12.1.22

ग़ज़ल : उनके फनों को अब तो कुचलने का वक्त है ।।

मौसम बहुत ही सर्द है, सम्हलने का वक्त है 
हर इक कदम फूँक के, चलने का वक्त है ।।
कीड़े खत्म हो  गए, इन झाड़ियों से अब-
गिरगिट का फैसला,जगह बदलने का वक्त है ।।
जाने टिकट दें कि ना दें आला हजूर आप
वो सोचने लगा है, दल बदलने का वक्त है ।।
मसलों को मसलने का हुनर, सीखा है आपसे
उसी हुनर से आपको, मसलने का वक्त है ।।
फ़नकार भी उगलने लगे ज़हर सुबहो-शाम,
उनके फनों को अब तो कुचलने का वक्त है ।।


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