6.4.12

कर्जे की भाषा के ज़रिये सफल क्रांतियाँ क्या संभव है..?

कर्जे की भाषा के ज़रिये
सफल क्रांतियाँ क्या संभव है..?
तुमने जो कुछ  किया मीत  वो
केवल   प्रयोग अभिनव है..!!

अपनी अपनी भाषा में ही
आज क्रांति की अलख जगालो.!
सच कैसे बोला जाता है
मीत ज़रा खुलकर समझा दो..!!


एक पड़ाव को जीत मानकर
रुके यही इक  भूल  थी साथी !
जिन दीपों से जगी मशालें-
उन दीपों की बुझ गई बाती..!


 रुको कृष्ण से जाओ पूछो-
 शंखनाद कैसे करतें हैं....?
             बैठ के पल भर साथ राम के
              पूछो हिम्मत कैसे भरते हैं.?

       







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मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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