जो दर्द पीकर सुबक न पाया
वो जिसने आंसू नहीं बहाया .
उसी की ताक़त से हूं मैं ज़िंदा
उसी ने मुझमें है घर बनाया.
न जाने है कौन वो जो मुझमे
बसा हुआ है रचा हुआ है...
क़दम मेरे जो डगमगाए
सम्हाल मुझको वो पथ सुझाए
हां मुझ में मै ही रचा बसा हूं
तभी तो खुद ही सधा सधा हूं
किसी में खुद की तलाश क्योंकर
मैं खुद ही खुद का खुदा हुआ हूं
मैं रंग गिरगिट सा नहीं बदलता
मैं हौसलों से पुता हुआ हूं
न जाने है कौन वो जो मुझमे
बसा हुआ है रचा हुआ है...
क़दम मेरे जो डगमगाए
सम्हाल मुझको वो पथ सुझाए
हां मुझ में मै ही रचा बसा हूं
तभी तो खुद ही सधा सधा हूं
किसी में खुद की तलाश क्योंकर
मैं खुद ही खुद का खुदा हुआ हूं
मैं रंग गिरगिट सा नहीं बदलता
मैं हौसलों से पुता हुआ हूं