28.5.11

समापन किस्त : कुत्ते भौंकते क्यों हैं...?


मिसफ़िट पर पिछली पोस्ट में आपने बांचा 
(इस वाक़ये से एक चिंतन का दरवाज़ा खुलता है. वो दरवाज़ा जो हमारे मन में पनप रहे कुत्तावृत्ति का परिचय देगा सोचते रहिये यही सोचेंगे जो मै लिख रहा हूं)
चित्र क्रमांक 01
कुत्तावृत्ति का प्रमुख परिचय भौंक है, जिसका अर्थ आप सभी बेहतर तरीके से जानते हैं. जिसका क्रिया रूप "भौंकना" है. भौंक एक तरह से  आंतरिक-भयजन्य   आवेग का समानार्थी भाव है. जो आत्म-रक्षार्थ प्रसूतता है. अब बांये चित्र में ही देखिये ये चारों लोग जो मयकश जुआरी हैं नशा आते ही इनके चिंतन पर हावी होगा भय. कहीं मैं हार न जाऊं.और दूसरे को हारता देख खुश होंगे खुद को हारने का भय भी होगा.. फ़िर टुन्न होकर अचानक चिल्लाने लगेंगे ध्यान से सुनने पर आप को साफ़ तौर पर  कुत्तों के लड़ने की ही  आवाज़ आएगी. 
     जब आप कभी अपने आपको आसन्न खतरे से बचाना चाहते हैं तो आप बचाने के राह खोजने से पहले आप चीखेंगे अपना चेहरा देखना तब कुत्ते सा ही लगेगा आपको.मेरे एक परिचित हैं जिनकी आवाज़ वैसे ही गूंजती है जैसे  देर रात मोहल्ले में कुत्तों के सामूहिक भौंक काम्पिटिशन चलता है. 
चित्र क्रमांक 02
हां एक बात और हाथी के बहुत करीब आकर कुत्ते कभी नहीं भौंकते दूर से भौंकते हैं . कारण साफ़ है हाथी कद काठी ताकत वाकात में सबका बाप जो होता है. 
घरेलू किस्म के कुत्तों में सबसे कायर कुत्ता पामेरियन नस्ल का होता है ससुरा खतरे की ओर मुंह करके पीछे खिसक-खिसक के   भौंकता है. ऐसी वृत्ति सरकारी गैर सरकारी संस्थानों में कार्यरत व्यक्तियों में देखी जा सकती है. 
                   घरेलू कुत्तों में एक आदत ये होती है-कि उनके भोजन करते वक्त कोई भूल से भी उसके पास आए तो मानिए गुर्राहट तय है जो बाद में भौंक में बदल जाती है.उसे लगता है पास आने वाला उसके आहार को खाएगा .   
(सारे चित्रों के लिए गूगल बाबा का  आभार इन पर किसी का भी  कोई अधिकार हो तो बताएं)     

9 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

यह किस दिशा में है वो तो नहीं समझ आ रहा किन्तु हैं तीखा....सधा हुआ निशाने पर सा...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

कुत्‍ते हैं, भौंकेगें नहीं तो क्‍या करेंगे्।

---------
हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्‍या दोगे प्‍यार की परिभाषा?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

लग रहा है कि फिर कुछ हो गया है....

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

कुत्‍ते हैं, भौंकेगें नहीं तो क्‍या करेंगे्।

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

दिलचस्प प्रस्तुति...

राज भाटिय़ा ने कहा…

कुत्ते नही भोंकेगे तो क्या बंदर भोंकेगा ? लगता हे आप का इशारा कही ओर हे.... राम जाने

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

इशारा सटीक था,लगा भी,हमारे पडौ़स वाले गोलू भैया की कसम उनका कुत्ता रात भर हमारी नाक में दम किये रहता है. लिख मारे गुस्से में डायरेक्ट एक्शन भी तो नहीं होता अपन से. इसके अलावा करें तो क्या करें न तो गोलू भैया से न ही कुत्तों से सम्बंध बिगाड़ सकते. गोलू भैया से हमारा पडौसी का नाता है,उनके कुत्ते के पुरखे मनुष्य प्रज़ाति के पुरखों से क्लोज़ली रिलेटेड हैं. अब बताएं हमको किसी पागल मित्र ने काटा है जो हम गुस्सा डायरेक्ट निकालें गोलू भाई और उनके कुत्ते पर.दुनियां में कई खज़हे-नान खजहे कुत्ते विचरण कर रहे हैं सबके मुंह में लकड़ी डाल के उकसाना काहे सो भैया हम नेट पे लिखे. मोहल्ले वाले कुत्ते से हम कोई पंगा नईं लेगें कुत्ता और गोलू भैया का नेट,बज़,ब्लाग श्लाग से कोई नाता नहीं. न ही वे बेवकास्टरी कर रये है सो भाइयो, दीदीयो समझे न ?

Unknown ने कहा…

कुत्ते जो ठहरे, ऐसा ही करेंगे न ! :)
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - अज्ञान

SANDEEP PANWAR ने कहा…

ये आदते हमारे डोगी की भी है, लेकिन वो पहाडी नस्ल का है, डरपोक बिल्कुल नहीं,

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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