27.7.10

आहत मन का छलकता गर्व--------------------आप भी महसूस कीजिए-------------------

आज सुनिए------------सतीश जी का ये गीत जो उन्होंने बीस साल पहले लिखा था...............आज भी ताजा- सा लगता है ...........
 १---



 इसे फ़िर सुने ----------------कुछ इस तरह से ........................
२---

 सतीश जी      के बारे में----

7 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुन्दर...दोनों वर्ज़न!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

वाकई में आज भी ताज़ा लगता है...

Satish Saxena ने कहा…

आभार अर्चना जी !
मेरे लिखे गए इन शब्दों को, आपने अपनी मधुर आवाज में जीवन दे दिया ....

arvind ने कहा…

बहुत सुन्दर...आभार अर्चना जी

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

satish jee likhate hee gazab hai us par aapake sur vaah

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

सतीष जी एक पुख्ता रचनाकार हैं सच बिना लाग लपेट के कह रहा हूं..?

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

Bahut khoobsurat..
Dhanywaad Girish ji ise sunwaane ke liye...
aabhaar..!!

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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