भगवान बोले:-कल्लू जी आपने सदा सत्य और सादगी का जीवन जिया है आपको पूरी सुविधा दी जावेगी.
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उपरोक्त चित्र गूगल बाबा की मदद से मिले हैं प्रथम प्रस्तोताओ का अग्रिम आभार
एक दिन गांव-घर की यादों ने डेरा जमाया . सो स्वर्ग के प्रबंधक देव से आज्ञा लेकर हम पृथ्वी लोक पहुंचे.वहां देखा तो बहुत उम्दा तरीके से बेटे की परवरिश दोनों माताएं कर रहीं थीं. मेरी पत्नीयों में गहरी आत्मीयता न सौतिया डाह तब थी न अब मुझे उसकी परवरिश पर कोई गलत फहमी न थी. मरते वक्त 10 बरस का बेटा था अब दिन दूना बढ़ता देख मन खुश था. स्वर्ग से नियमित आता देखता और वापस वहीं स्वर्ग में ....यह क्रम बरसों चला. अबकी यात्रा में पता चला कि मेरे बेटे का वोटर-कार्ड बन चुका है. अपनी समाज में पढ़ा-लिखा होने के कारण उसे नगर पालिका का अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ा जीता भी. मेरा सीना फ़ूल के कुप्पा था .
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जीवन भर कूड़ा करकट गंदगी मैला साफ़ करने में जीवन बीता आज़ बेते को उंचे ओहदे पे देख मन खुश हुआ. सो पालिका की पहली मीटिंग में प्रभू की विशेष अनुमति से पहुंचा. मीटिंग में सी०ई०ओ० ने प्रस्तावित किया कि
सर, चौराहों के विकास के लिये धन मिला है क्यों न किसी महा पुरुष की मूर्ती भी स्थापित की जावे ?
सदन में काना फ़ूसी हुई पार्षद सेठ दौलत राम ने कहा:- ”सभासदो,मैं साहब के प्रस्ताव से सहमत हूं मूर्ती लगाई जाए " पार्षद जगन ने कहा :”हर चौक पे गांधी,नेहरू,सरदार पटैल,लक्ष्मी बाई की मूर्ती लगी है. अब किसकी लगाओगे ?
भी मैं यह बताने कि अब किसी मज़दूर की तस्वीर लगाओ पुत्र के मानस में गया . मुझे देखते ही वो चीख पढ़ा ”दादू जी”
लोगों ने सोचा पुत्र "मेरी प्रतिमा की बात कर रहा है. बहुमत से सबने प्रस्ताव पास कर दिया."
पार्षद सेठ दौलत राम की लग बैठी मार्बल का व्यापारी ठहरा सी०ई०ओ० को सेट किया आनन-फ़ानन टैंडर निकाले आदेश जारी हुए. मूर्ती दो माह बाद आनी थी.
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दो माह बाद
मन में उछाह लिये कल्लू राम चौक मैं पहुंचा तो मूर्ति का मुंह किधर हो इस पर अधिकारी बतिया रहे थे. परिषद के नेता भी थे .... सारे लोग एक राय थे की मेरी मूर्ती का चेहरा न तो पालिका की तरफ़ हो न ही पैट्रोल पम्प की तरफ़, न सर्राफ़ा और अनाज़ मंडी की ओर, बस हो तो पान वाले की दूकान की तरफ़ . जहां डण्डी मारों के ठेले लगे हैं. दलील ये दी जा रही थी ... कल्लू जी अव्वल-दर्ज़े के ईमानदार थे. आम आदमी अगर ईमानदार हो जाए तो दुनिया काया कल्प हो जाएगा ..... एक आदमी कह रहा था:”साले रेहड़ी वाले रोज़ डण्डी मारते है, पान वाला नकली कत्था यूज़ करता है, गोलू मोची नकली पालिश वापरता है इनको सुधारने की ज़रूरत है.!”
मूर्ती का अनावरण होने तक मैं वहीं रुका. एक दिन सोचा इसमें रुक जाऊं. देखा आज़ पान वाला,रेहड़ी वाला, मोची सब पूरी ईमान दारी से व्यापार कर रहे हैं............. बाक़ी लोग......बाकी लोग ....... आगे आप सब समझदार है सोने में मिलावट, पालिका में घूस, पैट्रोल पम्प पर कम तौल, अनाज़ में ..........यानी मेरी मूर्ती से पसीना सा निकलने लगा आंखों से आंसू .... तभी एक कौआ मेरे सर पर..............बीट कर गया