20.10.10

एक अपसगुन हो गया. सच्ची...!

                                   दो तीन दिन के लिए कल से प्रवास पर हूँ अत: ब्लागिंग बंद क्या पूछा न भाई टंकी पे नहीं चढा न ही ऐसा कोई इरादा अब बनाता बस यात्रा से लौटने तक  . न पोस्ट पढ़ पाउंगा टिपिया ना भी मुश्किल है. सो आप सब मुझे क्षमा करना जी . निकला तो कल था घर से किंतु एक  अपसगुन हो गया. सच्ची एक अफसर का फून आया बोला :-"फलां केस में कल सुनवाई है आपका होना ज़रूरी है.  कल निकल जाना ! सो सोचा ठीक है. पत्नी ने नौकरी को सौतन बोला और हम दौनों वापस . सुबह अलबेला जी का फून आया खुशी  हुई जानकर कि  उनसे जबलपुर स्टेशन पे मुलाक़ात हो जाएगी. किंतु अदालत तो अदालत है. हमारे केस की  बारी आई तब तक उनकी ट्रेन निकल चुकी थी यानी कुल मिला कर इंसान जो सोकाता है उसके अनुरूप सदा हो संभव नहीं विपरीत भी होता है. श्रीमती जी को समझाया.  वे मान  गईं . उनकी समझ में आ गया. आज ट्रेन से हरदा के लिए रवानगी डालने से पेश्तर मन में आया एक पोस्ट लिखूं सो भैया लिख दी अच्छी लगे तो जय राम जी की अच्छी न लगे तो राधे राधे 
  तो  "ब्लॉगर बाबू बता रए हैं कि "Image uploads will be disabled for two hours due to maintenance at 5:00PM PDT Wednesday, Oct. 20th" सो आप सब ने देख ही लिया होगा.

12 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

नवकरी तो नौकरी है और अफ़सरी की का कही जाए।
चलते वक्त किसी अफ़सर का फ़ुन आ जाए तो अपशुगन हो ही जाता है।
चलिए काम हुआ अब मंगल गाईए। घर हो आईए।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

लो जी अब हम इसे उर्दू से हिन्‍दी में अनुवाद करें। लो कर लो जी बात।
नेताओं के साथ तो रोजानाह ही ऐसा होता है, जान लीजिए

बड़ी मुश्किल है .... 20.10.2010 को आई नैक्‍स्‍ट में प्रकाशित व्‍यंग्‍य

बीस दस बीस दस : यह तो लय है जी, लय की जय है जी : पहेली बूझें

कडुवासच ने कहा…

... जय राम जी !!!

समयचक्र ने कहा…

राधे राधे ...

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

are misir jee haa haa
bahut khoob
jai ram jee kee

Anita kumar ने कहा…

:) अब घर आ गये कि नहीं?

शरद कोकास ने कहा…

मतलब अलबेला जी को देख लेते तो अपसगुन नही होता ?

दीपक 'मशाल' ने कहा…

jai Ram ji ki.. :)

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

हम भी चार दिन की भोपाल यात्रा पर हैं, हमारी भी कही सुनी माफ।

ASHOK BAJAJ ने कहा…

जीवन में ऐसे प्रसंग आते ही रहते है ,इसे सहजता से लें .

निर्मला कपिला ने कहा…

जय राम जी की अच्छी न लगे तो राधे राधे ? क्या कोई नई बहस छेडने का ईरादा है? चलो जै राम जी की ही कर देते हैं।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये तो होता रहता है .... जीवन है कुछ तो होगा ही ...

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

Wow.....New

अलबरूनी का भारत : समीक्षा

   " अलबरूनी का भारत" गिरीश बिल्लौरे मुकुल लेखक एवम टिप्पणीकार भारत के प्राचीनतम  इतिहास को समझने के लिए  हमें प...

मिसफिट : हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉगस में