एक रचना सतीश सक्सेना जी के ब्लॉग से
सतीष सक्सेना
यह दर्द उठा क्यों दिल से है
यह याद कहाँ की आई है !
लगता है कोई चुपके से
दस्तक दे रहा चेतना की
वे भूले दिन बिसरी यादें
क्यों मुझे चुभें शूलों जैसी
लगता कोई अपराध मुझे
है, याद दिलाये करमों की
सतीष सक्सेना
6 टिप्पणियां:
अति सुन्दर!!! आनन्द आ गया....सभी को बधाई...
बहुत सुंदर प्रस्तुति.....आभार अर्चनाजी ..... सतीशजी की रचनाएँ जीवन से जुड़ी गहरी अभिव्यक्ति लिए होती हैं.....
सुंदर प्रस्तुति- अर्चना जी को शुभकामनाएं
सतीश जी के सुन्दर शब्दों को मधुर भाव पूर्ण आवाज में सुनाया है आपने अर्चना जी.दोनों रचनाकारों को बधाई.
बहुत सुंदर प्रस्तुति, अर्चना जी !
हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत खूब
अब फ़िर से जारी हो सिलसिला
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