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गुरुवार, सितंबर 14, 2017

हलीमा बिंते याकूब भारतीय मूल की राष्ट्रपति

सिंगापुर संसद स्पीकर रहीं  हलीमा बिंते याकूब का जन्म 23 अगस्त 1954 में हुआ सिंगापुर की पहली महिला राष्ट्रपति बन गई हैं। 13 सितम्बर 2017 को उनको निर्वाचन अधिकारी ने राष्ट्रपति घोषित कर दिया. अगर आप इस बात से न चौके हों तो अब जो आपको ज्ञात होगा कि उनके डी एन ए में भारतीयता मौजूद है अवश्य चौंक सकते हैं . वे एक भारतीय मुस्लिम की बेटी हैं जो चौकीदारी का काम किया करते थे, जब उनके पिता  का नि:धन हुआ तो वे केवल 8 वर्ष की थीं.
सिंगापुर एक अजब देश इस लिए है क्योंकि उसका विस्तार भारत की मायानगरी मुंबई से कम है . 16 सितंबर 1963 को मलायासिंगापुरसबा एवं सरवाक का औपचारिक रूप से विलय कर दिया गया और मलेशिया का गठन हुआ किन्तु दो बरस बाद ही यानी 9 अगस्त 1965 को मलेशिया से सिंगापुर अलग एवं एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया. कारण यह था कि अंग्रेज़ सरकार  साम्यवादी व्यवस्था के पूर्णत: खिलाफ थी. तथा वे सिंगापुर में उग्र साम्यवाद के विस्तार के खिलाफ थे.   
सिंगापुर में निर्वाचित राष्ट्रपति के कार्यकाल पूरा होने पर उनको पद मुक्त होना पड़ता है . परन्तु राष्ट्रपति का पद किसी भी स्थिति में रिक्त कभी नहीं होता . ऐसी स्थिति में वहां भारतीय मूल के श्री जे. वाई. पिल्लै राष्ट्रपति चुने जाते हैं . ऐसा अब तक 60 बार हो चुका है.
भारत में नौकरियों में आरक्षण होता है पर सिंगापुर में राष्ट्रपति का पद आरक्षित होता है. मोहतरमा हलीमा ने निर्वाचन पत्र लेते हुए कहा कि वे समूचे सिंगापुर की राष्ट्रपति हैं न कि अल्पसंख्यक आरक्षित समुदाय की.  
हलीमा सिंगापुर की एक मलय राजनीतिज्ञ हैं तथा इनका नाता  सिंगापुर की सत्तारूढ़ पीपुल्स एक्शन पार्टी की सदस्य हैं. इनको उन्हें 14 जनवरी, 2013 को सिंगापुर की संसद का अध्यक्ष चुना गया। सिंगापुर में वे प्रथम महिला संसद प्रधान   थीं .  हलीमा निरंतर 2000 के बाद से सक्रीय राजनीतिज्ञ हैं.  


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