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रविवार, जुलाई 15, 2018

और कितना आज़माना है ग्वारीघाट तो सबको जाना है ..!!



एक बेमिसाल व्यक्तित्व होने का भ्रम पाले कुछ लोग आजकल स्वयम को जब वाज़े-तौर पर मुक़म्मल साबित करने की कोशिश करते हैं तो कहीं न कहीं ऐसा कुछ कह देते हैं कि बस दिगम्बर होते देर नहीं लगती. खुद को बेमिसाल पोट्रेट करने के पीछे पहचान खोने की आक्रान्ताओं के बीच लद्द से टपकती गंदगी की मानिंद लगभग बदबूदार कर देते हैं वातावरण को . 
कई दिनों से देख रहा हूँ कि मेरी निजता पर हमले होते ही जा रहे हैं. लोगों में मेरी फटी कमीज़ के भीतर छेद वाली सैंडो बनियान तक देखने की ललक ठीक वैसी ही है जैसे ससुरा हम हम न हुए उनके लिए पर्यटन स्थल हो गए. निजता हमारा अधिकार है क्यों न हो 15 अगस्त 1947 के बाद लिखित रूप में यही तो कहा गया था. पर भाई लोग पता नहीं क्यों मेरे दिगम्बर स्वरूप के दर्शनाभिलाषी हो रहे हैं. जो लिखता हूँ कह के लिखता हूँ. 
कुछ ख़ास लोगों ने अगर मुझे नंगा देखने की अभिलाषा पर नियंत्रण न किया तो तय है कि पोट्रेट नाटक की तरह उनके लिए भी खुल्लमखुल्ला लिखना मेरी मजबूरी ही समझिये . नंगों से खुदा के डरने की कहावत मेरी भाषा शिल्प में शामिल नहीं ............. मैं तो खुदा को मदद करके नंगों को कपड़े पहनाने के लिए तक तैयार हूँ... 
अस्तु उन सबसे सादर अनुरोध है { जो मेरे जैसों की निजता पर आँखें गडाए बैठे हैं } कि किसी से डरें न डरें पर लेखकों से अवश्य निरापद डिस्टेंस मेंटेन कर चला जावे.
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बारबार भारत के डेमोक्रेटिक सिस्टम को शब्दों से निशाना न बनाए 
भारतीय प्रजातंत्र की ताकत उसकी जनशक्ति में व्याप्त *न दैन्यम न पलायनम* अवधारणा है । जब कोई इस देश की तुलना अन्य देशों से करे तो समझ में आता है उस व्यक्ति को देश का गूढ़ार्थ नहीं मालूम है। भारत की तुलना करने वालों को भारत के वास्तविक इतिहास को समझना चाहिए फिर वक्तव्य देना चाहिए । हमारी संस्कृति और समाज ने विश्व में दृढ़ता को परिभाषित किया है । न हम रक्ष संस्कृति से हारे न यवन से न किसी अन्य आताताई विस्तारवादी सोच के आगे झुके वरना भारत एकात्मकता की मिसाल न होता । शशि थरूर जी की टिप्पणी गैरवाजिब है हम कभी हिन्दू पाकिस्तान नहीं हो सकते हमारा देश आपके वक्तव्य को स्वीकार्य करता न ही भ्रमित हो सकता कभी ।
अस्तु ऐसे वक्तव्यों पर चिंतन और चिंता की ज़रूरत नहीं । न हम हीं हैं न हारे हुए हैं हम विजेता हैं जीतेंगे सुदृढ़ है अब न टूटेंगे
हलकट सोच एवम विद्वता का अभिनय
आज के दौर की  सच्चाई है भाई जी को समझाए कौन जी


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