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गुरुवार, जून 23, 2011

वे आँखें------मेरे गीत...अर्चना चावजी

एक रचना सतीश सक्सेना जी के ब्लॉग से 

यह दर्द उठा क्यों दिल से है 
यह याद कहाँ की आई है  !
लगता है कोई चुपके से 
दस्तक दे रहा चेतना की 

वे भूले दिन बिसरी यादें 
क्यों मुझे चुभें शूलों जैसी 
लगता कोई अपराध मुझे 
है, याद दिलाये करमों की 
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सतीष सक्सेना 


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