25.7.21

आजाद जबलपुर आए थे...प्रो आनंद राणा




इतिहास  संकलन समिति महाकोशल प्रांत की ओर से शोध के आलोक जबलपुर के इतिहास में पहली बार यह तथ्य सामने आया कि महा महारथी श्रीयुत चंद्रशेखर आजाद जबलपुर गुप्त प्रवास पर महा महारथी श्रीयुत प्रणवेश चटर्जी के यहाँ आए 🙏🙏.. इस चित्र पंडित जी की शहादत के बाद क्रांतिकारियों ने "आजाद मंदिर" के नाम से बनाया था..


 महारथी रामप्रसाद बिस्मिल पंक्तियाँ कितनी सटीक बैठती हैं.. "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.. देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है".. काकोरी कांड या षड्यंत्र नहीं है या लूट नहीं है (जैंसा कि अंग्रेजी इतिहासकारों और उन पर आश्रित कांग्रेस पोषित कतिपय भारतीय इतिहासकार और मार्क्सवादी इतिहासकारों ने लिखा है..इन लोगों ज्यादती तो देखिये कि इन लोगों ने क्रांतिकारियों को आतंकवादी कह डाला ) काकोरी यज्ञ है जिसमें क्रांतिकारियों ने लुटेरे अंग्रेजों से अपनी पवित्र आहुतियां देकर धन का अधिग्रहण कर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया..


पंडित जी ने..भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम सेना बनायी (एच. एस. आर. ए.).. आजाद के नेतृत्व में लाला जी के हत्यारे का साण्डर्स का वध.. असेंबली में बम..सरदार भगतसिंह और रूस जाने के संबंध में आनंद भवन में नेहरू जी से मिले.. कुछ देर बाद ही इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में नाट बावर और पूरी कंपनी के साथ से घेराव.. युद्ध का आरंभ 27 फरवरी 1931.. एक घंटे की जंग फिर केवल एक पिस्तौल में 8 कारतूस और एक मैग्जीन 8 कारतूस.. 15 फायर 1इंस्पेक्टर और 14 पुलिस वालों का सफाया.. घायल महारथी 1गोली और स्वयं शहीद.. आगे प्रश्न बहुत हैं फिर कभी विचार करेंगे.. अभी तो प्रसन्नता का अवसर है 
🙏 🙏 
अवतरण दिवस 23 जुलाई  पर शत् शत् नमन है 
🙏🙏🙏
डॉ आनंद सिंह राणा, इतिहास संकलन समिति महाकोशल प्रांत
 🙏🙏🙏


 

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