Ad

सोमवार, अप्रैल 28, 2014

मन अकारण खुश हो तो व्यक्तित्व में निखार आता है..

               मन अकारण  खुश हो तो व्यक्तित्व में निखार आता है.... कारण सहित प्रसन्नता आत्मविश्वास को दो गुना हो जाता है आज़ मेरे साथ ऐसा ही है.. मेरी बिटिया शिवानी तीन साल पहले बी काम आनर्स के लिये इंदोर गई थी. सवाल ये उठे थे तब कि क्या जबलपुर में बेहतर कालेज नहीं . सवालों को अनसुना किया इंदौर के कुछ कालेज में घूमा एक कालेज प्रबंधन ने बताया - सर, देखिये हमारे कालेज में Abhishek Bachchan तक आ चुके हैं. शिक्षा के व्यावसायीकरण के दौर में @Abhihek Bachchan अथवा Dr. Kumar Vishwas जैसों का सहारा लेना स्वभाविक है.. किंतु मेरी नज़र में सर्वथा ग़लत था और आज़ भी ग़लत ही है..
IPS Academy, Indore में मुझे ऐसा ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दिया गया. सीनियर बच्चों के ओजस्वी चेहरों ने कालेज का स्तर बता दिया. बस तीन साला सफ़र Shivani Billore ने ऐसे शुरु किया. स्कूल के दिनों से ही बिटिया में तर्क शक्ति समझदारी और बुद्धि स्तरीय है .
उसकी एक मित्र ने कामर्स विषय लेने पर कुछ कमेंट किया तो एक मित्र को ये कहती पाई गई - "केवल साईंस फ़ेकल्टी से देश नही चलता समझी तुमको तो मैं अपनी कम्पनी में नौकरी दूंगी ,"
संकल्प कुछ सीमा तक सार्थक हुआ , कुछ दिन पहले ही दुनियां की तीन श्रेष्ठ कम्पनीयों में शुमार "यंग्स एंड अर्न्स" कम्पनी के कैम्पस में कालेज से अकेली सलेक्ट हुई. ये अलग बात है कि मैं उसे Indian Administrative Service (IAS) के रूप में देखना चाहता था...
जो भी हो एक संकल्प को खुल के सपोर्ट देना ज़रूरी खासकर बेटियों के.. संकल्पों को नज़र अंदाज़ न करें .. मन बस इसी वज़ह से खुश है कि शिवानी को वापस लेने जाना है.. उसकी परीक्षा अब खत्म हो चुकी है. उसकी मनमोहनी बातों में खो जाना चाहता हूं..

Ad

यह ब्लॉग खोजें

मिसफिट : हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉगस में