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शनिवार, अप्रैल 16, 2016

वामअंग फरकन लगे 03

 
  इधर भारतीय जनमानस बाबा साहब को समझ ही रहे हैं कि   बाबा साहब पर लालियों के दावे पर मोहर लगाने नागपुर में कन्हैया के बयान पर आधारित वक्तव्य को एक पोर्टल ने  कुछ इस तरह छापा है  संघ संसद नहीं, 'मनुवादसंविधान नहीं
उन्होंने कहा, 'संघ संसद नहीं है और 'मनुवादसंविधान नहीं है।कन्हैया ने कहा कि मोदी सरकार जेएनयू जैसे शैक्षणिक संस्थानों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रही है और अपनी विचारधारा थोप रही है और छात्रों को उस गुनाह के लिए प्रताड़ित कर रही हैजो उन्होंने किया ही नहीं है ।
कन्हैया ने इन आरोपों का भी खंडन किया कि जेएनयू परिसर में भारत विरोधी नारे लगाए गए थे। इन्हीं नारों की वजह से राजद्रोह के आरोप में दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। भाषण के बाद संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, 'मोदी सरकार ने मुझे राजद्रोह के आरोप में फंसाकर बड़ी गलती की और मीडिया का इस्तेमाल मुझे राष्ट्र विरोधी के तौर पर पेश करने के लिए किया और मुझे जेल में डाल दिया।' उन्होंने कहा कि वह और अन्य लोग किसी भी कीमत पर जेएनयू की स्वायत्तता को बहाल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं ।
संघ संसद नहीं है - सच है कि संघ संसद नहीं है न ही संघ इस तरह का कोई दावा करता है न ही करेगा कि संघ संसद है . संसद संसद है संघ संघ है . सबका अपना अपना काम है . संघ ने "भारतसंघ" से ऊपर होने का दावा कभी किया भी कहाँ हैं आपकी नज़र में कोई ऐसा उदाहरण हो तो अवश्य बताएं  . मनुस्मृति पर आधारित हमारा समृद्ध संविधान है ही कहाँ ....? आप जिस बिम्ब को उकेरना चाहते हो वो एक काल्पनिक एवं युवा अवस्था की फैंटेसी मात्र है .  
  कन्हैया आप युवाओं को और समाज को  गुमराह करने की कोशिश अवश्य कर है इस तथ्य को कह  "संघ संसद नहीं है और 'मनुवादसंविधान नहीं है" जो सब जानते हैं मानते भी हैं पर आपका कथन  वर्त्तमान सन्दर्भों में सर्वथा गैरज़रूरी एवं बचकाना है . इससे बेहतर ये होता कि आप दलितों के मन में देशप्रेम की ज्वाला उकसाते ... पर आपका एजेंडा राष्ट्र का स्वाभिमान न होकर  है कुंठित मानव-शक्ति का सृजन करना है .  जिसकी झलक आपने 8 मार्च 16 के भाषण में सेना को बलात्कारी करार देकर दिखाई जिससे प्रेरणा से  अलगाववादी कश्मीर में सैनिक को बनकर में जलाने पर आमादा थे .
बाबा साहेब को नए सिरे से समझने एवं समझाने के अवसर पर पता नहीं क्यों "वामअंग फरकन लगे ?"  
वैसे मेरी नज़र में तुम गैर ज़रूरी हो पर  लेखक हूँ सही रास्ता बताना स्वाभाविक था सो बता दिया ........ मर्जी तुम्हारी मेरे बच्चे ....... 


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