साभार : listcrux.com से |
सोशल
मीडिया पर हो रही बातें
त्वरित होतीं हैं . जो त्वरित है वो अधपका हुआ करता है . अधपका भोजन और अधकचरी बात नुकसान देह होती हैं .
अश्वत्थामा हतो हत: ………त्वरित अभिव्यक्ति
में गर्माहट हो सकती
है चिंतन नहीं ..... !
किसी
को नीचा दिखाना
अपमानित करने वालों को यदि खुद
पर कोई टिप्पणी मिले
तो "असहिष्णुता" का आरोप
....... लगाना आज का शगल है . लोग अपने झुण्ड और झंडे को लेकर अति संवेदित और
भावुक हैं . मेरा मानना है कि ..... जब सात
रंग एक साथ
मिलकर पारदर्शी हो जाते
हैं तो कई
विचारधाराएं सर्वहारा के लिए
! आम आदमी के लिए
! उपयोगी क्यों नहीं हो सकती .भाई ये देश देखना एक दिन लांछन गाली-गुफ्तार को दर
किनार कर आगे
बढेगा ...... मुंह चला कर
देश का अपमान कराने
वाले झाड़ियों में
लुकाछिप जाएंगे झाड़ी के पीछे
स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाते .. बदबू फैलाते नज़र आएँगे. मुझे यकीन है हिन्दुस्तान
आगे आएगा सियासत और समाज के ढाँचे
में मौलिक बदलाव के साथ……
पता है न सबको जब नस्लें जाग जाती हैं
तो भारत के
भाग्य में सकारात्मक बदलाव आता है
........रावण का साम्राज्य, कंस का वैभव नन्द का अंत और अंग्रेजों का वापस जाना
पुष्टिकारक घटनाएं हैं .
आज की
चिंता तो बस इतनी है कि लोग संसद जैसी जगह की पवित्रता बनाए रखें . देश
किसी लपलपाती जीभ से नहीं मेहनती हाथों से
संवारा जाता है . न हिन्दू महान न मुस्लिम ......... सबसे महान देश है . अगर बाबा रामदेव ने दवाएं बेचनी शुरू कीं
तो माथे में दर्द ...... अगर श्री श्री ने सांस्कृतिक आयोजन किया तो पेट में दर्द
...... अगर मोदी न बोले तो सीने में दर्द अगर बोले तो कमर में दर्द ........ भाई
आपके दर्द का इलाज़ करने हम भारतीयों के
पास न तो समय है न दवा . कुछ दिन नींद की गोली लेके सोने की सलाह दे रहा हूँ .
बुरा न मानें एक स्लीपिंग पिल्स का पत्ता डाक्टर की सलाह पर मांगा लीजिये .
किसी को धर्म तो किसी को सम्प्रदाय की चिंता है
तो कोई काफी हाउस में बैठा मौजूदा हालात पे गरज़ता नज़र आ रहा है . लोग दिमाग में
ज़हर लिए घूम रहे हैं भीड़ देखी नहीं कि बस
छिड़क देते हैं ज़हरीले विचार . हर बार छिपे
और इस बार उजागर हुई जे एन यू घटना के बाद तो के लोग अजीब सदमें में हैं . बहुत
कुछ एक्सपोज़ हुआ है .
देख रहा हूँ कोई बाबा भीमराव जी पर अपना हक़ जमाए है तो कोई
गांधी जी पर तो कोई किसी रंग पर तो कोई किसी ढंग पर अरे भाई ....... भारत किसी की
निजी मिलकियत नहीं
न ही किसी की पुस्तैनी जागीर ......... ये अमन पसंद लोगों का देश है . शाम घर लौटो तो टीवी पे चिकल्लस , अखबार उठाओ तो विवादित बोल ......... यानी कुल मिला कर असहज वातावरण .
न ही किसी की पुस्तैनी जागीर ......... ये अमन पसंद लोगों का देश है . शाम घर लौटो तो टीवी पे चिकल्लस , अखबार उठाओ तो विवादित बोल ......... यानी कुल मिला कर असहज वातावरण .
सोशलएप का
एक ग्रुप है सामाजिक जो बासे लतीफे उल-ज़लूल वीडियो भेजता है तो दूसरे पे घटिया सियासी बकवास मानो अक्ल का अजीर्ण सा हो
गया . ये जानते हुए कि मनु-स्मृति के आधार
पर भारतीय संविधान नहीं लिखा गया उस किताब की प्रति जला कर जाने क्या साबित कर रहे
हैं लोग . जहां तक मैं जान पाया हूँ कि
कुछ लोगों का उद्देश्य होता है कि जनमन को प्रोवोग किया जावे भारत में
अस्थिरता का माहौल बनाया जावे . तेज़ी से बढ़ती टेक्नोलोजी का भरपूर दुरुपयोग जारी
है . चारों ओर से “अश्वत्थामा हत:.. अश्वत्थामा हत: ” का शोर सुनाई दे रहा है ...... सृजनात्मकता मिलेगी आपको लापतागंज में ..
जो आपके अंतस में गुमशुदा है ...... रोज़िन्ना शाम खोलिए मत टीवी , बंद कर दीजिये
वाट्सएप , फेसबुक ट्वीटर, बस एक घंटे के लिए आँख बंद कर अपने बच्चों को निहारिये
दिन भर अभावों से जूझते लोगों के बारे में सोचिये आपकी “विराट-सत्य” से भेंट हो
जाएगी .