बदला ? कोई सवाल नहीं क्या लेके
करूंगा
दिल जीतने निकला हूँ, दिल
जीत ही लूंगा ..!!
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मेरे तुम्हारे बीच में क्या
रफ़्तार का नाता ?
तुम तेज़ी से आ रहे हो मैं
पर्वत सा खडा हूँ
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आओ कहीं मिल बैठ के बचपन को
पुकारें
आएगा क्या हम जैसा ही छिप
जाएगा कहीं
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मेरी ख़ाक बिखेर देना हरियाली ही मिलेगी
फसले - बहार हूँ, कोई सेहरा नहीं हूँ मैं !!
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दामन पे मेरे दाग ! ज़रा बच
के निकलना
षडयंत्र तुम्हें तुम्हारे कहीं याद न आएं ?
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आँखों में मेरी झौंक गया किरकिरी सी रेत
फिर आके पूछता है ज़रा रास्ता
बताइये ?
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आँखों की किरकिरी हूँ वज़ह कोई तो होगी
जा गुलबकावली का अर्क खोज के ले आ !