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एक बूँद भी मिल जाए तो बस आचमन करो
पीते जो हो तो बादाकशों सा आचरण करो .
पीते जो हो तो बादाकशों सा आचरण करो .
ऐ साकी तुझसे बूँद का नाता नहीं मेरा
सागर में आके मेरे गंगो-जमुन भरो
डटके पियो शराब,पूजा घरों में आप
बेदम निढाल होके उसकी शरण पड़ो .
डटके पियो शराब,पूजा घरों में आप
बेदम निढाल होके उसकी शरण पड़ो .
लाखों नशे हैं दौरे -तिज़ारत के आज़कल
मय आशक़ी का मेरे बादा में तुम भरो .
तस्वीर है कि बुत है या कुछ भी नही है वो
पूजा करो इबादत करो ये बात कम करो
वो धूप है कि छांव है किसको पता है क्या-
वो जो भी है कुछ तो है अब तो नमन करो !
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