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रविवार, जुलाई 28, 2013

महिलाओं एवम बच्चों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम के लिये समन्वित कोशिशें आवश्यक जस्टिस के. के. लाहौटी

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री के.के. लाहोटी ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ते अपराध की रोकथाम का दायित्व पूरे समाज का है ।
समाज में नागरिक, शासन तंत्र और न्यायपालिका सभी शामिल है ।
  पहला दायित्व है अपराध करने की मनोभावना पर पूर्ण अंकुश लगे और यदि अपराध होता है तो अपराधी को शीघ्र कठोर दण्ड मिले ।  पीड़ित को त्वरित राहत पहुंचायी जाय ।

       मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री लाहोटी शनिवार को जबलपुर के तरंग प्रेक्षागृह में मध्य प्रदेश राज्यविधिक सेवा प्राधिकरण और मध्य प्रदेश पुलिस (महिला अपराध)जबलपुर जोन के संयुक्त तत्वावधान में महिला एवं बच्चों के अधिकारों की संरक्षा और उनके प्रति बढ़ते अपराधों की रोकथाम में न्यायपालिका,पुलिस और प्रशासन के दायित्व विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को मुख्य अतिथि कीआसंदी से संबोधित कर रहे थे ।  कार्यशाला की अध्यक्षता पुलिस महानिदेशक श्री नंदन दुबे ने की ।
मचासीन अतिथि 

       संभागायुक्त जबलपुर संभाग दीपक खाण्डेकर, प्रमुख सचिव महिला बाल विकास बी.आर. नायडू, कार्यशाला में 15 जिलों के कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षक तथा पुलिस, प्रशासन, राजस्व, महिला एवं बालविकास, जिला न्यायालयों के न्यायाधीशगण और संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे ।

       मुख्य न्यायाधीश श्री लाहोटी ने कहा कि महिला और बच्चों के प्रति संवेदनशील व्यवहार, सम्मानभाव और उन्हें सुरक्षित माहौल का उच्च नैतिक गुण तथा परम्परा भारतीय समाज में रही है ।  लेकिनकिन्हीं कारणों से धीरे-धीरे इसमें कमी आयी है ।  समाज को इस ओर ध्यान देना होगा ।

       मुख्य न्यायाधीश श्री लाहोटी ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों के मद्देनजरसर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश जारी किये हैं ।  जिनका मध्य प्रदेश में पालन सुनिश्चित किया जा रहा है।  नियमों, कानूनों में सुधार किया गया है ।  उन्हें और सख्त भी बनाया गया है । न्यायालय नेमहिला-बच्चों के प्रति अपराध प्रकरणों का निराकरण करने में शीघ्रता लायी है ।
द्वितीय सत्र 

       मुख्य न्यायाधीश ने मध्य प्रदेश की पुलिस की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस ने ऐसे प्रकरणों परअपेक्षित अनुसंधान आदि कार्रवाई को समय-सीमा में पूरा कर न्यायालय को त्वरित न्याय प्रदान करने मेंसहयोग प्रदान किया है । जिससे न्यायालय महिलाओं के प्रति अपराधिक प्रकरणों का निराकरण दो माह सेकम समय में करने में सक्षम हुए हैं ।  मुख्य न्यायाधीश श्री लाहोटी ने बताया  मुख्य न्यायाधीश श्री लाहोटी ने कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा भी इस दिशा में विशेषप्रयास किये जा रहे है ।  सर्वोच्च न्यायालय के बचपन बचाओ तथा महिला संरक्षण के निर्देशों तहत कार्यकिया जा रहा है ।  राज्य व्यापी वृहद लोक अदालत में बड़ी संख्या में प्रकरणों का निराकरण सुनिश्चितकराया गया ।  जो कि प्रदेश के लिये एक मिशाल रहा ।  श्री लोहाटी ने कहा ऐसे प्रयास निरन्तर जारी रहनेचाहिये ।  तभी पुलिस, न्यायपालिका और शासन तंत्र पर महिलाओं और बच्चों का विश्वास सुरक्षा औरआदर भाव सुदृढ़ होगा ।  बच्चों और महिलाओं को पुलिस थाने आने और अपनी परेशानी बताने में भयनहीं लगेगा ।

       मुख्य न्यायाधीश श्री लाहोटी ने कहा कि अमेरिका में बच्चों को भरपूर आदर-सम्मान प्राप्त होता है ।बच्चों के मामले देखने वाले पुलिस अधिकारी का व्यवहार बच्चों के प्रति बहुत अच्छा तथा संवेदनाओं से भरा रहता है । अमेरिका में यदि 911 नंबर डायल हुआ है तो तुरन्त पुलिस बिना देर किये जहां से फोन किया गया है उस स्थान पर पहुंचती है तथा पूंछताछ करती है कि कहीं किसी बच्चे को कोई परेशानी तो नहींहै ।  उन्होंने कहा कि महिला एवं बच्चों के अपनी सुरक्षा के प्रति ऐसा ही दृढ़ विश्वास पैदा करना हमारादायित्व है ।

       इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा महिलाओं और बच्चों केअधिकारों की संरक्षा व उनके प्रति बढ़ते अपराधों की रोकथाम में न्यायपालिका पुलिस एवं प्रशासन कादायित्व महत्वपूर्ण विषय है । यह समाज के भीतर के अपने लोगों से संबंधित है ।  उन्होंने कहा आवश्यकहै समाज समझे उन्हें क्या सुधार करना है ।  श्री दुबे ने कहा इस विषय पर समाज की संवेदनशीलताआवश्यक है ।  उन्होंने कहा हमें अपने सोच के तरीकों में बदलाव आवश्यक है ।  पुलिस महानिदेशक नेकहा बहू-ससुराल पहुंच जाये तो उसे विदेशी न समझा जाये ।  उसे अपनी बेटी की तरह व्यवहार कियाजाये, न कि अत्याचार । श्री दुबे ने बच्चों से भीख मंगवाना और महिलाओं से वैश्यावृत्ति कराने विषय परअपनी बात रखते हुए कहा यह गलत और अनैतिक है ।  हमारे शास्त्रों में नारी को पूज्यनीय माना गया है । उन्होंने सामाजिक बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया ।  दतिया और उमरिया जिले में विदेशी महिलाओं के साथ घटित घटना की चर्चा करते हुए कहा कम समय में पीड़ित को न्याय मिलने को अच्छी शुरुआत निरूपित किया.

       इसी अवसर पर प्रमुख सचिव महिला बाल विकास बी.आर. नायडू ने कहा महिला एवं बच्चों केअधिकारों के कानून एक महत्वपूर्ण विषय है, इसे समझने व जानने की आवश्यकता है ।  उन्होंने कहा आज यह कार्यशाला आयोजित की गई है, इसे प्रदेश के अन्य संभागों और जिलों में की जायेगी । श्री नायडू ने कहा इसमें स्वयंसेवी संगठनों को जोड़ना होगा ।  उन्होंने कहा जनजागरूकता कार्यक्रमों के लिए राशि की कमी नहीं है ।श्री नायडू ने यह भी कहा कि- सरकार निचले स्तर तक ऐसे संसाधन पहुंचाने के लिये वचनबद्ध है ताकि कानूनों का अधिकतम लाभ पीढितों  को प्राप्त हो सके. 
              महिला एवम बाल विकास विभाग के मैदानी अमले तक कानूनो की जानकारी देने विभाग कृत संकल्पित है. ऐसी कार्यशालाओ का आयोजन जिला एवम खण्ड स्तर तक किया जावेगा। 
      द्वितीय सत्र में भी प्रमुख सचिव महिला बाल विकास बी.आर. नायडू की सक्रीय भागीदारी उल्लेखनीय रही. 

       सदस्य सचिव मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अनुराग श्रीवास्तव ने इस मौके पर कहामहिला एवं बच्चों के अधिकारों के संरक्षण पर आधारित यह कार्यशाला आयोजित की गई है, उक्त कार्यशालामध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति एवं कार्यपालक अध्यक्ष मध्य प्रदेश राज्यविधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के मार्गदर्शन पर आयोजित है ।  आपकी प्रेरणा से इसी तरह के कार्यक्रमकिये जायेंगे ।
              मृत्युदण्ड के आठ प्रकरणों में चार प्रकरणों में अपील उच्च न्यायालय द्वारा निराकृत की जा चुकी है ।  शेष शीघ्र निराकरण कीस्थिति में है ।  यह महिलाओं और बच्चों के प्रति संवेदनशीलता में हुयी वृद्धि तथा जागरूकता का प्रतीक है कानूनो में नये परिवर्तन आये है, कार्यशाला मे इन्ही बदलाव के साथ न्यायपालिका,पुलिस और प्रशासन के दायित्व  पर चर्चा करना कार्यशाला का महत्वपूर्ण बिंदू है.

       कार्यशाला में पुलिस महानिरीक्षक (महिला अपराध) जबलपुर जोन प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने इस मौकेपर कहा प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों की रोकथाम के लिए अपने तरह का यहपहला विशेष प्रयास है ।  उन्होंने कहा इस कार्यशाला में 15 जिलों के अधिकारियों को समग्र प्रशिक्षण दियाजायेगा । सुश्री श्रीवास्तव ने कहा इस कार्यशाला में महत्वपूर्ण बात यह है कि जागरूकता और प्रशिक्षणकार्यक्रम में न्यायपालिका का विशेष एवं महत्वपूर्ण सहयोग मिला ।

कार्यशाला में कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षकों के साथ चयनित अनुविभागीय दण्डाधिकारी,तहसीलदार, नायब तहसीलदार, प्रशासनिक अधिकारी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के जिला चिकित्साअधिकारी एवं ब्लाक मेडिकल आफीसर, महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत जिला महिला एवं बालविकास अधिकारी और एक ब्लाक स्तरीय अधिकारी महिला सशक्तिकरण अधिकारी, पुलिस विभाग केअधिकारीगण शामिल हए ।

       कार्यशाला में जबलपुर, नरसिंहपुर, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, रीवा, सतना,सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिलों के अधिकारी शामिल हुए । कार्यशाला का आयोजनमहिलाओं और बच्चों को समाज में बेहतर सुरक्षित वातावरण प्रदान करने की दिशा में अनूठे प्रयास कीशुरूआत है। कोशिश हैं उन्हें अच्छे माहौल के साथ सुरक्षा और त्वरित न्याय मिले।

       कार्यशाला में बताया गया कि लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, घरेलू हिंसा सेसंरक्षण, महिला अपराधों के रोकथाम को प्रभावी बनायें कानून में बदलाव लाकर उन्हें अधिक प्रभावीबनाया गया है। विवेचना में गुणात्मक सुधार आयेगा। म.प्र. शासन के निर्देशानुसार अधिक गुणवत्तायुक्त त्वरित प्रयास होंगे।  कार्यशाला में पूरे दिवस महिला एवं बच्चों से संबंधित अपराध होने पर सी.आर.पी.सी. और आई.पी.सी. में हुए परिवर्तन की जानकारी दी गई ।
---------------- झलकियां-------------
  • कार्यशाला में लिये निर्णय अनुसार  न्यायविदों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में घरेलू हिंसा-प्रतिरक्षण अधिनियम  एवम प्रक्रिया विषय को शामिल किया जाएगा
  • पुलिस विभाग एवम महिला बाल विकास विभाग भी सतत प्रशिक्षण के पक्षधर नज़र आए. 
  • पुलिस महिला बाल विकास एवम सेवा प्रदाताओं की मध्य  समन्वय की की कमीं को स्वीकारते हुए समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया गया. 
  • जस्टिस लाहौटी ने मीडिय़ा को सकारात्मक प्रयासों को उभारने की सलाह दी. 

                   (समाचार सहयोग :- उपसंचालक सूचना एवं प्रकाशन विभाग मध्य-प्रदेश भोपाल ) 

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