जून की आपदा में पूरे उत्तराखंड में जगह-जगह गांव-घर-जमीनें धसकी है। किन्तु फिर भी अलकनंदा पर प्रस्तावित विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना (400 मेवा) की कार्यदायी संस्था टी.एच.डी.सी.विस्फोटो का प्रयोग कर रही है। विष्णुगाड-पीपलकोटी बांध के विद्युतगृह को जाने वाली सुरंग निर्माण के कारण हरसारी गांव के मकानों में दरारें पड़ी है, पानी के स्त्रोत सूखे है, फसल खराब हुई है। लोगो ने बांध का विरोध किया है। नतीजा यह है कि लगभग दस वर्षो बाद भी प्रभावितों की समस्याओं का निराकरण नही हुआ है। बांध का विरोध इसलिये बांध कंपनी द्वारा झूठे मुकद्दमों में फंसाने की कोशिशे जारी। हरसारी के प्रभावित समाज-सरकार के सामने एक दिन के उपवास पर बैठे है। ताकि बांध कंपनी की मनमानी और लोगो की पीड़ा सामने आये। एक आपदाग्रस्त राज्य में टी.एच.डी.सी. द्वारा नई आपदा लाने को स्वीकार नही किया जायेगा।
गोपेश्वर में जिलाधीश कार्यालय के बाहर धरने पर शहरी विकास मंत्री एंव चमोली जिला आपदा प्रभारी श्री पीतम सिंह पंवार और श्री अनुसूया प्रसाद मैखुरी उपाध्यक्ष विधानसभा ने लोगो से मुलाकात की और जिलाधीश व पुलिस अधीक्षक को केस वापिस लेने के निर्देश दिये। उन्होने कहा की प्रभावितों के हितो की उपेक्षा नही की जायेगी।
ज्ञातव्य है कि अभी टी.एच.डी.सी. को 13 अगस्त 2013 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये आदेश के कारण विष्णुगाड-पीपलकोटी बांध के लिये राज्य सरकार से पर्यावरण स्वीकृति नही मिली है।
गोपेश्वर में जिलाधीश कार्यालय के बाहर धरने पर शहरी विकास मंत्री एंव चमोली जिला आपदा प्रभारी श्री पीतम सिंह पंवार और श्री अनुसूया प्रसाद मैखुरी उपाध्यक्ष विधानसभा ने लोगो से मुलाकात की और जिलाधीश व पुलिस अधीक्षक को केस वापिस लेने के निर्देश दिये। उन्होने कहा की प्रभावितों के हितो की उपेक्षा नही की जायेगी।
ज्ञातव्य है कि अभी टी.एच.डी.सी. को 13 अगस्त 2013 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये आदेश के कारण विष्णुगाड-पीपलकोटी बांध के लिये राज्य सरकार से पर्यावरण स्वीकृति नही मिली है।
सुप्रीम कोर्ट की डबल-बैंच के निर्देश थे कि ‘ पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के साथ साथ उत्तराखंड राज्य उत्तराखंड में किसी भी जल विद्युत परियोजना के लिए पर्यावरणीय या वन स्वीकृति न दें।‘‘
सूत्र बताते हैं कि मकान पहले ही जीर्ण-शीर्ण हालत में है, भयानक विस्फोटों के कंपन से हमारे मकानों में कंपन होता है, जिसकी सूचना लगातार जिला अधिकारी/उपजिलाधिकारी को वे देते आये हैं, तथा उपजिलाधिकारी ने आश्वस्त भी किया कि वे अपने कर्मचारियों को हम आपके गांव में भेजेंगे। किंतु आवेदक इंतजार ही करते रहे, फिर उनको फोन से अवगत कराया कि लगातार रात 11 बजे से 2 बजे तक विस्फोट हो रहे हैं, लोग डर के मारे घर में सोते वक्त बाहर आते हैं, आज तक हम लगातार विस्फोटों को बंद करने की मांग करते आये हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवायी नहीं हुई। इस क्षेत्र में वर्षा से जगह-जगह पर भू-स्खलन हो रहे हैं हरसारी में श्री तारेन्द्र प्रसाद जोशी का मकान भी गिरा है। जिसका सर्वेक्षण राजस्व विभाग/बांध कंपनी टी.एच.डी.सी. ने आकर किया है तथा राजस्व विभाग से प्रभावित को मुआवजे के तौर पर अस्सी हजार रूपये भी दिये गये हैं
ऐसे समय पर जब आपदा आयी हुयी है प्रदेश में बांधों से भारी तबाही हुयी है, टी.एच.डी.सी. ने दोबारा से सुरंग निर्माण का कार्य शुरू किया है तो हमारे अंदर दहशत बैठी हुई है और हम बुरी तरह से डरे हुए हैं हमारी समस्याओं का निराकरण किये बिना विस्फोट जारी है,
इस परिपेक्ष्य में आवेदको जब 4 सितंबर 2013 को जब हम कार्य बंद करने गये तो टनल के अंदर से ठेकेदार के कर्मचारी कार्यदायी संस्था टी.एच.डी.सी. के कर्मचारी श्री टिकेन्द्र कोटियाल जी जहां पर सड़क में हम ग्रामीण विरोध कर रहे थे तो उपर आये, हम सभी ने कहा कि निर्माण कार्य बंद करो और हमारी मकानें तो आप ने स्वंय आकर देखी है जो कि ज़मीन पर विस्फोटों की वजह से गिरी पड़ी है, इतने में उत्तेजना में आकर उन्होंने नरेन्द्र पोखरियाल के साथ बद सलूकी की .
सूत्र बताते हैं कि मकान पहले ही जीर्ण-शीर्ण हालत में है, भयानक विस्फोटों के कंपन से हमारे मकानों में कंपन होता है, जिसकी सूचना लगातार जिला अधिकारी/उपजिलाधिकारी को वे देते आये हैं, तथा उपजिलाधिकारी ने आश्वस्त भी किया कि वे अपने कर्मचारियों को हम आपके गांव में भेजेंगे। किंतु आवेदक इंतजार ही करते रहे, फिर उनको फोन से अवगत कराया कि लगातार रात 11 बजे से 2 बजे तक विस्फोट हो रहे हैं, लोग डर के मारे घर में सोते वक्त बाहर आते हैं, आज तक हम लगातार विस्फोटों को बंद करने की मांग करते आये हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवायी नहीं हुई। इस क्षेत्र में वर्षा से जगह-जगह पर भू-स्खलन हो रहे हैं हरसारी में श्री तारेन्द्र प्रसाद जोशी का मकान भी गिरा है। जिसका सर्वेक्षण राजस्व विभाग/बांध कंपनी टी.एच.डी.सी. ने आकर किया है तथा राजस्व विभाग से प्रभावित को मुआवजे के तौर पर अस्सी हजार रूपये भी दिये गये हैं
ऐसे समय पर जब आपदा आयी हुयी है प्रदेश में बांधों से भारी तबाही हुयी है, टी.एच.डी.सी. ने दोबारा से सुरंग निर्माण का कार्य शुरू किया है तो हमारे अंदर दहशत बैठी हुई है और हम बुरी तरह से डरे हुए हैं हमारी समस्याओं का निराकरण किये बिना विस्फोट जारी है,
इस परिपेक्ष्य में आवेदको जब 4 सितंबर 2013 को जब हम कार्य बंद करने गये तो टनल के अंदर से ठेकेदार के कर्मचारी कार्यदायी संस्था टी.एच.डी.सी. के कर्मचारी श्री टिकेन्द्र कोटियाल जी जहां पर सड़क में हम ग्रामीण विरोध कर रहे थे तो उपर आये, हम सभी ने कहा कि निर्माण कार्य बंद करो और हमारी मकानें तो आप ने स्वंय आकर देखी है जो कि ज़मीन पर विस्फोटों की वजह से गिरी पड़ी है, इतने में उत्तेजना में आकर उन्होंने नरेन्द्र पोखरियाल के साथ बद सलूकी की .