मत कहो
अंतरात्मा की आवाज़ सुनो
मैंने सुनी हैं ये आवाजें
बहुत खतरनाक हैं भयावह हैं
तुम हिल जाओगे
बचाव के रास्ते न चुन पाओगे
पहले तुम
अंतरात्मा की आवाज़ सुनो
गुणों चिंतन करो
आगे बढ़ो मुझे न सिखाओ
न मैं बिना गले वाला हूँ
मेरे पास सुर हैं संवाद है
आत्मसाहस है
जो जन्मा है मेरे साथ
बोलूंगा अवश्य अंतर आत्मा की आवाज़ पर
तुम सुन नहीं पाओगे
मेरी अंतरात्मा से निकलीं
आवाजें जो तुम्हारी हैं
भयावह भी जो तुम्हारी छवि खराब करेगी
तुम्हारे बच्चे डरेंगे मुझे इस बात की चिंता है ...
**गिरीश बिल्लोरे “मुकुल”