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बुधवार, जुलाई 06, 2011

बाप कर्ज़दार न हो शराब के ठेके के..

 सैलानियों ने देखी नर्मदा की ताक़त 
खूबसूरत संग-ए-मरमरी रास्ता
नर्मदा का...
खूबसूरत पहाड़ियां 
अठखेलियां करती नर्मदा की लहरें
उसी नर्मदा में
जो जीवन दात्री है
मेरी तुम्हारी हम सबकी
सच 
यहीं नर्मदा की भक्ति से सराबोर
आस्थाएं 
बह बह कर आतीं हैं..
नारियलों के रूप में 
उस सफ़ेद पालीथिन में
समेट लाते हैं ये नंगे-अधनंगे बच्चे
स्कूल से गुल्ली मार के
देर शाम तक बटोरे नारियल
बनिये को बेच 
धर देते हैं हाथ में
बाप के पैसे जो नारियल बेच के लातें हैं
ताकि
बाप कर्ज़दार न हो 
शराब के ठेके के.. 


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