4.10.22

अगर हमारे सींग होते..!




  अगर हमारे सींग होते तब क्या होता ? कभी सोचा है आपने ?
सोचा तो हमने भी न था पर शहर की सजावट और दुर्गा उत्सव की हलचल देखते हुए अचानक फुटपाथ पर बोरा बिछा कर बैठे एक विक्रेता से हमारी श्रीमती जी ने सींग  खरीदने की इच्छा जाहिर की..?
हमने कहा - इसकी जरूरत कहां है आपको .. पिछले बरस तो हम आपकी जीभ की पूजा कर अपनी विजयादशमी को सिद्ध कर चुके थे परंतु इस बार मैं नहीं चाहता कि आप इस तरह का कोई शस्त्र खरीदें..!
  ऑटो रोककर हमने वही किया उन्होंने तय किया था। मनुष्य प्रस्तावित करता है और उसका निराकरण ईश्वर करता है यह कहावत बिल्कुल झूठी है पति-पत्नी के संदर्भ में। पति प्रस्तावित करता है पत्नी उसे डिस्पोज करती है। और पति की क्या मजाल की पत्नी द्वारा प्रस्तावित कोई भी प्रस्ताव निर्णायक मोड़ पर न ला सके..? मेरी अकेले की आत्मकथा नहीं है।
तुम पढ़ रहे हो ना अगर विवाहित पुरुष तो तुम्हारी यही समस्या है लिख कर दे दूं.. ? धोखे से कुंवारे लड़के अगर इस विवरण को पढ़ रहे होंगे अपने सोना बाबू वाले इवेंट मुक्त होकर तो भैया जान लो यह तुम्हारा भी भविष्यफल है। सोना बाबू वाला लफड़ा जब से युवाओं के बीच पनप रहा है जब से लड़के इस समस्या के अभ्यस्त हो गए हैं।
चलो मूल विषय पर आते हैं। अगर    
    हमारे सींग होते तो क्या होता और क्या न होता...?
   हमने इस बारे में श्रीमती जी से पूछ लिया कि अगर वास्तव में हमारे सींग होते तो क्या होता..?
" क्या ही होता एक तो  सूट सिर में घुसाने में बड़ी तकलीफ होती। और क्या ब्यूटी पार्लर का खर्चा दुगना हो जाता । केश सज्जा के साथ-साथ सींग सज्जा के लिए बजट तुम्हारा कि बिगड़ता मुझे क्या? यह कहकर वे अपने कामकाज में व्यस्त हो गई।
  बात तो सही है अगर सींग होते तो कितनी ही मजबूत माचो बनियान होती जल्दबाजी में फट जाती और नुकसान हमारा ही होता। सबसे ज्यादा परंपरागत बनने वालों का नुकसान होना तय था। जैसे कोई बुजुर्ग दादाजी सिर हिला हाथ हिला बस कुर्ते में छेद
हां यह बात सही है अब शब्दों का प्रयोग नहीं होता डायरेक्ट सींग से जवाब दिया जाता। सरकार को इंडियन पैनल कोर्ट की धाराओं में बदलाव लाना पड़ता ।
   जब किसी से नाराजगी के बाद बहुत दिनों बाद मिलो तो उसका यही वाक्य होता है-" आजकल तुम हमसे मिलते ही नहीं क्या हमारे सींग निकले हैं..?
  या फिर कोई यह भी पूछता है -"कहां नदारद थे, गधे के सिर पर सींग की तरह गायब..!"
   इस तरह के सवालों का कोई औचित्य न रह जाता।
   सींगों की मौजूदगी में सबसे ज्यादा तकलीफ हमारे शारदा  अथवा हमारे अन्य की सज्जाकारों  को होती ।
शारदा भैया पूछ ही लेते:-" तुमाए बांए बाजू वारो सींग तनक बैंड सो हो गओ , कौनों अच्छे डांक्टर को काय नईं दिखाते ?
   घर में आने जाने वाले आगंतुक पति-पत्नी के चेहरे के भाव से आजकल अंदाज लगा लेते हैं-" कि किस स्तर पर द्वंद हुआ है ?" और अगर मनुष्य प्रजाति के सींग होते तो लोग सींग की स्थिति देख कर अनुमान लगाते।
   मेरे एक योग मित्र से पूछा कि भाई अगर ऐसा होता तो क्या होता?
  होना क्या था शीर्षासन लगना बंद हो जाता।
   मास्टर साहब को टेंशन होती अब गुड्डी कैसे तनवाएं..!
    दीपावली पर हम अपने लोगों पर बेहतरीन कलर करवा सकते थे अगर सींग होते तो। दिवाली के दूसरे दिन फिर  बैल गाय बछड़े का क्या काम..!
पॉलीटिशियंस के संदर्भ में सोचा जाए जिसके जितनी मजबूत सींग उसके उतने विधायक पीएम तो वह पक्का अब मौका लगे तो प्राइम मिनिस्टर।
  ब्यूरोक्रेसी के बारे में कुछ नहीं कहूंगा उसी का हिस्सा हूं। जो मैंने कहा है उसे आप स्वयं कह लीजिए मुस्कुराइए हंसी है हंसते रहिए वैसे एक बात बता दूं   अपने कान जरा पास लाना.. हमारे तो परमानेंट निकले किसी को बताना नहीं।
*यह आर्टिकल केवल हास्य-विनोद के लिए लिखा गया है, कोई से क्रोधित होकर मेरी और अपने  सींग लेकर न दौड़ना भाई. लेखक हूं मेरी कलम ज्यादा घातक हो सकती है इन काल्पनिक सींगो की तुलना में*
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