7.5.20

गुलाबी चने, यूएफओ किचन, गोसलपुरी लब्दा और लोग डाउन 3.0


लॉक डाउन के तीसरे पार्ट में Udan Tashtari यानी जबलपुरिया कनाडा वाले भाई समीर लाल से जानिए एक ऐसी रेसिपी जो शाम को आप चाय के साथ जरूर ले सकते हैं । इसके लिए आपको काले चने बनाने के आधे घंटे पहले पानी में भिगो लेना और बाकी क्या करना है समीर लाल से जानी है.. समीर लाल जी के चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए अरे भाई किसी दिन मुझसे कोई चूक हो गई तो मुश्किल होगा ना आप तक नई रेसिपी पहुंचेगी कैसे।
याद होगा जब हम स्कूल जाते थे तो उबले हुए चने इसमें नमक मिर्च वाह और हां सूखे हुए उबले बेर का लब्दा बहुत बढ़िया लगता था। सुबह वाले स्कूल में लगभग नो 9:30 बजे लंच ब्रेक होता था। और तब गोसलपुर में स्कूल के सामने इमली के पेड़ के नीचे #लब्दा वाली बऊ दस्सी पंजी की उधारी भी हो जाती थी पर चने वाला दादा बहुत दुष्ट था उधार नहीं देता था। जेब खर्च में मिले चार आने बहुत होते थे भाई। आधे रुपए में यानी अठन्नी में तो बिल्कुल दादा के दुकान नुमा घर में बैठकर चटपटी चाट खा लेते थे। खास बात यह थी कि चाट के साथ पानी भी मिल जाता था। आधी छुट्टी के बाद श्रीवास्तव मशाल अंग्रेजी पढ़ाने आते थे। जो कभी आते ही ना थी। कहां रहते थे क्या होता था उन्हें अंग्रेजी आती भी थी कि नहीं ऊपरवाला जाने। तो क्लास रूम में पहुंचने में किसी भी तरह का डर नहीं था। बड़कुल दादा की होटल जो घर ही था में कितनी भी भीड़ हो बेफिक्री से नाश्ता किया जा सकता था। और हां अगर दो या तीन रुपए का जुगाड़ हो गया तो समझो कि हमसे बड़ा राजकुमार आसपास नजर ही नहीं आता। तो मित्रो बात निकली और दूर तक चली गई चुपचाप इस रेसिपी को याद कर लीजिए। अच्छा कई लोगों को याद भी नहीं रहता तो कोई बात नहीं ऐसा कीजिए भाभी से कहिए किचन में ना घुसे और यूट्यूब पर मौजूद इस वीडियो को चालू करके बना लीजिए चटपटा चना। और एक बात कान में सुन लीजिए सुन रहे हो अब तो आपके अमृत रस की दुकानें भी खुल चुकी हैं उन दुकानों से मंगा लीजिए एक बोतल आधी बोतल अगर आपको शौक है तो और चखने के तौर पर चटपटे काले चने के साथ मिर्जा गालिब बन जाए ध्यान रहे ज्यादा नहीं उतनी ही जितनी रोजिना लेते हो

ग़ालिब ' छुटी शराब , पर अब भी कभी-कभी
पीता हूँ रोज़े-अब्रो-शबे-माहताब में ।
और फिर गुनगुनाए मेरे चंद शेर अरे चलिए पूरी ग़ज़ल की सही यह रही वो ग़ज़ल ताज़ा है -
कुछ और दे ना दे मुझको शराब तो दे दे ।
वह भी न दे खरीदने को माल'ओ असबाब तो दे दे ।।
एहसास ए समंदर हूं, तेरे वज़ूद का -
तू है कहीं, मुझे भी कोई एहसास तो दे दे ।।

मंदिर के ताले बंद हैं, सनम है मिरे घर में ,
तू भी इन्हें कुछ ऐसे ही एहसास तो दे दे ।।

है घुप्प अंधेरा, उसे जाना है बहुत दूर,
तू साथ है उसके, ये ऐसा
आभास तो दे दे ।।

मांगा नहीं है तुझसे कभी, पसारे नहीं हैं हाथ ।
दाता है मुकुल सबको, यह एहसास तो दे दे।
https://youtu.be/Trtd-esCymc

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