23.12.15

निर्भया आखिर पत्थर को पिघला दिया तुमने पर देर हो गई



निर्भया तुम ज्योति बनी परन्तु बहुत देर हो जब तक तुम्हारे-ताप से पत्थर पिघले तब तक तुम्हारा क्रूर अपराधी सिलाई मशीन लेकर तार तार हुए  दिलों के पर सुइयां चुभाने की कोशिश में लग जाएगा . फिर भी तुम्हारी वज़ह से पत्थर पिघले .... चली गईं पर तुम्हारे बलिदान ने देश को अप्रतिम उपहार दिया है ..... क्या कहूं नि:शब्द हूँ ..... अब एक भी अक्षर लिखना मेरे लिए भारी है ....... नमन बेटी ............   
( जुविलाइन जस्टिस अधिनियम संशोधन पर त्वरित टिप्पणी )

कोई टिप्पणी नहीं:

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...