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बुधवार, अप्रैल 20, 2016

सिलोचन यानी पंकचर जोड़ने वाला साल्यूशन पीने वाले बच्चे

अंकित साहू और अमिय यादव बीच में बच्चा
जो साल्यूशन के नशे का आदी है . 
आप चौंकते नहीं हो जब अपने सुकुमार बच्चे को स्कूटर कार  स्कूल छोड़ने या लेने जा रहे हों तब कोई बच्चा ठीक उसी उम्र का   . आप सोचिये जबलपुर नगर के बच्चे जब नशे की लत के गिरफ्त में हैं तो महानगरों की स्थिति क्या होगी. यह सब उन बच्चों के साथ हुआ करता है जिनके अभिभावक श्रमिक हैं जो सामाजिक सांस्कृतिक मूल धारा से बाहर इस वज़ह से क्योंकि वे अशिक्षित हैं .  उनका लक्षय दो वक्त की रोटी का इंतज़ाम साथ में पुरुष की थकान के नाम पर शराब की व्यवस्था करना होता है. बावजूद इसके कि सरकारी स्कूल मौजूद हैं , उसके पहले आंगनवाडी सेवाओं का विस्तार है पर दिहाड़ी के लिए आए मज़दूर का जीवन 3 बिन्दुओं पर  शहर में  टिका हुआ होता है . दो वक्त की रोटी, शराब, और सामाजिक मूलधारा से अलगाव. बहुधा ये लोग रिक्शा चलाते हैं पर अब ऑटो, पब्लिक ट्रांसपोर्ट एवं  कैब के दौर में ये रिक्शे वाले बहुत मुश्किल में हैं  . इनकी पत्नियां भी मज़दूरी अथवा झाड़ू-पौंछा आदि घरेलू काम में संलग्न होतीं हैं . बस ज़रा सा पैसा  दो वक्त की रोटी, शराब, में ख़त्म ... बच्चों के लिए तो मंदिर का दरवाज़ा,  सड़क का किनारा, कूड़े का ढेर ही  स्कूल  है . जहां जीवन जीने के लिए एक अर्थशास्त्र सीखते हैं ये बच्चे . कूड़े से प्लास्टिक और पन्नी बीन कर अथवा भीख मांगकर , कुछ पैसा घर में माँ को थमा देते हैं , कुछ पैसा  चुपके से बचाकर कंचे का जुआ , नशीला गुटखा, पंकचर जोड़ने वाले साल्यूशन को पीना, जैसे काम में लाते ये हैं बच्चे . इसके अलावा भी बच्चे हैं जो नर्मदा में कूदकर नारियल और चुन्नी खोज के लाते हैं . वापस दूकानदार उनको खरीदता है और फिर उनको  बिक्री के लिए तैयार बच्चों पर भी नज़र नहीं पड़ी किसी की . पड़ती भी है तो माँ रेवा के दर्शन से मोक्ष की लालसा लिए लोग क्यों इन मुद्दों पर सोचेंगे ? इन मुद्दों पर अंकित सरीखे  मूर्ख युवक सोचते हैं समझदार तो भीख देकर , छोटू चाय लाना बोलकर कुछ पैसा देकर मुंह मोड़ लेते हैं . क्यों नहीं हम सोचने को मज़बूर हैं कि इन बच्चों  को राष्ट्र और की मूलधारा में लाना है .  शायद हम सब इस बिंदु पर अत्यधिक लापरवाह हो चुके है किन्तु ऐसे दौर में भी  ज्ञानेश्वरी दीदी जैसी एक संत से मिलकर आपको लगेगा की संवेदनाएं अभी ज़िंदा हैं . 
 इस क्रम में एक कहानी ये भी देखिये 
 दिनांक 17 अप्रैल 16 रात्रि 11 बजे के आसपास जबलपुर के इंजीनियरिंग के विद्यार्थी अंकित साहू  और उनके मित्र सहयोगी गौरव एवं अमिय यादव  को माढ़ोताल थाना अंतर्गत साल्यूशन पीते हुए मिले बच्चे को पुलिस की मदद से बाल गृह भेजा गया है . इस कार्रवाई के दौरान CWC सदस्य श्री अरुण जैन मौजूद थे . अंकित के मन में नशे की गिरफ्त में आ चुके  बच्चों को को लेकर बेहद दर्द है . उसे भीख माँगते बच्चों की दशा भी नहीं देखी जाती . उसके चेहरे पर अजीब सा दर्द देखता हूँ. जब वो इन बच्चों पर विमर्श करता है .    

पिछले दिनों अंकित साहू मुझे फोन पर  बताया कि शहर से लगे  सूरतलाई क्षेत्र  के अधिकाँश बच्चे भीख माँगते हैं . स्कूल जाने की उम्र में इस तरह धन कमाने को मज़बूर बचपन के लिए एक बैचेनी लिए मुझे जब फोन किया तो मैंने तुरंत जिला बाल कल्याण अधिकारी श्री अखिलेश मिश्र को अवगत कराया . आश्वस्त हूँ कि वे शीघ्र अपेक्षित कार्रवाई अवश्य करेंगे .

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