उसे रास्ता अब दिखा ही दो ,यारो नशे में वो चूर है ....!
*उसे रास्ते की तलाश है ,ये बात तुम न समझ सके !* *यहाँ क्यों हैं चेहरे, डरे हुए –ये बात हम न समझ सके !!* :::::::::: हर कोई किसी , किताब में कुछ है लिखा कुछ पढ़ रहा ! जिसने जिसे जैसा सुना- उसे वैसा ही वो गढ़ रहा ..!! हर कोई देखे कान से – कोई आँख से न परख सके !! यहाँ क्यों हैं चेहरे, डरे हुए – ये बात हम न समझ सके !! :::::::::: *तकरीर थी याकि आग थी* *कि जल उठे हैं शहर शहर !* *नई त्रासदी भोपाल की-* *अब जल उठेगी डगर डगर !!* *उसे रास्ते की तलाश है , ये बात तुम न समझ सके !!* :::::::::: *उसे रास्ता अब दिखा ही दो* *यारो नशे में वो चूर है ....!* *भूलो पुरानी कहावतें–* *दिल्ली न अब कोई दूर है !!* उसे रास्ते की तलाश है , ये बात तुम न समझ सके ! *गिरीश “मुकुल”*