विश्व भर में इस बात का ढिंढोरा पिटवाया है इतिहासकारों ने कि टीपू सुल्तान एक महान व्यक्ति था । परन्तु सोशल मीडिया पर इस बारे में बेहद सनसनीखेज पोस्ट आ रहीं हैं । जिसमें दावा है कि 800 आयंगर ब्राह्मणों की हत्या करवाने वाला टीपू सुल्तान न्याय प्रिय शासक न होकर असहिष्णुता का समकालीन उदाहरण था । उसने 800 आयंगर ब्राह्मणों की हत्या रूप चतुर्दशी के दिन कराई थी । एक मित्र ने लंदन के संग्रहालय में सुरक्षित तस्वीर पोस्ट करते हुए अपनी पोस्ट में लिखा है -
क्रूर और निर्दयी राजा -कर्नाटक का औरंगजेब टीपू सुल्तान
यह है टीपू सुल्तान की असली तस्वीर । जो ब्रिटिश संग्रहालय में रखी है और सन 1789 ईस्वी की बताई जाती है
इतिहास में हमें जो बताया गया वो केवल पेंटिंग मात्र थी ।
टीपू सुल्तान ने अपनी तलवार पर लिखाया था कि अल्लाह उसे सभी काफिरों को खत्म करने की ताकत दे
दीपावली पर टीपू सुल्तान ने 700 अयंगारों का कत्ले आम किया था ... कल जब सारे देश ने दीवाली मनाई, अयंगार शोक मना रहे थे
एक प्रत्यक्षदर्शी पुर्तगाली ने लिखा है कि टीपू ने बच्चों को उनकी मांओं के गले से लटका कर, उन मांओं को फांसी देकर मारा ...... पुरूषों को हाथियों के पावों से बांधकर हाथियों को दौड़ा दौड़ा कर उन्हें कुचला कर मारा ...
कर्नाटक का औरंगजेब!
मुझे इतिहास की बहुत ज्यादा जानकारी तो नहीं है मगर जहाँ तक स्वतन्त्रता संग्राम की बात है तो उसने फ्रांसीसी सेना की सहायता से अपना राज्य बचाने के लिए अंग्रेजी सेना से युद्ध जरूर किया था लेकिन इस घटना का भारत के स्वातन्त्र्य समर से संबंध नहीं है।"
भारतीय इतिहासकारों के संदर्भों में देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होता कि भारतीय इतिहासकार अधिक श्रम किये बिना ऐसा इतिहास लिख गए जो सही नहीं है । ये सत्य है कि आयंगर ब्राह्मण आज भी दीपावली नहीं मनाते तो क्या इतिहासकार इस तथ्य की पुष्टि करने में चूक गए । यदि हां तो नए सिरे से इतिहास के लेखन की ज़रूरत नहीं । एक इतिहास लेखक का दायित्व होता है कि वह केवल प्रामाणिक बिंदु ही लिखे ।
अभी भी समय है इतिहास का पुनरावलोकन कर आयातित विचारधारा वाले विद्वानो से इतर विचारकों को तैयार कर इतिहास का पुनर्लेखन हो ।
क्रूर और निर्दयी राजा -कर्नाटक का औरंगजेब टीपू सुल्तान
यह है टीपू सुल्तान की असली तस्वीर । जो ब्रिटिश संग्रहालय में रखी है और सन 1789 ईस्वी की बताई जाती है
इतिहास में हमें जो बताया गया वो केवल पेंटिंग मात्र थी ।
टीपू सुल्तान ने अपनी तलवार पर लिखाया था कि अल्लाह उसे सभी काफिरों को खत्म करने की ताकत दे
दीपावली पर टीपू सुल्तान ने 700 अयंगारों का कत्ले आम किया था ... कल जब सारे देश ने दीवाली मनाई, अयंगार शोक मना रहे थे
एक प्रत्यक्षदर्शी पुर्तगाली ने लिखा है कि टीपू ने बच्चों को उनकी मांओं के गले से लटका कर, उन मांओं को फांसी देकर मारा ...... पुरूषों को हाथियों के पावों से बांधकर हाथियों को दौड़ा दौड़ा कर उन्हें कुचला कर मारा ...
कर्नाटक का औरंगजेब!
मुझे इतिहास की बहुत ज्यादा जानकारी तो नहीं है मगर जहाँ तक स्वतन्त्रता संग्राम की बात है तो उसने फ्रांसीसी सेना की सहायता से अपना राज्य बचाने के लिए अंग्रेजी सेना से युद्ध जरूर किया था लेकिन इस घटना का भारत के स्वातन्त्र्य समर से संबंध नहीं है।"
भारतीय इतिहासकारों के संदर्भों में देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होता कि भारतीय इतिहासकार अधिक श्रम किये बिना ऐसा इतिहास लिख गए जो सही नहीं है । ये सत्य है कि आयंगर ब्राह्मण आज भी दीपावली नहीं मनाते तो क्या इतिहासकार इस तथ्य की पुष्टि करने में चूक गए । यदि हां तो नए सिरे से इतिहास के लेखन की ज़रूरत नहीं । एक इतिहास लेखक का दायित्व होता है कि वह केवल प्रामाणिक बिंदु ही लिखे ।
अभी भी समय है इतिहास का पुनरावलोकन कर आयातित विचारधारा वाले विद्वानो से इतर विचारकों को तैयार कर इतिहास का पुनर्लेखन हो ।