सादर वन्दे मातरम
विषय :- बच्चों के हितों के संरक्षण बाबत
मान्यवर
7 वर्षीय प्रद्युम्न ठाकुर की निर्मम हत्या के संबंध में जो न्यायिक जांच की कार्रवाई हो रही है वो विधि सम्मत ही होगी ऐसा विश्वास सभी भारतवासी करते हैं ।
मान्यवर में एक रचनाधर्मी हूँ । जो संवेदनशीलओं से अपेक्षाकृत अधिक भरा हो सकता है ! इससे आप निश्चित रूप से सहमत अवश्य होंगें ।
मान्यवर जब भी किसी मासूम के साथ कोई घटना होती है हर व्यक्ति विचलित हो जाता है । यही स्थिति घटना के बाद मेरी भी थी. अबसे लगभग 30 घंटे पहले इस द्रवित करने वाली खबर गहरा असर किया है । सोने की कोशिशें काम करने लिखने की कोशिशें निरंतर बेकार रहीं । एक मायूस और स्तब्ध स्थिति में हूँ ।
रेयान इंटरनेशनल शिक्षण संस्था में घटित इस अमानवीय घटना के लिए ज़िम्मेदारी तय होना एक प्रक्रिया एवम व्यवस्था के तहत ही होगी इस बात का सबको ज्ञान है ।
तथापि मेरा "बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए* कुछ सुझाव हैं
1 :- किसी भी शिक्षण संस्थान को नर्सरी से लेकर हायर सेकंडरी स्कूल की अनुमति न दी जावे ।
2 :- नर्सरी स्कूलों/ प्रायमरी की स्थापना के लिए ठीक उसी तरह से अमले को निजी एवम शासकीय संस्थानों में नियुक्तियां दी जावें जिस प्रकार रेल विभाग के कुछ विशेष पदों के लिए सायको-टेस्ट लिया जाता है ।
3 :- नर्सरी के लिए विशेष तरह के प्रोफेशनल कोर्स समर्पित महिलाओं को नर्सरी टीचिंग स्टाफ बनाने के पूर्व देना अनिवार्य है। नर्सरी स्कूलों में बिना मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ की सहमति के शिक्षकों की तैनाती न हो ।
शैक्षिकेत्तर स्टाफ को भी इसी प्रकार के प्रशिक्षण एवम परीक्षण से गुजरना होगा ।
*बाल सुरक्षा के लिए उपाय*
मान्यवर
7 वर्षीय प्रद्युम्न ठाकुर की निर्मम हत्या के संबंध में जो न्यायिक जांच की कार्रवाई हो रही है वो विधि सम्मत ही होगी ऐसा विश्वास सभी भारतवासी करते हैं ।
मान्यवर में एक रचनाधर्मी हूँ । जो संवेदनशीलओं से अपेक्षाकृत अधिक भरा हो सकता है ! इससे आप निश्चित रूप से सहमत अवश्य होंगें ।
मान्यवर जब भी किसी मासूम के साथ कोई घटना होती है हर व्यक्ति विचलित हो जाता है । यही स्थिति घटना के बाद मेरी भी थी. अबसे लगभग 30 घंटे पहले इस द्रवित करने वाली खबर गहरा असर किया है । सोने की कोशिशें काम करने लिखने की कोशिशें निरंतर बेकार रहीं । एक मायूस और स्तब्ध स्थिति में हूँ ।
रेयान इंटरनेशनल शिक्षण संस्था में घटित इस अमानवीय घटना के लिए ज़िम्मेदारी तय होना एक प्रक्रिया एवम व्यवस्था के तहत ही होगी इस बात का सबको ज्ञान है ।
तथापि मेरा "बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए* कुछ सुझाव हैं
1 :- किसी भी शिक्षण संस्थान को नर्सरी से लेकर हायर सेकंडरी स्कूल की अनुमति न दी जावे ।
2 :- नर्सरी स्कूलों/ प्रायमरी की स्थापना के लिए ठीक उसी तरह से अमले को निजी एवम शासकीय संस्थानों में नियुक्तियां दी जावें जिस प्रकार रेल विभाग के कुछ विशेष पदों के लिए सायको-टेस्ट लिया जाता है ।
3 :- नर्सरी के लिए विशेष तरह के प्रोफेशनल कोर्स समर्पित महिलाओं को नर्सरी टीचिंग स्टाफ बनाने के पूर्व देना अनिवार्य है। नर्सरी स्कूलों में बिना मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ की सहमति के शिक्षकों की तैनाती न हो ।
शैक्षिकेत्तर स्टाफ को भी इसी प्रकार के प्रशिक्षण एवम परीक्षण से गुजरना होगा ।
4 :- सी सी टी वी मॉनिटरिंग :- हर संस्थान में जहां बच्चे पढ़ रहे हों अथवा आवासीय सुविधा सहित किसी भी कारण से निवासरत हों की सी सी टी वी मॉनिटरिंग सतत रूप से संभव है । हर संस्थान में संस्थान के खुलने से बंद होने तक की हर एक स्थान पर खेल का मैदान , प्रवेश द्वार अध्ययन कक्ष (क्लासरूम) कॉरिडोर , इंडोर गेम्स रूम, सिकरूम, टॉयलेट / बाथरूम के प्रवेश द्वार आदि में लगाएं जा सकतें हैं । आवासीय संस्थानों के मामलों में 24x7 कालखंड के लिए ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिये ।
कंट्रोल रूम :- यह एक ऐसी जगह हो जो प्राचार्य की निगरानी के लिए अनुकूलित हो तथा एक एक टैक्नीशियन लगातार एक से दो घण्टे निगरानी कर । आवासीय संस्थाओं के मामलों में 4पाली में कार्य संभव है ।
*अतिरिक्त्त व्यवस्था*
वेबकास्टिंग एक ऐसी प्रणाली है जिससे कई स्तर से सी सी टी वी के ज़रिए मॉनिटरिंग संभव है । सरकार इस प्रणाली को NIC के माध्यम से वेबकास्टिंग करा सकतीं है । जिसकी लिंक मॉनिटरिंग पुलिस कन्ट्रोल रूम में यातायात व्यवस्था की मॉनिटरिंग की तरह की जा सकती है ।
सी सी टी वी मॉनिटरिंग योजना के लिए हर संस्थान का सक्षम होना आवश्यक होगा । केवल उन्हीं NGO's को नर्सरी शिक्षा की अनुमति मिले जो ऐसा कर सकतीं हैं ।
5 :- ग्रामीण क्षेत्रों के मामलों में आंगनबाड़ी केंद्रों का सार्वजनिक स्थानों जैसे पंचायत द्वारा निर्मित सामुदायिक भवन स्कूलों भवनों के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो सकता है । जहां जनसामान्य की सहजरूप से सतत निगरानी होती है । मध्यप्रदेश में ऐसे प्रयोग सरकार के सांझा चूल्हा कार्यक्रम के ज़रिए मिड डे मील की आपूर्ति के कारण अधिकांश गाँवों में हुआ भी ।
सी सी टी वी मॉनिटरिंग योजना के लिए हर संस्थान का सक्षम होना आवश्यक होगा । केवल उन्हीं NGO's को नर्सरी शिक्षा की अनुमति मिले जो ऐसा कर सकतीं हैं ।
5 :- ग्रामीण क्षेत्रों के मामलों में आंगनबाड़ी केंद्रों का सार्वजनिक स्थानों जैसे पंचायत द्वारा निर्मित सामुदायिक भवन स्कूलों भवनों के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो सकता है । जहां जनसामान्य की सहजरूप से सतत निगरानी होती है । मध्यप्रदेश में ऐसे प्रयोग सरकार के सांझा चूल्हा कार्यक्रम के ज़रिए मिड डे मील की आपूर्ति के कारण अधिकांश गाँवों में हुआ भी ।
6 :- बच्चों के लिए जीपीएस मानिटरिंग बैंड और साउंड रिकार्डर :- ऐसी जीपीएस मानिटरिंग डिवाइस के विकास के लिए काम करना होगा जो साधारण व्यक्ति की क्रय सीमा के भीतर हो . जिनका लिंकिंग अभिभावकों के सेलफोन पर संभव हो सकती है. जिओ द्वारा जिस सस्ती प्रणाली से डाटा उपलब्ध कराया जा रहा है उसी नेटवर्क प्रणाली से जीपीएस डिवाइस का पोजीशनिग डाटा एवं साउंड डाटा अभिभावकों / स्कूल के डाटा बैंक जो सेलफोन हो में अंतरित हो सकते हैं .
तकनीकी विकास के दौर में उपरोक्त व्यवस्थाएं असंभव कदापि नहीं हैं ।
तकनीकी विकास के दौर में उपरोक्त व्यवस्थाएं असंभव कदापि नहीं हैं ।
इस व्यवस्था को नर्सरी/प्रायमरी स्कूलों में लागू कराना प्रस्तावित है