1.4.11

काश..! बेटी तुम ये जान लेती,

"कल रात भर से बेचैनी पीढा,घुटन,वेदना, तनाव का दौर जारी है...!
निकट रिश्ते की  एक बेटी ने परीक्षा में असफ़लता के बाद दुनियां से विदा ले ली
आप के सामने एक सवाल :-"क्यों, पराजय से इतना हताश हो जाता है मन..? "
     सोचता हूं  शायद, हार को समझने के लिये यानी कल की जीत के लिये  हारने के अनुभवों की ज़रूरत होती है सच है ...अपने बच्चों को हार का एहसास दिलाता हूं.. हर पराजय को जीत में बदलने का नुस्खा बताता हूं..!
                                  तभी तो जीत का आलेख लिखे जाते हैं...!! सच शब्द नहीं है "हार"... अगली जीत का सोपान होती है हार.  काश..! बेटी तुम ये जान लेती... बिलखते परिवार की हूक को पहचान लेतीं.... ... एक पल में तुम इस तरह न बलिदान देंतीं....!
जिस,सच से जूझ रहे हैं हम सब कि तुम अब नहीं हो हमारे साथ...! पर मन मानने को तैयार नहीं... काल चक्र के इस क्षण को क्या हुआ
स्तब्ध से हम किससे ,कैसे कहें बेटी ... हम तुमको  खो चुके हैं 
"ॐ शांति-शांति-शांति"

6 टिप्‍पणियां:

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

अंतस को झकझोरता समाचार...

बस, यही कह सकती हूं कि असफ़लताओं से हारना नहीं चाहिए...

Dr Varsha Singh ने कहा…

VERY SAD....

Archana Chaoji ने कहा…

अत्यंत दुखद..
तू एक कली थी , कांटे सी चुभी क्यों ?
माला की एक लड़ी थी , टूट के बिखरी क्यों ?
बीच में ही रुक गई , आगे न बढ़ी क्यों ?
पूछती कुछ सवाल , हमसे ही डरी क्यों ?
भीड़ में भी थी यूं , अकेले ही खड़ी क्यों ?
क्या थी हमसे शिकायत ? , जो तू कभी कह न सकी ,
कौनसा था गम तुझे ?, कि तू सह न सकी???????????

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मार्मिक....

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

ओह!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

ओह ! स्तब्ध हूं ।

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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