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सोमवार, सितंबर 15, 2014

आभार ए बी पी न्यूज़ : हिंदी ब्लागिंग को पहचानने के लिये किंतु सवाल शेष रह गये


                       हिंदी भाषा  को लेकर ए बी पी न्यूज़ पर आज़ एक उत्सव का आयोजन बेशक चिंतन को दिशा दे गया. चिंतन में  पहला सवाल हिंदी के उत्सव के मनाने न मनाने को लेकर विमर्श में सबने कहा कि -" हिंदी के लिये उत्सव मनाना चाहिये हिंदी विपन्न नहीं हुई है संवाहकों संवादकर्ताओं की विफ़लता है."


मेरी मान्यता इससे ज़रा सी अलग है हिन्दी जब तक रोटी की भाषा न बनेगी तब तक मैं सोचता हूं  हिन्दी दिवस हिन्दी सप्ताह हिन्दी पखवाड़े हिन्दी माह के बेमानी है. ये अलग बात है कि हमारे प्रधान सेवक हिंदी में अपनी बात रख रहे हैं. फ़िर भी मैं हिंदी उत्सव तब मनाऊंगा   जबकि  हिंदी विकीपीडिया वाले हिन्दी के सन्दर्भों जब तक टांग अड़ाना बंद करेंगेदेश के वकील हिंदी में  रिट पिटीशन और डाक्टर नुस्खे हिन्दी  में लिखेंगे तथा कर्ज़ के लिये आवेदन हिंदी में भरवाए जाएंगे हां तब तक  कम से कम मैं तो उत्सव न मनाऊंगा. यहां स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं भारतीय भाषाओं के महत्व के लिये उतना ही उत्तेजित हूं जितना कि हिंदी के लिये. 

                    भाषा की समृद्धि का आधार  है भाषा और  रोटी का समीकरण . भाषा यदि रोटी से जुड़ी हो तो उसका प्रवाह सहज होता है .
ए.बी.पी. न्यूज़ पर हुई  बहस में  बाज़ार के सवाल पर  नीलेश मिश्र एवम कुमार विश्वास से सहमत हूं  कि बाज़ार की वज़ह से अगर हिंदी आम बोल चाल की भाषा बनी रहती है तो अच्छा ही है.  यद्यपि मुझे हिंदी को  ज्ञान की भाषा न बनाने के विदेशी भाषा के दबाव पर चर्चा की कमी खली । ए बी पी न्यूज़ पर  सुधीश पचौरी इस बिंदू के नज़दीक आते नज़र आए परंतु फ़टफ़टिया चैनल्स के पास समयाभाव होता है. जिसकी वज़ह से शायद किसी भी प्रतिभागी ने  क़ानून , चिकित्सा, अर्थ-विज्ञान , समाज अथवा अन्य विषयों से  हिंदी के बढ़ते  अंतराल पर कोई चर्चा नहीं की ?  

 ए बी पी न्यूज़ ने  अपने वादे के मुताबिक हिंदी को सम्मानित दर्ज़ा दिलाने की  दिलाने की निरंतर कोशिश करने वाले ब्लॉगर्स यानी चिट्ठाकारों को सम्मानित करने के लिए ए  बी पी न्यूज़ का हिंदी के सभी चिट्ठाकारों स्वागत किया.  सम्मानित हुए अन्य ब्लॉगरों में दिल्ली की रचना (महिलाओं के मुद्दों पर लेखन), दिल्ली के पंकज चतुर्वेदी (पर्यावरण विषयपर लेखन इन्डिया वाटर पोर्टल), दिल्ली के मुकेश ‍तिवारी (राजनीतिक मुद्दों पर लेखन),  दिल्ली के प्रभात रंजन (हिन्दी साहित्य और समाज पर लेखन)  अलवर के शशांक द्विवेदी (विज्ञान के विषय पर लेखन),  मुंबई के अजय ब्रम्हात्जम (सिनेमा, लाइफ़ स्टाइल पर लेखन), इंदौर के प्रकाश हिंदुस्तानी (समसामायिक विषयों पर ब्लॉग), फ़तेहपुर के प्रवीण त्रिवेदी (स्कूली शिक्षा और बच्चों के मुद्दों पर ब्लॉग) और लंदन की शिखा वार्ष्णेय (महिला और घरेलू विषयों पर लेखन) शामिल हैं.

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