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बुधवार, सितंबर 07, 2022

अदम्य साहस और संघर्ष की प्रतिमूर्ति : वीरांगना नीरजा भनोट

"अदम्य साहस और संघर्ष की प्रतिमूर्ति : वीरांगना नीरजा भनोट" (आज जयंती पर सादर समर्पित)
 वीरांगना नीरजा भनोट प्रथम भारतीय सबसे कम उम्र की महिला थीं जिन्हें मरणोपरांत - भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान अशोक चक्र (शांति काल में - सैनिक एवं असैनिक क्षेत्र) - प्रदान किया गया था। अदम्य साहस और संघर्ष का दूसरा नाम नीरजा भनोट (Neerja Bhanot)है। जयंती पर शत् शत् नमन है। नीरजा भनोट ने 1986 में ‘पैन एम 73’ फ्लाइट में 360 लोगों की जान बचाई थी। नीरजा भनोट (Neerja Bhanot) का जन्म 7 सितंबर 1963 को पत्रकार पिता हरीश भनोट (Harish Bhanot) और माता रमा भनोट (Rama Bhanot) के घर हुआ था। इनके माता पिता नीरजा को प्यार से लाडाे कह‍कर पुकारते थे। नीरजा की शादी 22 साल की उम्र में हो गई थी लेकिन दहेज के कारण परेशान किये जाने की वजह से नीरजा ने अपने पति का घर छोड का मुम्बई वापस आ गईं। मुंबई आने के बाद उसने पैन एम एयरलाइन्स(Pan Am Airlines) ज्वाइन कर लिया। इस दौरान नीरजा ने एंटी-हाइजैकिंग(Anti-Hijacking) कोर्स भी किया। एयर-होस्टेस(Air-hostess) बनने से पहले उन्होंने  बिनाका टूथपेस्ट, गोदरेज बेस्ट डिटरजेंट, वैपरेक्स और विको टरमरिक क्रीम जैसे उत्पादों के लिए मॉडलिंग की थी नीरजा सबसे युवा और प्रथम महिला थीं, जिन्हें अशोक चक्र मिला (मृत्यु उपरांत) अशोक चक्र भारत का सर्वोच्च वीरता का पदक हैअशोक चक्र (Ashok Chakra) के साथ-साथ नीरजा को अमेरिका द्वारा फ्लाइट सेफ्टी फाउंडेशन हिरोइजम अवॉर्ड (Flight Safety Foundation Award ) और पाकिस्तान द्वारा तमगा-ए-इंसानियत (tamgha-e-insaniyat), इसके अलावा जस्टिस फॉर क्राइम्स अवॉर्ड (Justice For Crimes Award ), यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नीज ऑफिस फॉर द डिस्ट्रिक्ट ऑव कोलंबिया, स्पेशल करेज अवॉर्ड, यूएस गवर्नमेंट और इंडियन सिविल एवियेशन मिनिस्ट्रीज अवॉर्ड (Indian civil aviation ministry Award) जैसे सम्मानों से भी नवाजा गया5 सितंबर 1986 को नीरजा मुंबई से न्यूयॉर्क (New York) जाने वाले विमान में सवार हुईं। विमान में नीरजा सीनियर पर्सन के तौर पर तैनात थीं ।इस विमान को 4 आतंकियों ने कराची(Karachi) में हाईजैक कर लिया था। जिस समय विमान हाईजैक हुआ था उस समय विमान में 380 लोग सवार थे। विमान में आतंकवादी के होते हुए भी नीरजा ने अदम्य साहस दिखाया और विमान के आपातकालीन दरवाजे को खोलकर विमान में सवार 360 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। नीरजा जब विमान से बच्चों को बाहर निकाल रहीं थी उसी वक्त एक आतंकवादी ने उन पर बंदूक तान दी, और मुकाबला करते हुए वीरांगना नीरजा का वहीं बलिदान  हुआ। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीरजा का हीरोइन ऑव हाईजैक के तौर पर प्रसिद्ध हैं। वर्ष 2004 में भारत सरकार(Indian government) ने एक डाक टिकट भी जारी किया था।वीरांगना नीरजा भनोट न केवल भारत वरन् विश्व की श्रेष्ठतम वीरांगनाओं में अपना पृथक स्थान रखती हैं।
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डॉ. आनंद सिंह राणा, श्रीजानकीरमण महाविद्यालय एवं इतिहास संकलन समिति महाकौशल प्रांत

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