16.5.22

पूजा स्थल ( विशेष उपबंध ) अधिनियम 1991 पुनरीक्षण योग्य क्यों..?

    इस  अधिनियम को पुनरीक्षित करने की जरूरत है क्योंकि इसमें सेक्युलरिज्म का कोई घटक नजर नहीं आता . इसके हमें हमारे ऐतिहासिक  महत्व के स्मृति-चिन्हों का भी संरक्षण करना चाहिए. 

प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष, अधिनियम, 1958

 का महत्व कम न हो इस वास्ते हम सदा प्रयास करें . आज़ादी के पूर्व या बाद की स्थिति का आधार देकर हमें तुष्टि के प्रयासों से बचना चाहिए. यदि समस्या का निदान जड़ से न किया तो भविष्य में हम दोषी साबित होंगे. पूजा स्थल अधिनियम भयातुर होकर बनवाया या बनाया अधिनियम है. इसे गंभीरता से विचार कर पुनरीक्षित करना संसद का दायित्व है . 
       विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग सनातन शास्त्रों /साहित्य में वर्णित है. सनातन साहित्य कल्प नहीं उनमें घनीभूत तथ्यों को  नकारना मूर्खता है. ग्रंथों में  लिखे हुए तथ्य वास्तविकता से मेल खाएं तो प्राचीन इतिहास की सत्यता को जानने के लिए अन्य किसी  प्रमाण की ज़रूरत नहीं होती. . 

    
                             



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