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मंगलवार, जनवरी 11, 2011

डटके पियो शराब,पूजा घरों में आप बेदम निढाल होके उसकी शरण पड़ो .

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एक बूँद भी मिल जाए तो बस  आचमन करो
पीते जो हो तो बादाकशों सा आचरण करो .
ऐ साकी तुझसे  बूँद का नाता नहीं मेरा 
सागर में आके मेरे गंगो-जमुन भरो
डटके पियो शराब,पूजा घरों में आप
बेदम निढाल होके उसकी शरण पड़ो .
लाखों नशे हैं दौरे -तिज़ारत के आज़कल 
मय आशक़ी का  मेरे बादा में तुम भरो .
तस्वीर है कि बुत है या कुछ भी नही है वो 
पूजा करो इबादत करो ये बात कम करो 
वो धूप है कि छांव है किसको पता है क्या-
वो जो भी है कुछ तो है अब तो नमन करो !
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