2.7.10

याद-------------पुरानी यादों की गठरी से ............................

आज जो गीत आप सुनने जा रहे हैं ,उसके गीतकार हैं--------- ये................ इस गीत की जानकारी मुझे इस ब्लॉग से हुई ..............आभार -----------इनका

आभार अपने उस मित्र का जो इस गीतकार के बारे मे लिखते हैं--"------
"धन्य है राकेश खंडेलवाल , जो बिना किसी सम्मान की इच्छा लिए माँ शारदा की आराधना में लगे हैं .."


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8 टिप्‍पणियां:

Satish Saxena ने कहा…

बहुत अच्छा प्रयत्न अर्चना जी ! आपने और गिरीश जी नए आयाम कायम कर रहे हैं ! शुभकामनायें !

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

हार्दिक बधाईयां उत्तम पोस्ट के लिये

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

geetkaar aur gayak dono ne hi
bahut sundar prastuti di hai

निर्मला कपिला ने कहा…

ार्चना जी धन्यवाद इतनी अच्छी पोस्ट के लिये।

सागर नाहर ने कहा…

सुन्दर रचना है और उतनी ही बढ़िया प्रस्तुति।

समयचक्र ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति सुन्दर रचना है...

दीपक 'मशाल' ने कहा…

अर्चना मासी जी का निःस्वार्थ भाव से ब्लॉग पर प्रकाशित गीतों, ग़ज़लों, कविताओं, कहानियों को स्वर देना सराहनीय, सम्मानीय और प्रशंसनीय कदम है..

राजीव तनेजा ने कहा…

दीपक जी की बात से पूर्णतया सहमत कि... निःस्वार्थ भाव से ब्लॉग पर प्रकाशित गीतों, ग़ज़लों, कविताओं, कहानियों को स्वर देना सराहनीय, सम्मानीय और प्रशंसनीय कदम है..

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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