Ad

मंगलवार, जुलाई 14, 2015

चंद शेर : गिरीश"मुकुल"


बदला ? कोई सवाल   नहीं  क्या लेके करूंगा
दिल जीतने निकला हूँ, दिल जीत ही लूंगा ..!!
:::::::::::
मेरे तुम्हारे बीच में क्या रफ़्तार का नाता ?
तुम तेज़ी से आ रहे हो मैं पर्वत सा खडा हूँ
::::::::::::
आओ कहीं मिल बैठ के बचपन को पुकारें
आएगा क्या हम जैसा ही छिप जाएगा कहीं
::::::::::::
मेरी ख़ाक बिखेर देना  हरियाली ही मिलेगी  
फसले - बहार हूँ, कोई  सेहरा नहीं हूँ मैं  !!
::::::::::::
दामन पे मेरे दाग ! ज़रा बच के निकलना
षडयंत्र तुम्हें तुम्हारे  कहीं याद न आएं  ?

::::::::::::
आँखों में मेरी  झौंक गया किरकिरी सी रेत
फिर आके पूछता है ज़रा रास्ता बताइये ?

 ::::::::::::
आँखों की किरकिरी हूँ वज़ह कोई तो होगी 
जा गुलबकावली का अर्क खोज के ले आ !

Ad

यह ब्लॉग खोजें

मिसफिट : हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉगस में