चेहरा नहीं दिल बोलता है ....!!
और दिल 
जब भी... दिल से बोलता है ... 
तब बुत मुस्कुरातें हैं ...
तितलियाँ मंडरातीं हैं...
हज़ारों हज़ार स्वर लहरियां ... 
वीणा  तारों से
छिटककर 
बिखरतीं ......... 
पुरवैया – पछुआ हवाओं में .. 
घुल जातीं हैं ...!!
हाँ तब जब
चेहरा नहीं दिल बोलता है ....!!
दिल जब बोलता है 
बरसों के दबे कुचले 
छिपे छिपाए एहसासों का ज्वालामुखी 
फूटता है ... 
कहते हुए कि- अब और नहीं ... 
अब और नहीं ...!!
ठहर जाते हैं 
आघाती हाथ ... 
क्रूर आँखें डर जाती हैं...!
"तख़्त-ओ-ताज़" सम्हालते हाथ .. 
चेहरा नहीं दिल बोलता है ....!!

 
 
 
