गम्भीर रूप से एक्सीडेंट होने के कारण मेरी पोलियो ग्रस्त पैर की फीमर बोन के सबसे ऊपरी भाग की हड्डी टूटी गई थी । नवम्बर 1999 की इस घटना के बाद वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ स्व डा बाबुलर नागपुर के हॉस्पिटल में मेरा पुनर्जन्म हुआ । माँ भैया आदि सभी ने बाद में बताया था कि स्व डाक्टर बाभुलकर जी ने मेरा ऑपरेशन किया वो सबसे रिस्की था । सैंट्रल इंडिया का अबसे अनोखा एवम रिस्की ऑपरेशन किया जो 100% सफल था । ऐसी चर्चा सर्वत्र थी ।
उस समय मेरे सिरहाने संगसाथ होते थे गुलज़ार साहब जैसे लोग भी
एक दिन अस्पताल में किसी कार्ड बोर्ड पर उनके लिए लिखी नज़्म शायद आपको पसंद आए
*गुलज़ार जी के लिए*
रोज़ रात देर तलक
गुलज़ार के हर्फ़ हर्फ़ से बुने
नज़्म गीत जब पढ़ता हूँ
तो लगता है गोया
माँ के नर्म आँचल ने मुझे
ढांप लिया हो
और फिर हौले से पता नहीं कब अविरल रात के बहाव में
में नीँद की नाव पर सवार
सुबह की ओर चला जाता हूँ ।
गुलज़ार जी
होती है सुबह
हर्फ़ हर्फ़ ज़िंदगी जुड़ते बिखरते पल समेटता हूँ ।
तक कर कभी गीत
सुनता हूँ आपके
जो टूटती जुड़ती ज़िंदगी को
बना देती है
तुम्हारी नज़्म
और फिर हो जाता हूँ गुलज़ार
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*