कलाम साहब ने कहा था - मेरी मृत्यु पर अवकाश घोषित न हो आप उस दिन अधिक कार्य करें .
मानवता के पुजारी एवं शताब्दी के युगयोगी ने साबित किया कि कितना सहज है धारा से शिखर की यात्रा मगर उससे भी सहज और सरल है "सहज और सरल" होना । मेरे देश के बच्चे जो उनसे मिले हैं निसंदेह भाग्यशाली थे । हमारे कानों में बस मिसाइल मैं के सन्देश अनवरत जारी रहेंगे । हम घंटो सोचते रहें तो भी शब्द नहीं मिल रहे । सदियों लिखेंगे तो भी अनोखा व्यक्तित्व के बारे में लिख न पाएंगे । समंदर की स्याही से कल्पतरु की कलम से अनंत आकाश पर लिखी जाती रहेगी उनकी अमरगाथा तब भी हम पूर्ण न लिख पाएंगे । भला आकाश जैसे महान के बारे में लिखने की शक्ति मुझ में तो नहीं
मानवता के पुजारी एवं शताब्दी के युगयोगी ने साबित किया कि कितना सहज है धारा से शिखर की यात्रा मगर उससे भी सहज और सरल है "सहज और सरल" होना । मेरे देश के बच्चे जो उनसे मिले हैं निसंदेह भाग्यशाली थे । हमारे कानों में बस मिसाइल मैं के सन्देश अनवरत जारी रहेंगे । हम घंटो सोचते रहें तो भी शब्द नहीं मिल रहे । सदियों लिखेंगे तो भी अनोखा व्यक्तित्व के बारे में लिख न पाएंगे । समंदर की स्याही से कल्पतरु की कलम से अनंत आकाश पर लिखी जाती रहेगी उनकी अमरगाथा तब भी हम पूर्ण न लिख पाएंगे । भला आकाश जैसे महान के बारे में लिखने की शक्ति मुझ में तो नहीं