28.2.22

"भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का प्रवेश द्वार 16000 वर्ष ईसा पूर्व..! आन लाइन रिलीज़ महाशिवरात्री 1 फरवरी 2022 "

    (ShriHind Prakashan Ujjain )
भारत का सांस्कृतिक विकास कब और कैसे हुआ और किसने किया...? यह आज तक अनुत्तरित सवाल है। मैक्समूलर जैसे पश्चिमी विचारकों ने भारत के प्राचीन इतिहास को ईसा के 1500 वर्ष तक सीमित कर दिया । जो मेरी दृष्टि में  सर्वथा भारत वर्ष के साथ एक अन्यायपूर्ण कार्य रहा है । उदाहरण के लिए अवगत होवें कि –“जिस नदी के तटों पर वेद श्रुति के रूप में विद्वत जन द्वारा लिखे गए वह  सरस्वती नदी की  विलुप्ति 10000 वर्ष पूर्व हो चुकी थी जबकि विदेशी विचारक और भारतीय साहित्यकार क्रमश: श्रीयुत रामधारी सिंह जी दिनकर एवं यायावर बुद्धिष्ट विद्वान श्री राहुल सांकृत्यायन ने भी मैक्समूलर जी के सुर में सुर मिलाते हुए हमारी सभ्यता के विकासानुक्रम को ईसा के 1500 साल पूर्व तक सीमित किया है ।” इतना ही नहीं  श्रीयुत रामधारी सिंह जी दिनकर जी ने अपनी कृति “संस्कृति के चार अध्याय में तो राम को लोक कथाओं का नायक सिद्ध किया है ।” 
श्रीयुत विष्णु श्रीधर वाकणकर जी ने मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी एवं भारत में जीवन  की मौजूदगी 1.75 लाख साबित कर चुके हैं ।  
 इन सभी सवालों के जवाब जानने इस पुस्तक को लिखा है ।  ताकि हम जान सकें कि  हमने अपना विकास कब  और  कैसे किया ? 
इस पुस्तक में भारत के वैभवशाली सांस्कृतिक विकास का विवरण भी दर्ज है। 
आजकल  हम-आप नासा के हवाले से कई बातें कहते हैं परंतु हमारे पूर्वज सूर्य सिद्धांतों  के आधार पर नक्षत्र विज्ञान की व्याख्या करते हुए भविष्य की घटनाओं जैसे ऋतु परिवर्तन ग्रहण, ग्रहों का संरेखण, नक्षत्रों की स्थिति का अध्ययन एवं परिणाम बता देते थे । कम लोग ही जानते होंगे कि- सबसे सटीक सूर्य सिद्धांत किसने लिखा ? इस सूर्य सिद्धांत (नक्षत्र-विज्ञान) के लेखक मयासुर नामक असुर प्रजाति के विद्वान थे। यही नक्षत्र विज्ञान का अद्भुत ज्ञान का भंडार निमिष निमिष का हिसाब देता था। बेचारे गैलीलियो को तो  बड़ी जद्दोजहद के बाद सिद्ध कर पाए कि  पृथ्वी गोल है लेकिन इसके पहले ही पौराणिक कथाओं में  वराह का विवरण दर्ज़ हो चुका था । आपने यकीनन   वराह के चित्र पर गेंद पृथ्वी गोल की आकृति देखी ही होगी यानी भारतीय नक्षत्र विज्ञान हजारों हजारों वर्ष पहले तय कर चुका था कि पृथ्वी गोल है।
अखंड भारत में  ज्ञान विज्ञान के तमाम बिंदुओं एवं विषयों के पूर्व आज से लगभग 1.75 से 1.5 लाख वर्ष पहले ही मानव की उत्पत्ति हो चुकी थी तथा ईसा के 16000 वर्ष पूर्व सभ्यता का विकास होने लगा था । 
  सांस्कृतिक विकास यात्रा   ज्ञान 4000 या 5000 साल पुराना नहीं है बल्कि भारत की सभ्यता का विकास लाखों  वर्ष पहले भारत में ही हुआ है और सांस्कृतिक विकास 16000 वर्ष ईसा पूर्व हुआ है। मेरे कृति "भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का प्रवेश द्वार 16000 वर्ष ईसा पूर्व..!" ऐसे ही कई बिन्दुओं एवं विषयों पर केन्द्रित है ।   
यह पुस्तक आन लाइन मार्केटिंग साइट्स  पर  01 मार्च 2022 से उपलब्ध होगी । इसकी प्री बुकिंग भी संभव है।  
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
girishbillore@gmail.com
9479756905

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