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शनिवार, नवंबर 21, 2015

हरेक मामले में उठाते हो अंगुलियाँ – क्या हश्र होगा आपका जो हाथ उठेंगे .. ?


मैं जाउंगा तो अश्क  के सैलाब उठेगें,
झुक जाएँगी नज़रें,  कई  लोग झुकेंगे
महफ़िल कभी चिराग  बिना, रौशन हुई है क्या  .....?
रोशन न रहोगे तुम भी, जो चिराग बुझेंगे..!!
दिल खोल के मिलिए गर मिलना हो किसी से –
वो फिर न मिला लम्हे ये दिन रात चुभेंगे !!
हरेक मामले में उठाते हो अंगुलियाँ –
क्या हश्र होगा आपका जो हाथ उठेंगे .. ?
                                गिरीश बिल्लोरे “मुकुल”
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पग पग पे मयकदा है हर शख्स है बादाकश
बहका वही है जिसने, कभी घूँट भर न पी !!
रिन्दों के शहर में हमने भी दूकान सज़ा ली
इक वाह के बदले में हम करतें हैं शायरी ..!!
                              गिरीश बिल्लोरे “मुकुल”

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मसले हल हुए न थे कि, कुहराम मच गया-
बदली हुई सूरत में वो    आवाम तक गया !
अक्सर हुआ यही है मेरे हिन्दोस्तान के साथ –
जिसपे किया यकीं वही बदनाम कर गया .!!
फिर कहने लगा चीख के,  संगे-दिल हो आप-
रिश्तों तार तार कर नुकसान कर गया !!
मुम्बई के धमाकों की समझ पेरिस में पाई है
समझा बहुत देर से, एहसान कर गया !!
                              गिरीश बिल्लोरे “मुकुल”


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