आभार नमन
आज पूर्णिमा है
ॐ रामकृष्ण हरि:
गुरुवर का जन्मपर्व मना रहा हूँ आप सबके साथ ।
29 नवम्बर को मेरा जन्मपर्व था । आप सब ने मुझे व्यक्तिगत रुप से उपस्थित होकर / टेलीफोन कॉल कर/ वीडियो आडियो के जरिए तथा सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं देने वाले शब्दों से युक्त उत्साहवर्धक और जीवन में जीने की जिजीविषा को नव संचार देने वाली शुभकामनाएं भेजीं । कुछ टेलीफोन कॉल शाम के बाद अचानक स्वास्थ्य खराब होने के कारण मैं रिसीव नहीं कर सका ब्लड प्रेशर का अचानक बढ़ जाना जरा दुखद रहा क्षमा चाहता हूं।
आप सब के शुभकामना संदेश के प्रति एवं विविध प्रकार की कलात्मक तरीके से अभिव्यक्त भावनाओं का सम्मान करता हूं। उन बच्चों का विशेष रूप से हार्दिक आभार और उन्हें अनवरत स्नेह देना चाहता हूं जिन्होंने अपने स्वरों में गीत उच्च स्तरीय शब्दों में कविता संप्रेषित की हैं ।
जीवन का आलाप यानी मेलोडी ऑफ लाइफ़ यही है। मैं ऐसे किसी स्वर्ग की कल्पना नहीं करता जहां ग्रंथों में वर्णित दृश्य होते हैं। धरती पर ही सब कुछ है स्वर्ग भी...। सनातन अध्यात्म और दुनिया भर की विचारधाराएं अब स्वीकारने लगी हैं कि.. स्वर्ग कहीं है तो इस धरा पर ही है। मन में मानस में चिंतन में अगर शुचिता और निष्कपट प्रेम हो तो सब कुछ संभव है हां स्वर्ग का धरा पर होना भी । गुरुदेव कहते हैं प्रेम ही संसार की नींव है..!
अपनी स्वर्गीय मातुश्री पिताश्री भाईयों एवं संतानों से पहले परमपिता परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ हूं जिन्होंने मुझे पृथ्वी पर अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए भेजा है। नेति नेति ब्रह्म के प्रति कृतज्ञता के साथ परिवार जन , बिल्लोरे कुटुम्ब, चौरे परिवार, बालभवन परिवार, अखिल भारतीय नार्मदीय ब्राह्मण समाज, जबलपुर इकाई साहित्य सेवी साथियों, महिला बाल विकास विभाग के सहकर्मियों स्टेडियम ग्रुप नाट्यलोक एवं जानकी रमण परिवार एवं सभी साथियों के प्रति विनम्र कृतज्ञता के साथ नतमस्तक हूं जिनकी शुभकामनाओं ने यह साबित कर दिया कि शुभकामनाएं जीवन को स्वर्ग तुल्य आनंद देती है । यूं तो वे कविता लिखते नहीं है लेकिन यह सत्य है कि वे कविता जीते हैं Satish Billore जी की कविता Suryansh Nema की कविता के साथ यहां प्रस्तुत है
आपका स्नेह पात्र
गिरीश बिल्लोरे मुकुल