2.12.20

एक प्रधानमंत्री अंतर्राष्ट्रीय चूक

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मंगलवार को भारत में किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के बारे में चिंता व्यक्त ( यूट्यूब लिंक ) की । ट्रूडो ने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक या गुरु नानक की 551 वीं जयंती के अवसर पर कनाडाई सांसद बर्दिश चग्गर द्वारा आयोजित एक फेसबुक वीडियो कांफ्रेंस में भाग लेते हुए ये चिंता जाहिर की। उनके साथ कनाडा के मंत्री नवदीप बैंस, हरजीत सज्जन और सिख समुदाय के सदस्य शामिल थे। ट्रूडो ने कहा, “अगर मैं किसानों द्वारा विरोध के बारे में भारत से आने वाली खबरों की बात करूं स्थिति गंभीर है और हमें चिंता है। ट्रूडो ने कहा "आपको याद दिला दूं, शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा खड़ा रहेगा। हम बातचीत के महत्व पर विश्वास करते हैं और इसीलिए हम अपनी चिंताओं को उजागर करने के लिए सीधे भारतीय अधिकारियों के पास कई माध्यमों से पहुंच गए हैं।
 जस्टिन का यह भाषण केवल भारतीय मूल के कैनेडियन नागरिकों को संतुष्ट करने  वाला  वक्तव्य है जो उन्हें आगामी समय में राजनैतिक   लाभ दिला सकता है । वैसे भी कनाडा के आगामी आम चुनावों की परिस्थितियां जस्टिन  तू डूब के अनुकूल नहीं है। परंतु श्रीमती प्रियंका चतुर्वेदी जी ने जस्टिन ट्रूडो की इस हरकत पर ट्वीट करते हुए भारतीय मामलों में हस्तक्षेप ना करने की स्पष्ट  संदेश दिए  और आंतरिक मुद्दे के शीघ्र निपटान के लिए भारत के प्रधानमंत्री महोदय से  अनुरोध किया है। 
    आपको याद होगा जस्टिन ट्रूडो की 2018 वाली भारत यात्रा जिस पर यूट्यूब पर बहुत ज़बरदस्त कॉमेडी पेश करते हुए उनकी यात्रा को एक कलाकार ने डिजास्टर तक की संज्ञा दी डाली
भारत की ओर से फिल्मी कलाकार जस्टिन से मिले 

इस यात्रा को ना केवल विश्व में याद रखा है बल्कि Justin trudeau की आने वाली पीढ़ियों का इतिहास भी यही होगा।
   मुझे तो लगता है कि कैनेडियन प्रधानमंत्री के दिल का 2018 वाला
घाव अभी तक नहीं भरा है ।
  अपने ही देश में समस्याओं से घिरे जस्टिन के मुंह से भारत को नागरिक अधिकारों का ज्ञान बांटने वाले जस्टिन ट्रूडो को चाहिए कि -" खालिस्तान के समर्थकों को कनाडा आमंत्रित करें वहां की नागरिकता दें  और कनाडा को खालिस्तान के रूप में विकसित करलें । इससे बेहतर विकल्प उनके पास कोई शेष नहीं है अथवा एक और विकल्प है कि वह भारत के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करें ।  वैसे भी भारत में 1 इंच भी भूमि देशद्रोहियों के लिए अब शेष नहीं है। वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह

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