#Daughters_Dayबेटी के इरादों से ऊंचा नहीं है एफिल टावर
मेरे कांधे पर जिस बेटी का सिर है वह है Shivani Billore बेटियों पर गर्व करना यह सारी बेटियां अब काम कर रही हैं मुझे गर्व है कि मेरी बड़ी बेटी शिवानी अगले दो-तीन दिनों में कंपनी की ओर से पुनः एक बार विदेश यात्रा पर होगी इस बार शिवानी जा रही है बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में जो बेल्जियम की राजधानी है बीच में उसे उसे दुबई भी जाना था किंतु कंपनी की जो भी परिस्थिति रही हो शिवानी Ey में सीनियर एसोसिएट के पद पर पदस्थ है।
गर्व है और कृतज्ञ हूं शिवानी के गुरुजनों का जॉय किंडर गार्डन के श्री प्रवीण मेबैन जो मेरे मित्र भी हैं के स्कूल में शिवानी की शिक्षा प्रारंभ हुई कठोर अनुशासन मेहनत लगन के साथ श्री प्रवीण मेंबेन ने शिवानी में आत्मविश्वास जगाया तो फिर आगे की जिम्मेदारी निभाई जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने जहां इसकी बुनियाद मजबूत हुई । शिवानी ने मुझे 9 वीं क्लास में ही बता दिया था कि पापा मुझे साइंस नहीं पढ़ना है ।
काफी समझाने के बाद शिवानी ने अपने तर्कों के जरिए मुझे इस बात के लिए कन्वेंस करा लिया कि वह साइंस तो नहीं पड़ेगी और मैं संतुष्ट भी था लेकिन परिवार और समाज के काफी सारी लोग यह समझते थे कि साइंस लेकर पढ़ना ही समय की मांग पता नहीं कैसे शिवानी ने कैलकुलेट किया कि उसे कॉमर्स लेकर पढ़ना चाहिए और वह दृढ़ रही उस के संकल्प के आगे मैं नतमस्तक था मुझे उसका फैसला मंजूर था यह अलग बात है उन सब को बहुत दुख हुआ जिनके सुझाव बेकार चले गए काफी सारे तर्क थे सलाह देने वालों के सभी तर्कों से बचते बचाते शिवानी ने लोगों की सलाह को भी ताक में रख दिया हालांकि हमारे घर में सब कोई साथ नहीं है जहां पर सलाह रखी जा सके मुझे तो लगता है उसे पुर्जे पुर्जे करके उड़ा दिया ।
बच्चे जब समझदार होते हैं तो वे तय करने की क्षमता अपने आप में पनपा लेते हैं सक्षम हो जाते हैं अपने निर्णय क्षमता को मजबूत बनाने में और आपको अभिभावक की हैसियत से सिर्फ इतना देखना होता है कि वास्तव में बच्चा क्या कह रहा है ?
बच्चों को कमतर आंकना वर्तमान परिदृश्य में ठीक नहीं है आप जब भी हम मुखर कम्युनिकेशन कर सकते हैं तो हमने भी उतना ही जबरदस्त कन्वेंट सिंह पावर होना चाहिए जितना उस बच्चे में है और बच्चे को उसकी सोच के अनुसार अवसर देना बहुत जरूरी है बहुतेरे मिडिल क्लास परिवार अपने बच्चों को कोई बात सिखाते हैं और वह बच्चा नहीं मानता तो या तो उदास हो जाते हैं अथवा बच्चे को उदास कर देते हैं दोनों ही स्थिति में नुकसान बच्चे का ही होता है मेरा मानना है कि निर्णय लेने की स्थिति में जब बच्चे आ जाते हैं तो उसे निर्णय लेने दिया जाए परंतु उसके निर्णय को भी समझ लिया जाए और यथासंभव से आप सपोर्ट करें मजबूती दे ।
गर्व है और कृतज्ञ हूं शिवानी के गुरुजनों का जॉय किंडर गार्डन के श्री प्रवीण मेबैन जो मेरे मित्र भी हैं के स्कूल में शिवानी की शिक्षा प्रारंभ हुई कठोर अनुशासन मेहनत लगन के साथ श्री प्रवीण मेंबेन ने शिवानी में आत्मविश्वास जगाया तो फिर आगे की जिम्मेदारी निभाई जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने जहां इसकी बुनियाद मजबूत हुई । शिवानी ने मुझे 9 वीं क्लास में ही बता दिया था कि पापा मुझे साइंस नहीं पढ़ना है ।
काफी समझाने के बाद शिवानी ने अपने तर्कों के जरिए मुझे इस बात के लिए कन्वेंस करा लिया कि वह साइंस तो नहीं पड़ेगी और मैं संतुष्ट भी था लेकिन परिवार और समाज के काफी सारी लोग यह समझते थे कि साइंस लेकर पढ़ना ही समय की मांग पता नहीं कैसे शिवानी ने कैलकुलेट किया कि उसे कॉमर्स लेकर पढ़ना चाहिए और वह दृढ़ रही उस के संकल्प के आगे मैं नतमस्तक था मुझे उसका फैसला मंजूर था यह अलग बात है उन सब को बहुत दुख हुआ जिनके सुझाव बेकार चले गए काफी सारे तर्क थे सलाह देने वालों के सभी तर्कों से बचते बचाते शिवानी ने लोगों की सलाह को भी ताक में रख दिया हालांकि हमारे घर में सब कोई साथ नहीं है जहां पर सलाह रखी जा सके मुझे तो लगता है उसे पुर्जे पुर्जे करके उड़ा दिया ।
बच्चे जब समझदार होते हैं तो वे तय करने की क्षमता अपने आप में पनपा लेते हैं सक्षम हो जाते हैं अपने निर्णय क्षमता को मजबूत बनाने में और आपको अभिभावक की हैसियत से सिर्फ इतना देखना होता है कि वास्तव में बच्चा क्या कह रहा है ?
बच्चों को कमतर आंकना वर्तमान परिदृश्य में ठीक नहीं है आप जब भी हम मुखर कम्युनिकेशन कर सकते हैं तो हमने भी उतना ही जबरदस्त कन्वेंट सिंह पावर होना चाहिए जितना उस बच्चे में है और बच्चे को उसकी सोच के अनुसार अवसर देना बहुत जरूरी है बहुतेरे मिडिल क्लास परिवार अपने बच्चों को कोई बात सिखाते हैं और वह बच्चा नहीं मानता तो या तो उदास हो जाते हैं अथवा बच्चे को उदास कर देते हैं दोनों ही स्थिति में नुकसान बच्चे का ही होता है मेरा मानना है कि निर्णय लेने की स्थिति में जब बच्चे आ जाते हैं तो उसे निर्णय लेने दिया जाए परंतु उसके निर्णय को भी समझ लिया जाए और यथासंभव से आप सपोर्ट करें मजबूती दे ।
शिवानी तुम्हारे इरादों से बड़ा नहीं है एफिल टावर |
एक दौर था जब बेटियों को पांचवें दर्जे तक पढ़ाया जाता था घरेलू कामकाज मैं पारंगत होने की शिक्षा मां बहन दिया करते थे लेकिन समय में बदलाव आया स्त्री शिक्षा के महत्व को सब ने समझा अब उसे निर्णय लेने की क्षमता भी दे देनी मध्यम वर्ग के लिए किफायती ही होगी बीजिंग के महिला सम्मेलन में आज से कुछ दशक पहले यह तय किया था की महिलाओं को निर्णय लेने की क्षमता के अधिकार से वंचित नहीं करने देना चाहिए भारत में इस सम्मेलन की अनुशंसा ओं को जिस तरह से प्रभावी ढंग से लागू किया और सामाजिक स्तर पर भारत की बेटियां सुदृढ़ होती नजर आ रही है वैसा दक्षिण एशिया में केवल चीन कर पाया है और दोनों ही देशों में आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत बेशक बढ़ता जा रहा है क्योंकि मैं सामाजिक व्यवस्था का अध्ययन भी करता हूं पता है मुझे विश्व महिला सम्मेलन की यह अनुशंसा सबसे प्रिय और प्रभावी लगी थी तदनुसार मैंने कई बार इस बात की कोशिश की कि मैं अपनी पत्नी और बच्चियों के प्रस्तावों को स्वीकारो अगर स्वीकारने योग ना हो तो भी समझने की कोशिश करो और इनके निर्णय अधिकांश उत्तम ही होते हैं यह सोच शिवानी को उसके निर्णय के अनुसार विषय चुनने का अधिकार दे चुका था । शिवानी कंपनी में सिर्फ बी. कॉम. ऑनर्स अर्थात सामान्य सा कॉमर्स ग्रेजुएशन के दौरान ही Ey द्वारा कैंपस के जरिए सिलेक्ट कर ली गई ।
शिवानी Ey ग्लोबल में एसोसिएट चुनी गई मध्य प्रदेश से केवल दो बेटियां चुनी गई थी कुछ बच्चों का यह मानना है कि कॉमर्स में बहुत ज्यादा स्कोप नहीं होती परंतु ऐसा नहीं है भाग्य और उससे पहले अपनी मेहनत तथा सब के आशीर्वाद से आप खाते में जो लिखा है जो आपने अपने खाते में अपनी मेहनत से जो भी कुछ जमा कर पाते हैं उसकी बदौलत आप सब कुछ हासिल कर सकते हैं शिवानी छह माह के बाद फिर वापस आएगी साल में कम से कम एक बार 6 माह के लिए उसे विदेश में कहीं ना कहीं जाने का यह दूसरा अवसर है
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मित्रों बेटियों को सशक्त बनाने के लिए उन्हें अवसर देने की जरूरत है और उससे ज्यादा जरूरत है उन पर विश्वास करने की मुझे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था परंतु मैंने शिक्षण संस्था का चुनाव करने से पहले अपनी बेटी को यह समझा दिया था कि अगर आईपीएस इंदौर में मुझे कोई विशेषता ना दिखी तो हमें जबलपुर वापस किसी सरकारी कॉलेज में प्रवेश लेना होगा बेटी ने सहमति दी इंदौर के कई कॉलेजेस में मैंने विजिट किए एक कॉलेज ने मुझे बताया कि उनके कॉलेज में अभिषेक बच्चन आते हैं तो मेरा प्रतिप्रश्न था कि क्या आपका कॉलेज दंत मंजन है या कोई प्रोडक्ट जिसमें हम जैसे मध्यम वर्गीय लोगों को आकर्षित करने के लिए आप फिल्म स्टारों को बुलाते हैं मुझे लगता है कि आपका कॉलेज मेरी बेटी के लायक नहीं है यह सुनकर ऐडमिशन इन चार्ज मुझे बाहर तक मनाने की कोशिश करने आए किंतु मेरा दृढ़ निश्चय था कि ऐसे संस्थान जहां यह कोशिश की जाती होगी सीटों को बेचने के लिए विभिन्न तरह के हथकंडे अपनाकर अभिभावकों को मोहित करना और बेवकूफ बनाना उनका मौलिक सिद्धांत हो उन कॉलेजेस में संस्थानों में बच्चों को प्रवेश दिलाने की जरूरत क्या है । फिर अन्य कालेजों में भ्रमण किया. वहां के बच्चों का ज्ञान स्तर नापा उन से चर्चा करके अंत में जब आईपीएस अकादमी पहुंचा तो लगा . सोचा ऐसा ही कुछ होगा यह भी एजुकेशनल मार्केट का एक शो-रूम सरीखा ?
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मित्रों बेटियों को सशक्त बनाने के लिए उन्हें अवसर देने की जरूरत है और उससे ज्यादा जरूरत है उन पर विश्वास करने की मुझे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था परंतु मैंने शिक्षण संस्था का चुनाव करने से पहले अपनी बेटी को यह समझा दिया था कि अगर आईपीएस इंदौर में मुझे कोई विशेषता ना दिखी तो हमें जबलपुर वापस किसी सरकारी कॉलेज में प्रवेश लेना होगा बेटी ने सहमति दी इंदौर के कई कॉलेजेस में मैंने विजिट किए एक कॉलेज ने मुझे बताया कि उनके कॉलेज में अभिषेक बच्चन आते हैं तो मेरा प्रतिप्रश्न था कि क्या आपका कॉलेज दंत मंजन है या कोई प्रोडक्ट जिसमें हम जैसे मध्यम वर्गीय लोगों को आकर्षित करने के लिए आप फिल्म स्टारों को बुलाते हैं मुझे लगता है कि आपका कॉलेज मेरी बेटी के लायक नहीं है यह सुनकर ऐडमिशन इन चार्ज मुझे बाहर तक मनाने की कोशिश करने आए किंतु मेरा दृढ़ निश्चय था कि ऐसे संस्थान जहां यह कोशिश की जाती होगी सीटों को बेचने के लिए विभिन्न तरह के हथकंडे अपनाकर अभिभावकों को मोहित करना और बेवकूफ बनाना उनका मौलिक सिद्धांत हो उन कॉलेजेस में संस्थानों में बच्चों को प्रवेश दिलाने की जरूरत क्या है । फिर अन्य कालेजों में भ्रमण किया. वहां के बच्चों का ज्ञान स्तर नापा उन से चर्चा करके अंत में जब आईपीएस अकादमी पहुंचा तो लगा . सोचा ऐसा ही कुछ होगा यह भी एजुकेशनल मार्केट का एक शो-रूम सरीखा ?
बे मन से अपनी श्रीमती और बेटी से कहा तुम लोग फार्म खरीद कर लाओ तब तक मैं बच्चों से बात करता हूं । फिर बच्चों से बातों का सिलसिला शुरू किया उनसे भारत की इकोनामिक फॉरेन पॉलिसी पर चर्चा की । भारत के इकोनामिक डेवलपमेंट पर साथ ही साथ भारत की व्यवसायिक एवं वित्तीय स्थिति पर चर्चा में बच्चों ने बेहद उत्साह के साथ सटीक जवाब दिए तब जा कर मैं मैंने अपनी बेटी का दाखिला कराने का मन बना लिया ।
अपने बुजुर्गों के आशीर्वाद का मेरी मातोश्री स्वर्गीय सब्यसाची प्रमिला देवी बिल्लौरे पिताश्री काशीनाथ जी बिल्लौरे सभी बुजुर्गों का का आशीर्वाद है मेरी दोनों बेटियां बेटों से कम नहीं इतना ही नहीं मेरी बेटियां मेरे कार्य क्षेत्र में भी मौजूद है एक से एक संघर्षशील और अपने कार्य के प्रति सजग आत्मविश्वास से भरी हुई बेटियाँ
मुझे बालभवन में भी मिलती है..... प्रयास यही किया है कि जितना ज्यादा सबल हम बेटियों को बनाएंगे उतना अधिक यह देश तरक्की करेगा विजन बिल्कुल साफ है महिला सशक्तिकरण की बात से पहले अपनी बेटी को सक्षम बनाने की सोच को विकसित करने की जरूरत है ।अपने बुजुर्गों के आशीर्वाद का मेरी मातोश्री स्वर्गीय सब्यसाची प्रमिला देवी बिल्लौरे पिताश्री काशीनाथ जी बिल्लौरे सभी बुजुर्गों का का आशीर्वाद है मेरी दोनों बेटियां बेटों से कम नहीं इतना ही नहीं मेरी बेटियां मेरे कार्य क्षेत्र में भी मौजूद है एक से एक संघर्षशील और अपने कार्य के प्रति सजग आत्मविश्वास से भरी हुई बेटियाँ
मुझे विश्वास है कि ना सिर्फ आप शिवानी को आशीर्वाद देंगे बल्कि आप भी अगर कहीं कमजोर महसूस करते हैं की बेटी है तो उसे एक्स्ट्रा संरक्षण की जरूरत है मुझे नहीं लगता की बेटियां कमजोर है यदि आप उसे एम्पावर्ड करें तो ।
आपको उस से संबल देते रहना होगा और उसे जीवन प्रबंधन की स्किल से भर देना होगा ......!!
आपको उस से संबल देते रहना होगा और उसे जीवन प्रबंधन की स्किल से भर देना होगा ......!!