पशेमाँ हूँ तुझी से, तुझको बचाना चाहता हूँ ।
बिखर के टूट के तुझको सजाना चाहता हूँ ।।
ज़िंदगी मुझसे छीनने को बज़िद हैं बहुत से लोग
ऐसी नज़रों से तुझको, छिपाना चाहता हूँ ।।
बला की खूबसूरत हो, नज़र में सबकी हो जानम
चीखकर लोगों की नजरें हटाना चाहता हूँ ।।
गिन के मुझको भी मिलीं हैं, औरों की तरह -
वादे साँसों से किये सब निभाना चाहता हूँ ।।
ख़ुशी बेची खरीदी जाए मोहब्बत की तिजारत हो
अमन की बस्तियाँ ज़मी पर बसाना चाहता हूँ ।।
कोई मासूम हँस के भर दे झोली मेरी ख़ज़ानो से
बस ऐसे ही ख़ज़ानों को पाना चाहता हूँ ।।
*ज़िन्दगी* मुश्किलों से बना ताबूत है माना -
मौत के द्वारे तलक मुस्कुराना चाहता हूँ ।।