रिटायर्ड आईएएस का यह कहना कि उनके द्वारा भूमि अतिक्रमण की गई है तो मेरा यह प्रश्न है कि किन कारणों से प्रशासन उस पर ध्यान नहीं दे रहा। वास्तव में यह एक तरह से उस प्रतिभाशाली  देवदूत के विरुद्ध षड्यंत्र कारी वक्तव्य है। 
    कोशिश की जाए तो हम ऐसी अतिंद्रीय शक्तियां सनातन में वर्णित साधनों से कर सकते हैं। और अधिक लोग ऐसा कर सकते हैं. 
       सुहानी शाह अज्ञानता वश ईश्वरीय सत्ता से किनारा कर रही हैं. जबकि धीरेन्द्र सरीखे लोग आस्था को  प्रबल बना रहे हैं. सुहानी लोकायती है और धीरेन्द्र विश्वासी . ठीक वैसे ही जैसे मेरा चपरासी कहता है कि -साहब आप मेरे मालिक हो आप मुझे वेतन देते हो. जबकि मैं उससे कहता हूँ वेतन तुमको और मुझको सरकार देती है, मैं केवल माध्यम हूँ.  
इन दौनों सुहानी और धीरेन्द्र जी में फर्क क्या है...?

इन दौनों सुहानी और धीरेन्द्र जी में फर्क क्या है...?

1. सुहानी : स्वयम को मैजीशियन कहती है

2. धीरेन्द्र : स्वयम को शून्य मानते हैं. ईश्वर को श्रेय देते हैं

3. सुहानी : पैसा लेकर शो करती है.

4. धीरेन्द्र : धीरेन्द्र ऐसा नहीं करते .

5. सुहानी : सुहानी नंबरों/अक्षरों/नामों पर केन्द्रित हैं  

6. धीरेन्द्र : धीरेन्द्र, नंबरों/अक्षरों/नामों के साथ साथ विवरणात्मक तथ्य रखतें हैं. 

7. सुहानी एवं धीरेन्द्र में टेलीपैथिक-संवेग के संचार  की क्षमता है.

8. दौनों ही साय्क्लोज़िष्ट नहीं हैं.  

इस मुद्दे पर एक तथ्य है और स्पष्ट है कि बागेश्वर के इन युवा योगी माइंड रीडिंग के ही नहीं बल्कि परिस्थितियों का भी अवलोकन कर लेते हैं। वे लंबे-लंबे स्टेटमेंट लिख कर दर्शनार्थियों को देते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि सुहानी अथवा इसी तरह के काम करने वाले माइंड रीडर मैजिशियन के सवालों का संक्षेप में उत्तर देते हैं।

सामान्य माइंड रीडर वैकल्पिक रेमेडीज पर विचार नहीं कर पाते जबकि वे ऐसा करते हैं। क्योंकि वह मेडिसिन अथवा अन्य किसी तरह के विकल्प नहीं बता सकते अतः बागेश्वर महाराज जी केवल ईश्वर आराधना मंत्र जाप इत्यादि के संबंध में जानकारी देते हैं। जो ठीक है इस आधार पर अंधविश्वास फैलाने का मामला कैसे बन सकता है?

 

   

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