फ़ोटो : उदंति.काम ब्लाग से साभार |
कुछ मित्र मरहम लगाने की अदा से आए हमें मालूम था कि पादरी फ़ूट फ़ूट के रोएगा हरिया झूठा टसुए बहाएगा, जूली मैम बिदाई के वक़्त जो बोल रही होगी ठीक उससे उलट सोच रही होगी .. अच्छा टला खूब डांटता था. अरे हां अपन ने मरहम न लगवाया तो उनको बुरा अवश्य लगा जो बड़े जतन से मरहम में नमक मिला के लाए थे. नसीरुद्दीन पालिशड बातें करता हुआ अपनी क़मीनगी का इज़हार कर रहा था कुल मिला के फ़ुल नौटंकी पर अपन ढीठ बिना न नुकुर के चल पड़े. डेरा-डंगर लिये. उनका धंधा वो जानें अपने राम की अपनी डगर .
नये दफ़्तर में पहुंचते ही कुछ हमको पहचाने की कोशिश में थे कुछ पहले से ही जानते पहचानते थे. कुछ बस सुनी सुनाई बातों के ज़रिये हमारे बारे में अनुमान लगाते नज़र आए.
कई लोग मिलने आए एक आदमी एकाक्षी शुकदेव काला चश्मा लगाए दफ़्तर में तशरीफ़ लाया अपना कार्ड वार्ड लेकर . खुद की औक़ात नपवाने लगा. अमुक जी मेरे ये हैं तमुक जी मेरे वो हैं.
बाद में कई और भी आए कोई कलक्टर साब का दोस्त था तो कोई कमिश्नर सा’ब का क़रीबी. तभी एक ने बताया कि कैसे उसने पुरानी अधिकारी का तबादला करवाया . बीस बरस से लगातार हम ऐसी मक्क़ारियों से दो-चार होते आए हैं सो इसे पार्ट आफ़ द जाब मान के एंज्वाय करते रहे.
अगर आप सरकारी जीव हैं तो एक सूत्र याद रखिये जो सबसे पहले आपसे मिलकर अपनापा अभिव्यक्त करने की कोशिश करो तो जानिये सलीब पर लटकाने वाला वही होगा.
ब्लैकमेलर,चुगलखोर, मक़सदपरस्तों की लिस्ट हमने बाक़ायदा तैयार कर ली है.पंद्रह बीस दिनों तक ऐसे नामाकूलों की आवाजाही से परेशान हमने आनेवालों के सामने बिजी होने की नौटंकी शुरु कर दी एक दो बार उन्हीं के सामने मातहतों को डपटना शुरु कर दिया बस फ़ुरसतिया लोगों की आवाज़ाही अचानक कम होने लगी. अरे हां वो एक जनसेवक मुझसे एक प्रकरण के बारे में खूब-पूछताछ कर रहे थे . फ़ाइल के मुआइने के लिये दस दिन का वक़्त मांग के हमने फ़ाइल का मुआइना किया तो बता चला श्रीमान येन केन प्रकारेण मेरी एक मातहत की शिकायत का बहाना खोज शिकायत दागा करते थे. उनके बीसीयों आवेदन फ़ाइल में लगे हैं . हर अर्जी में नई शिकायत
foto By Dr. Awadh Tiwari |
मेरे प्रस्ताव से तिलमिलाया शिक़ायत कर्ता काम का बहाना करते हुए बोला-साब, मैं जा रहा हूं पर आप..
मैने कहा-" जी पर मैं क्या..? श्रीमान अब आप मुझसे ऊपर वालों तक जाएं मेरी शिकायत करें ताक़ि मेरा यहां से तबादला आसानी से हो जाये. यहां तो अच्छा सा सरकारी मक़ान तक एलाट नहीं हो पाया हुआ उसमें आपका एक भाई रहता पाया गया "
मेरा भाई..?
शिकायत करने वाला अब तो तिलमिला उठा बोल न सका पर फ़ुंफ़कारता दफ़्तर से बाहर निकल गया.
दोस्तो वाक़ई में मुझे जो बंगला अलाट हुआ उसमें एक सांप मैने हर-बार देखा. सो बस तय कर लिया कि अपने खास मित्र के साथ नहीं रहना है.
अब बताएं सरकार ने अफ़सर को जो सुविधा दी उसे सांप भोग रहा हो इसका अर्थ तो एक ही न हुआ.. सो अपने खास दोस्त के हक़ पर डाका क्यों डालूं.. ?