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रविवार, मई 20, 2018

अच्छी काली नागिनें : सटायर


तुम थे तो कुछ बात थी नहीं हो तो
अब बात कुछ और है ।
कोई हो न हो बात तो रहेगी ।
बात ही तो रहती है यादों के गलियारों में
तस्वीरों की तरह चस्पा रहे भी क्यों न ?
मरने के बाद में क़ीमत बताने का क्या कोई तरीका भी तो नहीं ।
इन दिनों जिस तरह का एनवायरमेंट इर्दगिर्द है उसमें कमीनगी का परसेंटेज अपेक्षाकृत ज़्यादा है । जबलपुर की ठेठ भाषा में बोलूं तो हरामी टाइप के जीवों की भरमार  चप्पे चप्पे पर रेंगते नज़र आएंगे ।
मित्रो मेरी अंतिम सलाह है कि बुद्ध की तरह माफ करना अब गैरज़रूरी है । अब चाणक्य की तरह गला काट के मंगवा लो तो आप सहजता से जी पाओगे ।
पर मुआ साहित्यकार जो बरसों से कुंडली मार कर बैठा है न मुझे ऐसा नहीं करने देगा । एक नागिन की कहानी याद आई सुनोगे तो सुनो
एक नागिन थी अच्छी काली नागिन घर के एक हिस्से में फंस गई घर मालकिन ने उसे जतन से निकाला और हूत हूत करके डंडा बजा के भगा दिया । कुछ दिन बाद फिर चूहे खाने की गरज से उसी घर में घुसी नागिन ने एक बार भी मुरव्वत न की मालकिन के अनजाने में पैर पड़ते ही ज़हर उगलने लगी
मित्रो आध्यात्मिक चिंतन के अभाव में यह सब हो रहा है अधिकतर आत्माऐं  नागिन है । ऐसी नागिन जिनको सिर्फ आहार दिखता है अर्थात आत्मकेंद्रित तृष्णा की तृप्ति उनका एकमात्र लक्ष्य है ।
ये नागिन अच्छी काली नागिनें आपकी आत्मा से सम्बद्ध होने का अभिनय अवश्य करतीं हैं ।
लोग बिंदास सहयोगी कवि स्व श्री नरेश पांडे को कितना याद करतें हैं या श्री गणेश नामदेव का कितनों को स्मरण है मुझे नहीं पता नागिनें केवल शिकार की तस्वीर अपने रेटिना पर अमिट रखतीं हैं गणेश जी नरेश जी आदि किसी काम के कहाँ ? न गणेश जी नेता थे न बड़े अफसर और नरेश जी भी कोई महल अटारी न छोड़ गए जहां टैंट लगा के टैण्ट हाउस वाले नागिन डांस की ऑपर्चुनिटी पाएं ।
पर एक बात तो है जीवन भर झुल्ला टांग के सायकल से घूमने वाले ये दौनों वाकई थे बड़े कमाल के खूब लिखते महफ़िल मुशायरे गोष्ठियों की आन बान शान थे ।
बात निकली तो चली और चलती रहेगी । में रहूँ न रहूँ । बात रहेगी तभी बात लिख दी आप क्या सोचते हो आप जानो गाली भी दो तो दे देना मैनें कइयों के ऑडियो क्लिप जमा कर रखे हैं ज़ेहन में ।
सुनो सब मेरा रिश्ता परसाई जी से बहुत नजीकी है तुम सबसे ज़्यादा टिमरनी हरदा खंडवा जमानी फिर जबलपुर
हम वहीं से बाबस्ता हैं । लिखने में तंज़ है तो जान लो तासीर नर्मदांचल के पानी में घुलेमिले #मिनरल_ऑफ_सटायर की वजह से कल आप गुंडे भेज सकते हो । हम तो लिखेंगे बेबाक़ी से । डरें क्यों खोने को मेरे पास कुछ नहीं ।

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