"कल रात भर से बेचैनी पीढा,घुटन,वेदना, तनाव का दौर जारी है...!
निकट रिश्ते की एक बेटी ने परीक्षा में असफ़लता के बाद दुनियां से विदा ले ली
आप के सामने एक सवाल :-"क्यों, पराजय से इतना हताश हो जाता है मन..? "
निकट रिश्ते की एक बेटी ने परीक्षा में असफ़लता के बाद दुनियां से विदा ले ली
आप के सामने एक सवाल :-"क्यों, पराजय से इतना हताश हो जाता है मन..? "
सोचता हूं शायद, हार को समझने के लिये यानी कल की जीत के लिये हारने के अनुभवों की ज़रूरत होती है सच है ...अपने बच्चों को हार का एहसास दिलाता हूं.. हर पराजय को जीत में बदलने का नुस्खा बताता हूं..!
तभी तो जीत का आलेख लिखे जाते हैं...!! सच शब्द नहीं है "हार"... अगली जीत का सोपान होती है हार. काश..! बेटी तुम ये जान लेती... बिलखते परिवार की हूक को पहचान लेतीं.... ... एक पल में तुम इस तरह न बलिदान देंतीं....!
जिस,सच से जूझ रहे हैं हम सब कि तुम अब नहीं हो हमारे साथ...! पर मन मानने को तैयार नहीं... काल चक्र के इस क्षण को क्या हुआ
स्तब्ध से हम किससे ,कैसे कहें बेटी ... हम तुमको खो चुके हैं
"ॐ शांति-शांति-शांति"