23.6.11

वे आँखें------मेरे गीत...अर्चना चावजी

एक रचना सतीश सक्सेना जी के ब्लॉग से 

यह दर्द उठा क्यों दिल से है 
यह याद कहाँ की आई है  !
लगता है कोई चुपके से 
दस्तक दे रहा चेतना की 

वे भूले दिन बिसरी यादें 
क्यों मुझे चुभें शूलों जैसी 
लगता कोई अपराध मुझे 
है, याद दिलाये करमों की 
उनके ब्लाग मेरे गीत पर  पोस्ट पढ़ने के लिये  "यहां " क्लिक कीजिये 




सतीष सक्सेना 


6 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

अति सुन्दर!!! आनन्द आ गया....सभी को बधाई...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति.....आभार अर्चनाजी ..... सतीशजी की रचनाएँ जीवन से जुड़ी गहरी अभिव्यक्ति लिए होती हैं.....

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति- अर्चना जी को शुभकामनाएं

बेनामी ने कहा…

सतीश जी के सुन्दर शब्दों को मधुर भाव पूर्ण आवाज में सुनाया है आपने अर्चना जी.दोनों रचनाकारों को बधाई.

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति, अर्चना जी !
हार्दिक शुभकामनायें!

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

बहुत खूब
अब फ़िर से जारी हो सिलसिला

Wow.....New

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