स्व प्रेमनाथ के ऐतिहासिक एम्पायर का खण्डर हो जाना
स्मार्ट सिटी जबलपुर के नाम पर बड़ा कलंक है।
ब्रिटेन के एलप्रसेड शेरा के वार एल्बम में आज भी जबलपुर के ऐतिहासिक एम्पायर थियेटर की तस्वीर आज भी मौजूद है। पुरानी तस्वीर बता रही हैं कि यह थियेटर कितना आकर्षक रहा। अंग्रेजी शासन में १९१४ में बना ब्रिटिश शैली में बना अर्ध वृताकार एम्पायर थियेटर पहले नाटकों के लिए बना था। इस थियेटर में ब्रिटेन से आने वाले नाट्य दल अंग्रेजी नाटक का मंचन करते थे।
शेक्सपियर के रोमियो और जूलियट और मेकबेल जैसे नाटक भी इसी एम्पायर थियेटर में मंचित हुए।बाद में इस थियेटर में मूक अंग्रेजी फिल्में भी दिखाई जाने लगी।
फिल्म इंडस्ट्री में जबलपुर को पहचान देने वाले अभिनेता प्रेमनाथ जब पढ़ते थे तब वे एक दिन दीवार फांदकर थियेटर में कूद गये और टिकट की मांग की तो मैनैजर ने उनको कान पकड़कर दीवाल फांदकर ही बाहर जाने के लिए कहा।तब प्रेमनाथ ने जातें जाते मैनेजर से कहा कि देखना मैं बड़ा होकर इस थियेटर को खरीदूंगा
जज्बा जिद्द और जुनून पाले प्रेमनाथ ने २४ फरवरी १९५२ को एम्पायर थियेटर की महिला संचालिका से एम्पायर थियेटर खरीद लिया।बाद में भी इस थियेटर में अंग्रेजी फिल्में ही दिखाई जाती रही।
प्रेमनाथ के निधन के बाद उनके वारिसों ने समय पर लीज और नामांतरण की कार्यवाही नहीं कराई तो केंट बोर्ड ने एम्पायर थियेटर को अपने कब्जे में ले लिया। कुछ दिन बाद थियेटर खंडहर हो गया। आठ सौ से ज्यादा कुर्सियां भी गायब हो गई और सिनेमा दिखाने वाली मशीनें भी गायब हो गई।।
एम्पायर थियेटर का खण्डर स्मार्ट सिटी के नाम पर कलंक लगा रहा है। प्रेमनाथ की ऐतिहासिक धरोहर को बचाने शहर वासियों को आगे आना होगा।
स्मार्ट सिटी जबलपुर के नाम पर बड़ा कलंक है।
ब्रिटेन के एलप्रसेड शेरा के वार एल्बम में आज भी जबलपुर के ऐतिहासिक एम्पायर थियेटर की तस्वीर आज भी मौजूद है। पुरानी तस्वीर बता रही हैं कि यह थियेटर कितना आकर्षक रहा। अंग्रेजी शासन में १९१४ में बना ब्रिटिश शैली में बना अर्ध वृताकार एम्पायर थियेटर पहले नाटकों के लिए बना था। इस थियेटर में ब्रिटेन से आने वाले नाट्य दल अंग्रेजी नाटक का मंचन करते थे।
शेक्सपियर के रोमियो और जूलियट और मेकबेल जैसे नाटक भी इसी एम्पायर थियेटर में मंचित हुए।बाद में इस थियेटर में मूक अंग्रेजी फिल्में भी दिखाई जाने लगी।
फिल्म इंडस्ट्री में जबलपुर को पहचान देने वाले अभिनेता प्रेमनाथ जब पढ़ते थे तब वे एक दिन दीवार फांदकर थियेटर में कूद गये और टिकट की मांग की तो मैनैजर ने उनको कान पकड़कर दीवाल फांदकर ही बाहर जाने के लिए कहा।तब प्रेमनाथ ने जातें जाते मैनेजर से कहा कि देखना मैं बड़ा होकर इस थियेटर को खरीदूंगा
जज्बा जिद्द और जुनून पाले प्रेमनाथ ने २४ फरवरी १९५२ को एम्पायर थियेटर की महिला संचालिका से एम्पायर थियेटर खरीद लिया।बाद में भी इस थियेटर में अंग्रेजी फिल्में ही दिखाई जाती रही।
प्रेमनाथ के निधन के बाद उनके वारिसों ने समय पर लीज और नामांतरण की कार्यवाही नहीं कराई तो केंट बोर्ड ने एम्पायर थियेटर को अपने कब्जे में ले लिया। कुछ दिन बाद थियेटर खंडहर हो गया। आठ सौ से ज्यादा कुर्सियां भी गायब हो गई और सिनेमा दिखाने वाली मशीनें भी गायब हो गई।।
एम्पायर थियेटर का खण्डर स्मार्ट सिटी के नाम पर कलंक लगा रहा है। प्रेमनाथ की ऐतिहासिक धरोहर को बचाने शहर वासियों को आगे आना होगा।